नई दिल्ली: देश के खुदरा बाजारों में टमाटर का भाव 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने के बीच ऐसी आशंका व्यक्त की गई है कि अगली फसल आने तक इसमें तेजी बने रहने की आशंका है। टमाटर की नई फसल अगस्त अंत तक आने की उम्मीद है। टमाटर की कीमतें सामान्य तौर पर हर साल जून से सितंबर के दौरान बढ़ जाती हैं क्योंकि यह टमाटर की फसल का मौसम नहीं होता। लेकिन इस बार कीमतों में भारी तेजी मुख्यत: दक्षिणी राज्यों में गंभीर सूखे के कारण रबी फसल को हुई क्षति की वजह से है। पिछले 15 दिनों में टमाटर के दाम आसमान छूने लगे हैं। टमाटर की गुणवत्ता और स्थान विशेष के हिसाब से इसके दाम 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। उदाहरण के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में मदर डेयरी के सफल बिक्री केन्द्र पर टमाटर 58 रुपये किलो के भाव बेचा जा रहा है जबकि गोदरेज के नेचर बास्केट में यह 80 रुपये किलो के भाव बेचा जा रहा है। ऑनलाइन पोर्टल बिग बास्केट दिल्ली में प्याज की बिक्री 55 रुपये, कोलकाता में 70 रुपये, बेंगलूर में 78 रुपये और चेन्नई में 79 रुपये के भाव बेचा जा रहा है। उपभोक्ता मामला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दक्षिण के प्रमुख उत्पादक राज्यों से सीमित आपूर्ति के कारण कीमतों में तेजी आई है जहां गंभीर सूखा पड़ने के कारण पेड़ में फूल लगने के समय रबी फसल को भारी नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि टमाटर की ताजा फसल सितंबर तक आने की उम्मीद है और तब तक कीमतों पर दवाब बने रहने की उम्मीद है।
सरकार की आरंभिक गणना के अनुसार पिछले वर्ष के मुकाबले टमाटर का उत्पादन वर्ष 2015-16 में चार से पांच प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सितंबर में जब अंतिम अनुमान तय किया जाएगा उस वक्त उत्पादन आंकड़ों को कम करना पड़ सकता है। सरकार के ताजा अनुमान के अनुसार देश में टमाटर उत्पादन फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में एक करोड़ 82 लाख टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष में एक करोड़ 63 लाख टन रहा था। टमाटर के प्रमुख उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा शामिल हैं। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि टमाटर के दाम में तेजी मौसमी कारणों से है तथा इस सब्जी का रखरखाव मुश्किल होने की वजह से मूल्य स्थिरीकरण कोष से इसकी खरीद नहीं की जा सकती है। सरकार बफर स्टॉक बनाने के लिए दलहन और प्याज की खरीद कर रही है जिसका इस्तेमाल खुले बाजार में सस्ते दर पर आपूर्ति बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जाएगा।