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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि विकास दर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुद्रास्फीति को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। राजन ने कहा कि निवेशकों का हमारे मौद्रिक नीति लक्ष्य में भरोसा बढ़ा है और मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल होने के साथ इसमें और सुधार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ मुहिम में मौद्रिक नीति समिति एक क्रांतिकारी कदम है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि निम्न मुद्रास्फीति पर ध्यान देकर हमने उन पुराने रास्तों को छोड़ा है, जिनमें बहुसंख्यक गरीबों की कीमत पर कुछ को लाभ होता था। राजन ने विश्वास जताया कि सरकार और रिजर्व बैंक के नए गवर्नर नई व्यवस्थाओं और संस्थाओं को अपने अंदर पूरी तरह जोड़ेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में मुद्रास्फीति नीचे के स्तर पर रहे।
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नई दिल्ली: भारत ने एफडीआई की नीति में बहुत बड़े बदलाव किए हैं। इसके तहत अब रक्षा, उड्डयन से लेकर ई कॉमर्स तक के क्षेत्र में 100 फ़ीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है। इसके अलावा और भी कई क्षेत्रों में एफडीआई नीति में ढील दी गई है। यह फ़ैसला आज (सोमवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। जिन अन्य क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार किया गया है उनमें खाद्य उत्पादों का ई-कामर्स क्षेत्र, प्रसारण कैरेज सेवाएं, निजी सुरक्षा एजेंसियां तथा पशुपालन शामिल हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब एक छोटी ‘नकारात्मक’ सूची को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्र में एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग के तहत की जा सकती है। इन बदलावों के बाद अब भारत एफडीआई के मामले में दुनिया में सबसे खुली अर्थव्यवस्था होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में एफडीआई व्यवस्था को और उदार करने का फैसला किया गया। इसका मकसद देश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देना है। यह एफडीआई क्षेत्र में दूसरा प्रमुख सुधार है। इससे पहले केंद्र ने पिछले साल नवंबर में विदेशी निवेश व्यवस्था में उल्लेखनीय रूप से ढील दी थी। इन प्रमुख फैसलों के तहत सरकार ने अनुसूचित (नियमित समय-सारिणी पर चलने वाली) हवाई परिवहन सेवाओं - नियमित समय सारिणी के अनुसार परिचालित यात्री-सेवा एयरलाइनों तथा क्षेत्रीय हवाई परिवहन सेवा में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है।
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नई दिल्ली: रघुराम राजन द्वारा बतौर आरबीआई गवर्नर दूसरा टर्म लेने से इनकार का असर माना जा रहा है कि कारोबारी सप्ताह के पहले ही दिन रुपया तीखी कमजोरी के साथ खुला, जबकि शेयर बाजार भी शुरुआत में औंधे मुंह गिरते नज़र आ रहे थे। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 170 से अधिक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स निफ्टी 60 अंक से अधिक की गिरावट के साथ खुले थे, जबकि रुपए ने सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे की कमजोरी के साथ 67.68 पर कारोबार की शुरुआत की। सोमवार को बिकवाली के दबाव के चलते शेयर बाजारों में रेड जोन में कारोबार की शुरुआत हुई, जबकि रुपया, जो शुक्रवार को प्रति डॉलर 67.08 पर बंद हुआ था, वह एक फीसदी गिरावट के साथ सोमवार को 67.68 पर खुला। हालांकि ओपनिंग के कुछ समय बाद शेयर बाजार थोड़ा संभलते हुए दिखाई दे रहे हैं। निफ्टी 0.02 फीसदी, यानी 1.35 अंक की तेजी के साथ 8,171.55 के स्तर पर देखा गया। शेयर बाजार में यह बढ़त वैश्विक बाजारों से मिले संकेतों के बाद दिखाई दी। 10 बजकर 20 मिनट पर निफ्टी 0.23% अंक यानी 18.45 तेजी के साथ 8,189 पर कारोबार करता देखा गया। वहीं, सेंसेक्स 0.27% अंकयानी 72.41 की तेजी के साथ 26,698 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया। राजन के फ़ैसले से उद्योग जगत के एक बड़े हलके में मायूसी दिख रही है।
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लंदन: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज (रविवार)कहा कि गवर्नर कोई भी हो, रिजर्व बैंक अपना काम करता रहेगा और इस पद की पहचान व्यक्तियों से नहीं की जानी चाहिए। राजन ने कल यह घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था कि उनकी दूसरे कार्यकाल में रुचि नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की भविष्यवाणी का श्रेय जाता है। सितंबर, 2013 में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर बने थे और उनका तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को खत्म हो रहा है। उन्हें रॉकस्टार केंद्रीय बैंकर कहा जाता है। उनको वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं में रुपये के उतार-चढ़ाव को भी नियंत्रण में रखने का श्रेय जाता है। साथ ही राजन की मुद्रास्फीति को काफी हद तक नियंत्रण में रखने के लिए सराहना होती है। उन्होंने बैंकों पर अपने बही खातों को डूबे रिण से साफसुथरा करने के लिए दबाव डालने का भी श्रेय दिया जाता है। इकनामिस्ट पत्रिका ने अपने ताजा संस्करण में राजन के हवाले से कहा, सबसे महत्वपूर्ण है कि इस पद (आरबीआई गवर्नर के पर) को किसी व्यक्ति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। गवर्नर कोई भी हो, यह चलता रहेगा। यह किसी भी गवर्नर से बड़ा है। समझा जाता है कि उनकी यह टिप्पणी इस तरह की अटकलों के बाद आई थी कि क्या उन्हें गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलेगा यह नहीं। अपने वेब संस्करण में पत्रिका ने राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने की घोषणा पर लिखा है कि यह भारत के लोकप्रिय पार्लर खेल का अंत है।
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