नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि सरकार की आय बढ़ाने के लिए 10 करोड़ लोगों को कर वसूली के दायरे में लाया जाना चाहिए, जिसकी संख्या अभी 5.3 करोड़ है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कर अधिकारियों से यह भी कहा कि वे आम लोगों के मन से उत्पीड़न का डर खत्म करें और प्रशासन के पांच स्तंभों - राजस्व, उत्तरदायित्व, ईमानदारी, सूचना और डिजिटलीकरण (रैपिड) - पर ध्यान केंद्रित करें। प्रधानमंत्री ने यहां दो दिवसीय पहले राजस्व ज्ञान-संगम का उद्घाटन करते हुए अधिकारियों से प्रशासन को बेहतर और दक्ष बनाने के लिए डिजिटलीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने तथा 'अविश्वास की खाईं' पाटने का कार्य करने को कहा। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि 92 प्रतिशत कर राजस्व टीडीएस, अग्रिम कर और स्व-आकलन कर से आता है, जबकि शेष आठ प्रतिशत जांच के बाद आता है। उन्होंने कहा कि अगर प्रत्यक्ष कर राजस्व सुनिश्चित करने के लिए सीबीडीटी के 42,000 अधिकारी हैं तो कर का दायरा बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश ऊंची आकांक्षाओं वाले लोगों से भरा है। उन्होंने कर अधिकारियों से अपील की कि वे पहल करें ताकि लोगों के लिए देश में कर भुगतान करना आसान लगे। उद्घाटन सत्र के बाद वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि मोदी ने अधिकारियों को यह भी सुझाव दिया कि उन्हें करदाताओं के मन से उत्पीड़न या परेशान किए जाने का डर दूर करने का प्रयास करना चाहिए तथा लोगों के साथ 'सौम्य और विनम्र' रहना चाहिए।
वहीं राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा, 'देश में कुल 25 करोड़ परिवार हैं। इनमें से 10 करोड़ की गैर-कृषि आय है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कर वसूली के दायरे में 10 करोड़ लोगों को लाने की अपील की है।' अधिया ने हालांकि कर वसूली के दायरे में 10 करोड़ लोगों को लाने के लिए किसी समय सीमा का जिक्र नहीं किया।