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उदयपुर: पूरे देश में एकसमान नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) परिषद ने आज उस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी जिसमें नयी कर प्रणाली को लागू करने से राज्य सरकारों को राजस्व में होने वाली संभावित नुकसान की स्थिति में क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। अधिकार संपन्न जीएसटी परिषद ने जीएसटी को लागू करने के लिए प्रस्तावित तीन अन्य विधेयकों के मसौदों को मंजूरी देने का काम अगली बैठक पर टाल दिया गया जो 4-5 मार्च को होगी। इनमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी), एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) विधेयक शामिल हैं जिनके पांच-छह प्रावधानों की कानूनी भाषा को लेकर मंजूरी रूकी हुई है। जीएसटी के लागू होने से केंद्र और राज्य स्तर पर लागू तमाम अप्रत्यक्ष कर उसमें समाहित हो जाएंगे। यह उपभोग आधारित कर प्रणाली है जो वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री, विनिर्माण और उपभोग पर लगायी जाएगी। इससे पूरे देश में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दिन भर चली बैठक के बाद उम्मीद जताई कि इन विधेयकों को परिषद की अगली बैठक में मंजूर कर लिया जाएगा ताकि इन्हें अगले महीने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पारित कराने के लिए पेश किया जा सके। जेटली ने कहा कि साथ-साथ जीएसटी परिषद अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरों को तय करने का काम भी करेगी।

नई दिल्ली: एक रेटिंग एजेंसी के अनुसार नयी कंपनी रिलायंस जियो की मुफ्त सेवाओं के कारण देश के दूरसंचार उद्योग की कमाई को लगभग 20 फीसदी का नुकसान हुआ है। फिच ग्रुप की रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (इंड-रा) ने इसके मद्देनजर इस क्षेत्र के लिए परिदृश्य को 2017-18 के लिए नकारात्मक किया है। जबकि 2016-17 के लिए यह ‘स्थिर से नकारात्मक’ था। फर्म का कहना है कि रिलायंस जियो इन्फोकॉम की मुफ्त सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उनसे अपने परिदृश्य अनुमान में यह बदलाव किया है। इसके अनुसार रिलायंस जियो की मुफ्त सेवाओं के कारण दूरसंचार उद्योग की कमाई को 20% का नुकसान हुआ है। इसके अनुसार,‘ मौजूदा दूरसंचार कंपनियों की बाजार भागीदारी रिलायंस जियो के पास जाएगी तथा उनके मुनाफे पर भी प्रतिकूल असर होगा तथा ऋण बोझ बढेगा।’ इसके अनुसार रिलायंस जियो ने वायस कॉल हमेशा के लिए मुफ्त रखने की रणनीति अपनाई है जिससे मौजूदा दूरसंचार कंपनियों को वायस कॉल खंड से कारोबार जोखिम में रहेगा।

 

मुंबई: रिजर्व बैंक ने हालिया मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में कटौती नहीं की है, लेकिन निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों के पास कर्ज पर ब्याज दरों में कमी लाने के लिए अब और गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि पेटीएम जैसी प्रीपेड वॉलेट कंपनियों का कोई भविष्य नहीं है। एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी आदित्य पुरी ने यहां नास्कॉम के सम्मेलन में कहा, ‘हालांकि, केंद्रीय बैंक ने (नया) तटस्थ नीतिगत रूख अख्तियार किया है, लेकिन बैंकों के पास दरों में और कटौती की गुंजाइश है। यह मुद्रास्फीति और तरलता पर निर्भर करता है। केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती का यह मतलब नहीं है कि इसका लाभ बैंक सीधे ग्राहकों को दे देंगे।’ इस लाभ को देने में देरी पर उन्होंने कहा कि संपत्ति का मूल्य बैंक की देनदारियों से तय होता है। उन्होंने कहा, ‘यदि मैं अपनी जमा दर में कटौती नहीं करता हूं तो ऋण दर में कमी नहीं कर पाऊंगा। एमसीएलआर दर जमा दरों में कटौती से निकाली जाती है। यदि जमा दरें गिरती हैं तो मैं ऋण दर में कटौती करूंगा।’ पुरी ने कहा कि इसकी वजह यह है कि हमारी बैंकिंग प्रणाली बाजार से तीन प्रतिशत ही उधार लेती है। शेष 97 प्रतिशत कोष जमाओं से आता है। जब तरलता अधिक होती है और उस समय नियामक दरें घटाए या नहीं, बैंक खुद दरों में कटौती कर देते हैं।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने शुक्रवार को कहा कि 500 और 1,000 के पुराने नोट चलन से बाहर किए जाने के बाद भारत की आर्थिक वृद्धि में ‘जबरदस्त सुधार’ आएगा।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के काल में व्यापार संरक्षणवाद बढ़ने की संभावना के बीच पटेल ने अभी भी भूमंडलीकरण को जारी रखने की मजबूत वकालत की और कहा कि मुक्त व्यापार से भारत को लाभ मिला है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘इस बात पर सभी सहमत हैं कि अर्थव्यवस्था में एक तेज गिरावट (तीव्र ‘वी’ की स्थिति) आई है लेकिन यह बहुत छोटी अवधि के लिए है। हालांकि नयी मुद्रा को बाजार में डालने का काम तीव्र गति से चल रहा है और यह इस योजना का ही हिस्सा था।’ पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया था जो पहले 7.1 प्रतिशत रखा गया था। लेकिन उसने वित्त वर्ष 2017-18 में इसके फिर से 7.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि पुरानी बेकार हो चुकी 86 प्रतिशत मुद्रा के चलन से बाहर होने के फायदे सामने आने में समय लगेगा और इन फायदों को सुनिश्चित करने के लिए बहुत से कार्य किए जाने हैं। रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि उंची वृद्धि दर तभी संभव है जब बुनियादी सुधार किए जाएं जिनमें भूमि-श्रम से जुड़े सुधार शामिल हैं। पटेल से पूछा गया था कि क्या भारत नौ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि हासिल कर सकता है।

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