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मुंबई: रिजर्व बैंक ने हालिया मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में कटौती नहीं की है, लेकिन निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों के पास कर्ज पर ब्याज दरों में कमी लाने के लिए अब और गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि पेटीएम जैसी प्रीपेड वॉलेट कंपनियों का कोई भविष्य नहीं है। एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी आदित्य पुरी ने यहां नास्कॉम के सम्मेलन में कहा, ‘हालांकि, केंद्रीय बैंक ने (नया) तटस्थ नीतिगत रूख अख्तियार किया है, लेकिन बैंकों के पास दरों में और कटौती की गुंजाइश है। यह मुद्रास्फीति और तरलता पर निर्भर करता है। केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती का यह मतलब नहीं है कि इसका लाभ बैंक सीधे ग्राहकों को दे देंगे।’ इस लाभ को देने में देरी पर उन्होंने कहा कि संपत्ति का मूल्य बैंक की देनदारियों से तय होता है। उन्होंने कहा, ‘यदि मैं अपनी जमा दर में कटौती नहीं करता हूं तो ऋण दर में कमी नहीं कर पाऊंगा। एमसीएलआर दर जमा दरों में कटौती से निकाली जाती है। यदि जमा दरें गिरती हैं तो मैं ऋण दर में कटौती करूंगा।’ पुरी ने कहा कि इसकी वजह यह है कि हमारी बैंकिंग प्रणाली बाजार से तीन प्रतिशत ही उधार लेती है। शेष 97 प्रतिशत कोष जमाओं से आता है। जब तरलता अधिक होती है और उस समय नियामक दरें घटाए या नहीं, बैंक खुद दरों में कटौती कर देते हैं।

पुरी ने पेटीएम जैसी प्रीपेड वॉलेट कंपनियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां कैश बैक देकर ग्राहक बना रही हैं और ऐसी कंपनियों का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वॉलेट का कोई भविष्य नहीं है। भुगतान कारोबार में इतना मार्जिन नहीं होता कि वॉलेट का भविष्य हो।’ पुरी ने कहा कि वॉलेट का आर्थिक रूप संदिग्ध है। भुगतान कारोबार में कोई पैसा नहीं है। बाजार की प्रमुख कंपनी पेटीएम को इस समय 1,651 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। आप ऐसा कारोबार नहीं चला सकते जिसमें कहें कि 500 रुपये के बिल का भुगतान करो और 250 रुपये वापस पाओ। उन्होंने कहा कि वॉलेट कंपनियां अलीबाबा मॉडल की भी नकल नहीं कर सकतीं। घरेलू नियामक बेहतर हैं। उनका यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि एचडीएफसी बैंक की वॉलेट सेवा चिल्लर है।

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