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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक मजाक एवं बहुत अधिक अपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसे एक देश एक टैक्स नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें सात या अधिक कर दरें हैं। चिदंबरम ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस कर दरों में कटौती तथा इस पर 18 प्रतिशत की सीमा लगाने की मांग करती है। पार्टी ने पेट्रोलियम, बिजली एवं रियल एस्टेट को भी इस नई कर प्रणाली के तहत लाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह बहुत बहुत अपूर्ण कानून है। यह वह कानून नहीं है जिसकी हमनें (संप्रग ने) परिकल्पना की थी। बहरहाल जो लागू किया है, उसमें सात या संभवत: अधिक दर हैं। यह जीएसटी का मजाक है। उन्होंने सवाल किया, जब 0.05, 3,5,12,18,28 एवं 40 या संभवत: उससे अधिक दरें हैं क्योंकि राज्य सरकारों के पास विवेकाधिकार होगा, हम इसे एक देश एक कर प्रणाली कैसे कह सकते हैं।

नई दिल्ली: 1 जुलाई से पूरे देश में लागू हुए वस्तु एवं सेवाकर यानी कि गुड्स एंड सर्विसेस एक्ट (जीएसटी) लागू हो गया है। अब सरकार ने कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद बचे हुए माल पर संशोधित कीमत न छापने पर विनिर्माताओं को जुर्माना/जेल की सजा हो सकती है। यानी, जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर जेल की सजा भोगनी पड़ सकती है। सरकार ने जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद पहले के बचे हुए माल पर कीमत को लेकर भ्रम दूर करते हुए पिछले दिनों कहा था कि प्रकाशित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ संशोधित कीमत को लेकर स्टिकर के उपयोग की अनुमति दी गयी है, यानी पुराने माल पर अब पहले के एमआरपी के साथ जीएसटी के बाद कीमत में हुए बदलाव की अलग से जानकारी देनी होगी। इसका मकसद बिक्री मूल्य में बदलाव को प्रतिबिंबित करना है। यह अनुमति तीन महीने के लिये दी गयी है। सरकार को यह जानकारी मिली थी कि कई कंपनियों के पास एक जुलाई से लागू जीएसटी से पहले के काफी माल बचा हुआ हैं। पहले के सामान पर जीएसटी से पहले के सभी करों के साथ एमआरपी है, लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के साथ कर घटने या बढ़ने के कारण कुछ वस्तुओं के खुदरा मूल्य में बदलाव आया है।

नई दिल्ली: जीएसटी लागू होने के तीन दिन के भीतर दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित 22 राज्यों ने जांच चौकियां (चेकपोस्ट) हटा दी हैं। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस पहल से राज्यों की सीमा पर ट्रकों की कतार और प्रदूषण से निजात तो मिलेगी ही, साथ ही अर्थव्यवस्था को भी सालाना 2300 करोड़ रुपये की बचत होगी। वित्तमंत्रालय ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे अहम राज्यों ने जीएसटी लागू होने के तीन दिन के भीतर जांच चौकियां समाप्त कर दी हैं। इससे राज्यों की सीमाओं पर ट्रकों की लंबी कतारें देखने को नहीं मिलेंगी। मंत्रालय ने कहा कि असम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और कुछ पूर्वोत्तर के राज्यों सहित आठ अन्य राज्य भी चेकपोस्ट हटाने की प्रक्रिया में हैं। राज्य सीमा चौकियां सामान तथा गंतव्य के हिसाब से कर अनुपालन की जांच करती हैं। इससे वस्तुओं की आपूर्ति में तो विलंब होता ही है, साथ ही ट्रकों की कतारें लगने से पयार्वरण प्रदूषण भी बढ़ता है। विश्व बैंक के मुताबिक चेकपोस्ट पर ट्रकों के खड़े होने भर से अर्थव्यवस्था को 2300 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

नई दिल्ली: हर तरह के एलपीजी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अधीन लाने के साथ ही आने वाले महीने से आम नागरिकों को घरेलू एलपीजी सिलिंडर के लिए अब अधिक कीमत चुकानी होगी। 1 जुलाई से देशभर में लागू हो चुके जीएसटी के तहत चूंकि पेट्रोलियम को नहीं रखा गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसी दिन स्पष्ट कर दिया था कि घरेलू और वाणिज्यिक एलपीजी जीएसटी के तहत कर के दायरे में होगा, जो अब जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में प्रभावी हो चुका है। एलपीजी को सबसे निचले स्लैब पांच फीसदी कर के तहत रखा गया है। जीएसटी लागू होने से पहले अधिकतर राज्य एलपीजी पर कर नहीं लगाते थे, जबकि कुछ राज्य 2-4 फीसदी के बीच वैट लगाते थे। वहीं घरेलू एलपीजी पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क नहीं लगता था। अब जीएसटी लागू होने के बाद जिन राज्यों में एलपीजी पर कोई कर नहीं था, वहां प्रति सिलिंडर एलपीजी की कीमत 12 से 15 रुपये बढ़ जाएगी। वहीं जीएसटी लागू होने के बाद वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत घट गई है, क्योंकि इसे जीएसटी के तहत 18 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है। इससे पहले, वाणिज्यिक एलपीजी पर 22.5 फीसदी कर लगाया जाता था, जिसमें उत्पाद शुल्क के रूप में आठ फीसदी और 14.5 फीसदी का वैट शामिल था।

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