नई दिल्ली: कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश के तौर-तरीकों के बारे में निर्णय के लिए मंत्रियों का समूह गठित किया जाएगा। इसका फैसला बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद कहा कि एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह गठित किया जाएगा। इसका प्रस्ताव नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किया था, जिसे बैठक में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया। हालांकि वित्त मंत्री ने इस समूह के गठन की या विनिवेश राशि तय करने के लिए गठित होने वाले समूह द्वारा अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने की कोई समय सीमा नहीं बताई। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री इस समिति के सदस्यों पर फैसला लेंगे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में नीति आयोग ने घाटे में चल रही एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की थी। इसके जरिए एयर इंडिया पर से सरकार का नियंत्रण खत्म कर उसे निजी क्षेत्र को सौंपा जाना है। एयर इंडिया के एक कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को नीति आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात कर सरकारी विमानन कंपनी को निजी हाथों में बेचने की जगह इसका कर्ज माफ करने की मांग की थी।
साथ ही यूनियन ने मांग की कि यदि एयर इंडिया को बेचा जाता है तो उनके वेतन बकाया को पहले चुकाया जाना चाहिए। एक अन्य कर्मचारी यूनियन की इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मिलने की योजना है। इससे पहले एयर इंडिया के कर्मचारियों की सात यूनियन ने नीति आयोग की सिफारिश स्वीकार किए जाने पर व्यापक विरोध प्रदर्शन की धमकी दी थी।
सबसे बड़ी घरेलू विमानन कंपनी
41 अंतरराष्ट्रीय गंतव्य के लिए उड़ान सेवाएं
72 घरेलू जगहों के लिए उड़ानें
17 फीसदी हिस्सेदारी कुल विमान यात्री मार्केट में
14.6 फीसदी हिस्सेदारी घरेलू विमान यात्री मार्केट में
25000 कर्मचारी सरकारी विमानन कंपनी में कार्यरत
118 कुल विमान बेड़े में (लीज समेत)
85 साल पहले गठन
एयर इंडिया की शुरुआत देश के प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने किया था। इसका 1948 में राष्ट्रीयकरण किया गया।
संकट में 'उड़ान'
52000 करोड़ रुपये कुल कर्ज
21000 करोड़ रुपये विमान संबंधी कर्ज
8000 करोड़ रुपये वर्किंग कैपिटल
25-27 हजार करोड़ की विनिवेश से कमाई का अनुमान
30 हजार करोड़ का बेलआउट पैकेज
एयर इंडिया की वित्तीय हालात 2007 से ही खराब है और उसका घाटा लगातार बढ़ रहा है। 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने एयर इंडिया को 30 हजार करोड़ का बेलआउट पैकेज भी दिया। इसके बावजूद कंपनी की खराब वित्तीय हालत पर काबू नहीं पाया जा सका।
विलय भी काम नहीं आया
वर्ष 2007 में एयर इंडिया और घरेलू एयरलाइंस कंपनी इंडियन एयरलाइंस का नेशनल एविएशन कंपनी लिमिटेड (एनएसीआईएल) में विलय किया गया। इसके बाद दोनों कंपनियों की देनदारी एनएसीआईएल पर आ गई। वर्ष 2010 में एनएसीआईएल का नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया।
टाटा समूह खरीद की दौड़ में
एयर इंडिया की खरीद में टाटा, स्पाइसजेट दिलचस्पी दिखा रहे हैं। दोनों समूहों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि दोनों समूहों ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से इनकार किया है।