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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दावेदार हिलेरी क्लिंटन ने नेवादा में आयोजित कॉकस को बेहद कम अंतर से जीत लिया है। यह जानकारी अमेरिकी मीडिया की खबरों के जरिए मिली है। हिलेरी की जीत की खबर मीडिया में आने के कुछ ही समय बाद डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दावेदार ने ट्वीट किया, ‘नेवादा के कोने-कोने से संकल्प और पूरे मन के साथ निकलकर आए लोगों : यह आपकी जीत है... शुक्रिया।’ 80 प्रतिशत वोटों की गणना होने पर हिलेरी को 52.2 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बर्नी सैंडर्स को 47.7 प्रतिशत वोट मिले थे। हिलेरी ने अपने समर्थकों के लिए लिखे ईमेल में लिखा, ‘हम नेवादा कॉकस जीत गए।’ उन्होंने कहा, ‘इस प्राइमरी में किसी एक को चुनना मुश्किल रहा होगा क्योंकि सच्चाई तो यह है कि सीनेटर सैंडर्स और मैं एक मूल आधार पर सहमत थे। यह आधार था: वॉल स्ट्रीट, बड़े बैंक, दवा कंपनियां और इन सभी के पास हमारे देश में बहुत अधिक ताकत और प्रभाव है।’

ब्रसेल्स: ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि वह यूरोपीय संघ के साथ ब्रिटेन के संबंधों से जुड़े विवादास्पद सुधारों के पैकेज को प्राप्त करने के बाद अपने देशवासियों से अपील करेंगे कि वे जनमत संग्रह में ईयू में देश के बने रहने के लिए मतदान करें। ईयू नेताओं के साथ दो दिन चली जटिल वार्ता के बाद कैमरन ने कल कहा कि ब्रिटेन को विशेष दर्जा दिया जाएगा। उसे आव्रजन को काबू करने और एकल मुद्रा क्षेत्र में बड़े एकीकरण के खिलाफ अपनी गैर यूरो अर्थव्यवस्था की सुरक्षा करने की अनुमति होगी। कैमरन ने ईयू के 28 नेताओं के शिखर सम्मेलन के समापन पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यूरोपीय संघ में ब्रिटेन के बने रहने की सिफारिश करने के लिए यह काफी है।’

वॉशिंगटन: विदेश मंत्रालय ने पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के ईमेल खाते से 500 से ज्यादा और दस्तावेज जारी किए। मंत्रालय ने कहा कि दस्तावेजों में से 64 दस्तावेजों के कुछ हिस्सों को गोपनीय करार दे दिया गया था। हालांकि किसी भी सूचना को उस समय गोपनीय करार नहीं दिया गया था, जिस समय ईमेल भेजे गए थे। कल जारी किए गए 562 दस्तावेजों में से किसी को भी बेहद गोपनीय करार नहीं दिया गया। कल 1,116 पन्ने जारी होने से हिलेरी के ईमेलों से जुड़े कुल जारी पन्नों की संख्या 46,946 हो गई है। विदेश मंत्रालय की योजना है कि 29 फरवरी को हिलेरी के ईमेलों को सार्वजनिक करना बंद कर दिया जाए। 29 फरवरी के अगले दिन मंगलवार को बेहद अहम प्राइमरी बहस है।

वॉशिंगटन: शीर्ष अमेरिकी मानवाधिकार ईकाई एचआरडब्ल्यू ने भारतीय प्रशासन से कहा कि वह जेएनयू छात्र संघ के नेता कन्हैया कुमार समेत अन्य शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रद्रोह के आरोप लगाना बंद करे। ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा कि भारतीय प्रशासन को तुरंत वे सभी आरोप खत्म कर देने चाहिए जो स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और अदालत के भीतर हुए हमले की पूरी जांच करानी चाहिए और साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी के किसी भी समर्थक समेत घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। संगठन की दक्षिण एशिया मामलों की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने आरोप लगाया, ‘भाजपा सरकार शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को दंडित करने को आतुर प्रतीत होती है लेकिन राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसा को अंजाम देने वाले समर्थकों की जांच को उतनी आतुर नजर नहीं आती।’ उन्होंने कहा, ‘प्रशासन को न केवल यह पता लगाने की जरूरत है कि अदालत के भीतर हमले में भाजपा समर्थक किस प्रकार शामिल थे बल्कि यह भी पता लगाने की जरूरत है कि पुलिस ने कुछ क्यों नहीं किया।’ संगठन ने कहा कि यह मामला इस तत्काल जरूरत पर रौशनी डालता है कि भारतीय संसद को देश के राष्ट्रद्रोह संबंधी कानून को रद्द कर देना चाहिए।

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