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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

वाशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर वह इस चुनाव में जीतते हैं तो वह चुनाव परिणाम को पूरी तरह स्वीकार करेंगे, हालांकि ‘संदिग्ध नतीजे’ की स्थिति में उनको कानूनी चुनौती देने का अधिकार होगा। ट्रंप ने ओहयो के डेलवेयर में कहा, ‘देवियों और सज्जनों, मैं आज एक बड़ा ऐलान करना चाहता हूं। मैं अपने सभी समर्थकों और अमेरिका की जनता से वादा करना और संकल्प लेना चाहता हूं कि अगर मैं जीतता हूं तो इस ऐतिहासिक चुनाव के परिणाम को पूरी तरह से स्वीकार करूंगा।’ बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं स्पष्ट चुनावी परिणाम को स्वीकार कर लूंगा लेकिन संदिग्ध नतीजे होने की स्थिति में विरोध करने और कानूनी चुनौती देने का मेरा अधिकार सुरक्षित है।’ इससे पहले जब नेवादा विश्वविद्यालय में हुई बहस के दौरान जब कल राज उनसे यह पूछा गया कि क्या वह चुनाव परिणाम को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा, ‘मैं उसी समय इस पर विचार करूंगा। मैं अभी इससे संबंधित किसी बात पर विचार नहीं कर रहा हूं।’ करीब 90 मिनट चली इस बहस के दौरान ट्रंप ने मौजूदा चुनाव में धांधली होने की बात दोहराते हुए कहा, ‘मैं आपको उसी समय बताउंगा। मैं आपको रहस्य की स्थिति में रखूंगा।’ ट्रंप ने कहा, ‘मीडिया बहुत बेईमान है और बहुत भ्रष्ट है और वह चीजों को जिस तरह बढ़ा चढ़ाकर दिखाता है, वह हैरान करने वाला है। न्यूयार्क टाइम्स ने इस बारे में एक लेख लिखा। वे परवाह भी नहीं करते, वे इतने बेईमान हैं कि उन्होंने मतदाताओं के दिमाग में जहर घोल दिया है लेकिन मुझे लगता है कि उनके लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि मतदाता इस बात को समझ रहे हैं।’

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने कहा कि आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कान्फ्रेंस (ओआईसी) ने कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को बरकरार रखने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित करके कश्मीर पर उसके रूख का समर्थन किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी के विदेश मंत्रियों की ताशकंद में 18..19 अक्तूबर को 43वें सत्र की बैठक हुई थी जिसमें ‘कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर स्थिति’ पर एक बहुत ही कड़ा प्रस्ताव पारित किया गया। उसने कहा कि कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के अनुरूप रखते हुए समूह ने कश्मीरी लोगों की उचित मांग का समर्थन किया तथा निहत्थे कश्मीरियों के मारे जाने पर गहरी चिंता जतायी और इसकी कड़ी निंदा की। उसने कहा कि समूह ने हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के मद्देनजर कर्फ्यू के बावजूद कश्मीरियों के प्रदर्शन को भारत के खिलाफ एक जनमतसंग्रह बताया है। उसने कहा कि समूह ने कश्मीर में कश्मीरियों के स्वतंत्रता आंदोलन को आतंकवाद के समान बताने के भारत के प्रयासों को भी खारिज किया। उसने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू कश्मीर पाकिस्तान और भारत के बीच एक मूल मुद्दा है तथा दक्षिण एशिया में शांति के सपने को साकार करने के लिए इसका हल जरूरी है। समूह ने इस पर खेद जताया कि भारत ओआईसी के तथ्यांवेषी दल को कश्मीर का दौरा करने की इजाजत नहीं दे रहा है।

न्यूयॉर्क: रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव के दिन वोट में फर्जीवाड़े की आशंका जताए जाने के बीच अमेरिका के एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि अगर अच्छी खासी संख्या में उनके मतदाता जुटते हैं और मतदाताओं को चुनौती देते हैं तो मतदान केंद्रों पर ‘हिंसा की संभावना’ है। बरूच कॉलेज में ऑस्टिन मार्क्‍स कॉलेज ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के डीन डेविड बर्डशेल ने कहा, ‘अगर ट्रम्प के समर्थक अच्छी खासी संख्या में मतदान केंद्रों पर जुटते हैं और मतदाताओं को चुनौती देते हैं तो गड़बड़ी की आशंका है -- कोई नहीं जानता क्या होगा? लेकिन हिंसा की निश्चित तौर पर संभावना है।’ उन्होंने कहा, ‘और लोगों को मतदान करने से रोकने की ज्यादा संभावना है। इसलिए यह चिंता की बात है।’ उन्होंने कहा कि ट्रम्प अपने समर्थकों से अपील करते रहे हैं कि अपने मतदान केंद्रों पर जाएं ताकि ‘निगरानी’ कर सकें कि क्या हो रहा है और सुनिश्चित करें कि वोट में गड़बड़ी नहीं हो। न्यूयॉर्क फॉरेन प्रेस सेंटर में पिछले हफ्ते आयोजित एक सत्र में उन्होंने कहा, ‘यह उनकी भाषा है और उन्होंने दूसरी भाषाओं का भी प्रयोग किया है लेकिन उन्होंने ये शब्द अप्रशिक्षित आम नागरिकों से कही हैं और उनसे चुनाव केंद्रों पर जाने को कहा है और लोगों को चुनौती देने तथा उनसे यह कहने को कहा है कि ‘आप इस क्षेत्र में पंजीकृत प्रतीत नहीं होते हैं?’ ट्रम्प ने अपने समर्थकों से वोट में धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क रहने को कहा था।

बीजिंग: चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी और जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध के मुद्दे पर उपजे मतभेदों के मद्देनजर भारत में चीनी सामान के बहिष्कार का जो अभियान चल रहा है, उसका ज्यादा ‘राजनीतिक असर’ नहीं होने वाला है और यह ‘द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को मूल रूप से बदलने में' विफल रहने वाला है। भारतीय मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि ‘भारत में कुछ नेताओं और नागरिकों ने हाल ही में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान शुरू किए हैं।’लेख में कहा गया, ‘वे लोग परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के दाखिल न हो पाने और पाक आधारित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा के एक कमांडर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिश को बीजिंग की ओर से अवरूद्ध कर दिए जाने के लिए चीन को दोषी बताते हैं।’ चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ एशिया-पैसिफिक स्टडीज में सहायक शोधार्थी के रूप में कार्यरत लियु शियाओशू द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया, ‘बीजिंग और नयी दिल्ली इन दो मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं और ऐसा माना जा रहा है कि अंतत: आपसी सहमति पर पहुंचा जाएगा।’ पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख अजहर पर भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध की मांग कर रहा है। यह संगठन दो जनवरी के पठानकोट हमले का आरोपी है। चीन ने भारत के इस कदम को विफल करते हुए अजहर को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित कराने के मुद्दे पर तकनीकी आधार पर दूसरी बार अड़ंगा लगा दिया था।

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