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अलेप्पो: सीरिया के अलेप्पो में हवाई हमले में कम से कम 12 नागरिक मारे गए जिससे बम हमले में पिछले 24 घंटे में मरने वालों की संख्या 45 हो गई है। यह जानकारी एक निगरानी समूह ने दी है। ब्रिटेन की सीरियाई ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि पूर्वी अलेप्पो के मारजेह में मारे गए बागियों में पांच बच्चे शामिल हैं। मलबे के नीचे दर्जनों और लोग जख्मी हैं या फंसे हुए हैं। ऑब्जर्वेटरी के प्रमुख रामी अब्देल रहमान ने कहा कि मारे गए 45 नागरिकों में से सबसे ज्यादा कातेरजी के हैं जहां रात के दौरान रूसी हमले में 17 लोग मारे गए। पूर्वी जिले में एएफपी के एक संवाददाता ने कहा कि व्हाइट हेलमेट के बचावकर्मी सोमवार की सुबह तक काम कर रहे थे ताकि कातेरजी में मलबे से करीब 20 लोगों को बाहर निकाला जा सके। सिविल डिफेंस के एक कार्यकर्ता ने कहा कि आकाश में मंडरा रहे युद्धक विमानों के और हवाई हमले की आशंका को देखते हुए रात के दौरान वे राहत मिशन पूरा नहीं कर सके।
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नई दिल्ली: पाकिस्तान के बलोच में पाकिस्तानी सेना के अत्याचार की कुछ नई तस्वीरें सामने आई है। पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान के कई इलाकों में में सैन्य कार्रवाई की है और कई लोगों का अपहरण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने इस ऑपरेशन के दौरान बलोच नागरिकों पर बेइंतहा जुल्म ढाए है। इस दौरान महिलाओं को सेना ने अगवा किया है। साथ ही नसीराबाद में बलोच नागरिकों के घर में आग लगाई गई है। पिछले तीन दिनों से जारी पाक सेना के इस ऑपरेशन में 25 से ज्यादा घर और गाड़ियां जलाई गई है। बताया जा रहा है कि इस दौरान एक बलोच नागरिक की भी मौत भी हो गई है। पाकिस्तानी सेना ने ये ऑपरेशन बलोच के शिरानी, छेतार, होती और कुनरी इलाके में किया है। बलोच रिपब्लिकन पार्टी के प्रवक्ता शेर मोहम्मद बुग्ती के मुताबिक पाकिस्तान के सशस्त्र सुरक्षाबलों की ओर से की गई अंधाधुंध गोलीबारी में एक बेकसूर बलोच की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी बलों ने छेतार,शिरानी, होती और नसीराबाद से सटे हुए इलाकों में सैनिक कार्रवाई की है। बुग्ती ने कहा कि जिस इलाके में बलोच नागरिक की मौत हुई है,वहां हेलिकॉप्टरों ने अंधाधुंध बमबारी की है।
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वॉशिंगटन: देश में राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनावों को लेकर आधे से अधिक अमेरिकी तनाव में हैं ओर जो लोग सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं उन पर तनाव हावी होने की आशंका अधिक है। अमेरिका के इतिहास में होने जा रहे सर्वाधिक विषमता भरे इन चुनावों से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। मीडिया के हर रूप में दैनिक कवरेज में राष्ट्रपति पद के चुनाव का वर्चस्व है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने अमेरिका में रह रहे 18 साल से अधिक उम्र के 3,511 वयस्कों को इस ऑनलाइन सर्वे में शामिल किया। एपीए के व्यावहारिक अनुसंधान एवं नीतिगत मामलों के लिए सहायक कार्यपालक निदेशक लिन बुफका ने बताया ‘हम देख रहे हैं कि आपका डेमोक्रेट या रिपब्लिकन के तौर पर पंजीकृत होना मायने नहीं रखता। अमेरिकी वयस्कों का कहना है कि इन चुनावों के कारण वह बेहद तनाव में हैं।’ बुफका ने कहा ‘सोशल मीडिया पर बहस, तर्कों, खबरों और वीडियो की वजह से चिंता, अवसाद बढ़ सकते हैं, खास उन हजारों टिप्पणियों से जो तथ्यात्मक, शत्रुतापूर्ण या फिर भड़काउ होती हैं।’ सर्वे में यह भी पता चला है कि सोशल मीडिया चुनाव और इससे संबंधित विषयों के संबंध में अमेरिकियों के तनाव के स्तर को प्रभावित करता प्रतीत होता है।
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बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की जननी’ करार देने के एक दिन बाद सोमवार को चीन ने अपने इस पुराने दोस्त का यह कहते हुए बचाव किया कि वह किसी देश या धर्म को आतंकवाद के साथ जोड़े जाने के विरूद्ध है और उसने विश्व बिरादरी से पाकिस्तान के ‘महान बलिदानों’ को स्वीकार करने का आह्वान किया। गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी द्वारा पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की जननी’ करार दिये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन किसी देश को आतंकवाद के साथ जोड़े जाने के विरूद्ध है। भारत की मुखालफत करने वाले आतंकवादी संगठनों को सहयोग और प्रश्रय देने को लेकर पाकिस्तान की मोदी द्वारा आलोचना किए जाने के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद निरोध पर चीन का रुख सुसंगत है। उन्होंने कहा, ‘इसी तरह, हम आतंकवाद को किसी खास देश या धर्म के साथ जोड़े जाने के विरूद्ध हैं।’ हू ने कहा, ‘हम सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करते हैं और हम मानते हैं कि सभी देशों के स्थायित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठित प्रयास की जरूरत है।’ यह जिक्र करते हुए कि भारत और पाकिस्तान ‘सभी आतंकवाद के पीड़ित’ हैं, प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में बड़ा बलिदान दिया है और इसे अंतरराष्ट्रीय जमात द्वारा स्वीकार किये जाने की जरूरत है।
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