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लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कि अयोध्‍या मामले की सुनवाई के लिए जनवरी में बेंच बनेगी, भाजपा नेताओं ने इस पर सियासत शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के ये कहते ही कि अयोध्‍या मामले की सुनवाई के लिए जनवरी में बेंच बनेगी, भाजपा के कई नेता सुप्रीम कोर्ट पर ही ऐसे राजनीतिक आरोप लगाने लगे जिन्‍हें दिखाना मुमकिन नहीं लेकिन संघ ने कहा कि लोग चाहते हैं कि मंदिर जल्‍दी बने इसलिए अदालत जल्‍दी फैसला दे।

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, 'संघ का मत है कि राम जन्‍मभूमि पर भव्‍य मंदिर शीर्घ बनना चाहिए और जन्‍मस्‍थान मंदिर निर्माण के लिए जमीन मिलनी चाहिए। मंदिर बने से देश में सद्भाव और एकता का वातावरण निर्माण होगा। इस दृष्टि से सर्वोच्‍च न्‍यायालय जल्‍दी निर्णय करे।' हालांकि सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है जिसका राजनीति से कोई ताल्‍लुकात नहीं है, लेकिन भाजपा नेता विनय कटियार ने सुनवाई टालने के लिए फौरन कांग्रेस को जिम्‍मेदार घोषित कर दिया।

वरिष्‍ठ पत्रकार बृजेश ब्रिजेश शुक्‍ला कहते हैं, 'भाजपा इसे मुद्दा बनाना चाहती है, जैसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सबरीमाला मामले में मुद्दा बनाया। ठीक उसी तरह से इस बात को कि इसकी सुनवाई जनवरी से होगी, इसे भी एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है। अब कांग्रेस को निशाने पर लेना चाहती है। भले कांग्रेस के नेता इस पर मौन साधे हों। कपिल सिब्‍बल उसके वकील ना हों, लेकिन वो कांग्रेस पर आक्रामक रहना चाहती है। वह ये दिखाना चाहती है कि कांग्रेस किसी भी सूरत में, किसी भी कीमत पर अयोध्‍या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होने देना चाहती।

विपक्षी दलों का सवाल है कि साढ़े चार साल से केंद्र में भाजपा सरकार है लेकिन उसे मंदिर बनाने की जल्‍दी नहीं थी। अब चुनाव के वक्‍त ही उसे इतनी जल्‍दी क्‍यों है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, 'हर पांच साल में चुनाव से पहले भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर ध्रुवकरण करने की कोशिश करती है। यह मुद्दा अब अदालत के सामने है। सबको उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसमें किसी को कूदना नहीं चाहिए।''

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