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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त चुनावी बॉन्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि उसे चुनावी बॉन्ड की संख्या (अल्फा-न्यूमेरिक नंबरों) का खुलासा भी करने को कहा गया था, जो उसने नहीं किया है।

मूल दस्तावेज वापस करने का निर्देश

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को मतदान पैनल द्वारा सीलबंद लिफाफे में दाखिल किए गए डेटा को स्कैन और डिजिटाइज किए जाने के बाद मूल दस्तावेज चुनाव आयोग को वापस करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसी के साथ इसे अधिमानतः शनिवार शाम 5 बजे तक पूरा किया जाने की बात कही।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से मामले में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर ध्यान दिया कि एसबीआई द्वारा चुनावी बॉन्ड के अल्फा-न्यूमेरिक नंबरों का खुलासा नहीं किया गया है।

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से मिला डेटा गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट में 763 पेजों की दो लिस्ट डाली गई है। एक लिस्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल है। दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का ब्यौरा है। चुनाव आयोग की वेबसाइट में अपलोड की गई सारी जानकारी 3 मूल्यवर्ग के बॉन्ड की खरीद से जुड़ा हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के खरीदे गए हैं। हालांकि, दी गई जानकारी में ये पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को डोनेशन दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को मंगलवार शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा सौंपने को कहा था। एसबीआई ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था।

नई दिल्ली: कांग्रेस के सीनियर नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयोग (ईसी) के एलान से पहले बड़ा दावा किया कि ज्ञानेश कुमार और बलविंदर संधू के नाम चुनाव आयुक्त के लिए तय हुए हैं। गुरुवार को यह बात उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने बताया कि दो चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बैठक हुई थी। वह चुनाव प्रचार छोड़ कर दिल्ली पहुंचे। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले ये रिक्तियां नहीं होनी चाहिए थीं। सुप्रीम कोर्ट की सलाह के खिलाफ जाकर चयन पैनल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को नहीं रखा गया।

कांग्रेस नेता के मुताबिक, "बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सिर्फ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह थे।" वह आगे बोले, मैंने पहले ही सूची मांगी थी क्योंकि चयन के लिए नामों की छोटी सूची मांगी थी ताकि हम जांच कर सकते थे। मगर वह मौका मुझे नहीं मिला। मुझे 212 नामों की सूची दी गई थी। रातों-रात 212 लोगों के बारे में जानकारी जुटाना संभव नहीं था। कमेटी में बहुमत सरकार के पास है। यानि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सरकार के मुताबिक ही होगी।

नई दिल्ली: एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने आज अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। देश भर में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट सौंपी गई है।

एक बयान में कहा गया कि पैनल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। यह रिपोर्ट 2 सितंबर 2023 को इसके गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य का परिणाम है।

कोविंद पैनल ने सिफारिश की है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। 

कोविंद पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक साथ मतदान होने से भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिल सकती है।

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