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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार शाम भारत के चुनाव आयोग के पास चुनावी बॉन्ड के बारे में डेटा जमा कर दिया। बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने अदालत के आदेश के अनुपालन की पुष्टि करते हुए एक हलफनामा भी पेश किया, जैसा कि अदालत ने आदेश दिया था, डेटा शुक्रवार शाम 5 बजे तक पोल पैनल द्वारा एकत्रित और जारी किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे सख्त आदेश

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्ड के विवरण 12 मार्च तक निर्वाचन आयोग को देने का आदेश दिया था और एसबीआई को चेतावनी दी थी कि इसके निर्देशों एवं समय सीमा का पालन करने में यदि वो नाकाम रहता है तो ‘‘जानबूझ कर अवज्ञा'' करने को लेकर अदालत उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने विवरण का खुलासा करने के लिए समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने संबंधी एसबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी।

शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को भी एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया है।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

इसी पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक'' करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और चंदा प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।

लोकसभा चुनाव से पहले आए इस फैसले में न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड योजना को तत्काल बंद करने तथा इस योजना के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान (एसबीआई) को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विस्तृत ब्योरा छह मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था।

विपक्षी नेताओं ने सोमवार को पारित शीर्ष अदालत के आदेश की सराहना की और कहा कि देश जल्द ही जान जाएगा कि किसने किस पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए कितना चंदा दिया है।

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