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नई दिल्ली: देश में जारी कोरोना संकट के बीच सरकार ने कोविड-19 से लड़ने और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी के लिए 15000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जारी यह इमरजेंसी पैकेज से कई राज्यों को आर्थिक मदद मिलेगी। इस पैकेज का इस्तेमाल कोविड-19 इमरजेंसी रेस्पांस में होगा। शुरुआत में 7774 करोड़ रुपये का इस्तेमाल होगा। इसके बाद बाकी बची रकम 7226 करोड़ साल 2024 तक समय-समय पर खर्च किए जाएंगे। इससे पहले केंद्र सरकार कोविड-19 के इलाज, इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे खर्चों के लिए 4113 करोड़ रुपये दे चुकी है।
'49,000 वेंटिलेटर भी खरीदे जा रहे हैं'
इससे पहले देश में जारी कोरोना संकट के बीच गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि कोरोनावायरस से 473 लोग अब तक अस्पताल से ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं, वहीं, कुल 5734 मामलों की पुष्टि हुई है।
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने करदाताओं और कारोबारियों को तुरंत बड़ी राहत देने का फैसला किया है। आयकर विभाग ने पांच लाख रुपये तक लंबित टैक्स रिफंड की वापसी तुरंत करने का फैसला किया है। इससे करीब 14 लाख करदाताओं को फायदा पहुंचेगा।
जीएसटी और सीमा शुल्क की वापसी भी जल्द
केंद्र सरकार लंबित 18,000 करोड़ रुपये जीएसटी (माल एवं सेवा कर) और सीमा शुल्क वापसी भी जल्द करेगी। लंबित जीएसटी और सीमा शुल्क वापसी भी करने के फैसले से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) समेत करीब एक लाख व्यवसायिक इकाइयों को लाभ होने की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत राज्यों की मदद के लिए करीब 34 हजार करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है। इनमें से 14,130 करोड़ रुपये मंगलवार को जारी कर दिए गए। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत राज्यों की मदद के लिए करीब 34 हजार करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है। इनमें से 14,130 करोड़ रुपये मंगलवार को जारी कर दिए गए।
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश में कोरोना वायरस के कारण उपस्थित चुनौतियों के मद्देनजर कहा है कि भारत आर्थिक लिहाज से आजादी के बाद के सबसे आपातकालीन दौर में है। सरकार को इससे निकलने के लिए विपक्षी दलों समेत विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए। राजन ने ‘हालिया समय में संभवत: भारत की सबसे बड़ी चुनौती’ शीर्षक से एक ब्लॉग पोस्ट में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि, ‘‘यह आर्थिक लिहाज से संभवत: आजादी के बाद की सबसे बड़ी आपात स्थिति है। ‘2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान मांग में भारी कमी आई थी, लेकिन तब हमारे कामगार काम पर जा रहे थे, हमारी कंपनियां सालों की ठोस वृद्धि के कारण मजबूत थीं, हमारी वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में थी और सरकार के वित्तीय संसाधन भी अच्छे हालात में थे। अभी जब हम कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इनमें से कुछ भी सही नहीं हैं।’’
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नई दिल्ली: संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी एनरॉक के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस साल देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 35 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। ये शहर हैं दिल्ली-एनसीआर ( गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद। कंपनी ने एक रिपोर्ट में कहा कि व्यावसायिक संपत्तियों की बिक्री पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार पट्टे पर कार्यालय लिये जाने की गतिविधियों में 30 प्रतिशत तक की तथा खुदरा क्षेत्र में 64 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ''नरम मांग तथा नकदी की खराब स्थिति से पहले से ही जूझ रहे भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर कोविड-19 के कारण भी प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है।
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