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नई दिल्ली: टिंग एजेंसी मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को भारत की सावरेन (राष्ट्रीय) रेटिंग को ' बीएए2 से घटाकर 'बीएए3 कर दिया। एजेंसी का कहना है कि निम्न आर्थिक वृद्धि और बिगड़ती वित्तीय स्थिति के चलते जोखिम कम करने वाली नीतियों के क्रियान्वयन में चुनौतियां खड़ी होंगी। एजेंसी ने एक वक्तव्य में कहा है, ''मूडीज़ ने सोमवार को भारत सरकार की विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा में अंकित दीर्घकालिक इश्यू (प्रतिभूतियों) की रेटिंग बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है। 'बीएए3 सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है।

एजेंसी ने कहा, ''मूडीज ने भारत की स्थानीय मुद्रा वरिष्ठ बिना गारंटी वाली रेटिंग को बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है। इसके साथ ही अल्पकालिक स्थानीय मुद्रा रेटिंग को भी पी-2से घटाकर पी-3 पर ला दिया गया है। वक्तव्य में कहा गया है कि नकारात्मक परिदृश्य में अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली में गहरा दबाव दिखाई देता है जिसके और नीचे जाने का जोखिम है। यह स्थिति मूडीज के मौजूदा अनुमान के मुकाबले वित्तीय मजबूती को अधिक गहरा और लंबा नुकसान पहुंचा सकती है।

नई दिल्ली: भारत में आज से अनलॉक 1.0 का आगाज हो गया है और इसके पहले ही दिन आम आदमी को झटका लगा है। देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने बिना सब्सिडी वाले एलपीजी रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में इजाफा कर दिया है। आज से 19 किलोग्राम और 14.2 किलोग्राम वाले गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलिंडर के दाम बढ़ गए हैं। तेल कंपनियां हर महीने की शुरुआत में एलपीजी सिलिंडर के दामों की समीक्षा करती है। हर राज्य में टैक्स अलग-अलग होता है और इसके हिसाब से एलपीजी के दामों में अंतर होता है।

11.50 रुपये महंगा हुआ गैर-सब्सिडी वाला सिलिंडर

आईओसीएल की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाला गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलिंडर 11.50 रुपये महंगा हो गया है। इसके बाद इसकी कीमत 593 रुपये हो गई है, जो पहले 581.50 रुपये थी। कोलकाता में इसका दाम 584.50 रुपये से बढ़कर 616 रुपये हो गया है, मुंबई में यह 579 रुपये से बढ़कर 590.50 रुपये हो गया है। वहीं चेन्नई में यह पहले 569.50 रुपये का था, जो आज से 606.50 रुपये का हो गया है।

नई दिल्ली: लॉकडाउन ने दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और दिग्गज कंपनियों की हालत पतली कर दी है। लेकिन इसकी सबसे अधिक मार भारत के छोटे किराना दुकानदारों पर पड़ी है। एक आकलन के मुताबिक देश करीब सात लाख छोटी किराना की दुकानें अब हमेशा के लिए बंदी के कगार पहुंच चुकी हैं। यह दुकानें घरों या गलियो में हैं। इसमें करोड़ों लोगों को रोजगार मिला है और उनकी रोजी-रोटी इसी पर टिकी है।

क्यों बढ़ी चुनौती

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब एक करोड़ छोटे किराना दुकानदार हैं। इसमें से करीब छह से सात फीसदी सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं यानी इनके पास आने-जाने के लिए अपना कोई साधन नहीं है। सार्वजनिक परिवहन नहीं चलने से यह अपनी दुकान पर जाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में पिछले दो माह से अधिक समय से इनकी दुकानें बंद पड़ी हैं। लॉकडाउन हटने के बाद भी छोटे किराना दुकानदारों के लिए राह आसान नहीं है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि नकदी की किल्लतऔर ग्राहकों की कमी इनके लिए बड़ी चुनौती है।

नई दिल्ली: गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया चालू पेराई सत्र में 17,134 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करना होता है। यदि चीनी मिलें भुगतान करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें 14 दिन से अधिक देर होने पर, प्रति वर्ष 15 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होता है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों ने अक्टूबर-सितंबर 2019-20 गन्ना पेराई सत्र में 28 मई तक गन्ने की सकल 64,261 करोड़ रुपये देय राशि में से 47,127 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का भुगतान किया था। आंकड़ों के अनुसार अभी तक कुल गन्ना बकाया 17,134 करोड़ रुपये है। चीनी सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) का गन्ने का बकाया 18,140 करोड़ रुपये था।

ऐसे बढ़ता गया किसानों का बकाया

चीनी सत्र 2017-18 और 2018-19 में चीनी के अधिशेष उत्पादन के कारण चीनी की कीमतों में गिरावट ने मिलों की नकदी की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे किसानों का गन्ना मूल्य बकाया बढ़ता चला गया।

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