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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का असर सरकारी योजनाओं पर भी पड़ने लगा है। केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष (2020-21) में कोई भी नई सरकारी योजना की शुरुआत नहीं करने का फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को नई योजनाओं को इस वित्त वर्ष तक नहीं शुरू करने को कहा है। हालांकि, सरकार ने आत्म निर्भर भारत अभियान और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजनाओं पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई है। सरकार ने साफ किया है कि अगले आदेश तक विभिन्न मंत्रालय नई योजनाओं की शुरुआत नहीं कर सकते हैं और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना या आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मालूम हो कि सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए बीते दिनों मोदी सरकार ने 20 लाख 97 हजार 53 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार पांच दिनों तक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार द्वारा उठाए गए सभी महत्वपूर्ण कदमों की विस्तार से जानकारी दी थी। सरकार ने समाज के आखिरी तबके पर खड़े लोगों तक मदद पहुंचाने का दावा किया है।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऋण अदायगी स्थगित रखने की अवधि में कर्ज पर ब्याज माफ करने के सवाल पर गुरुवार को वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा। भारतीय रिजर्व बैंक पहले ही कह चुका है कि बैंकों की माली हालत को जोखिम में डालते हुये जबरन ब्याज माफ करना विवेकपूर्ण नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उसके विचारार्थ दो पहलू हैं। पहला ऋण स्थगन अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज नहीं और दूसरा ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाए।
ईएमआई स्थगित पर ब्याज में छूट क्यों नहीं
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह चुनौतीपूर्ण समय है और यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि जहां एक ओर ईएमआई स्थगित किया गया है तो दूसरी ओर कर्ज पर ब्याज लिया जा रहा है।
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि आवश्यक वस्तु कानून में किसान हितैषी सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है। अनाज, तेल, तिलहन, दाल, प्याज, आलू आदि को इससे बाहर कर दिया गया है। अब किसान मर्जी के मुताबिक निर्यात और भंडारण कर सकेंगे।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पीएम की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि से संबंधित तीन और अन्य फैसले लिए गए। कृषि को लेकर ऐतिहासिक फैसले हुए हैं। किसानों की 50 साल पुरानी मांगे पुरी हुई है। अतिआवश्यक वस्तु कानून में किसान हितैषी सुधार किए गए हैं। यह कानून तब बना था जब देश में किल्लत होती थी। आज कोई किल्लत नहीं है कृषि उत्पादन की। इसलिए ऐसे समय में ऐसे बंधन डालने वाले कानून की जरूरत नहीं थी। पहले शक्कर राशन की दुकानों में सस्ती मिले इसके लिए शक्कर पर लेवी होती थी। अभी भी ऐसे प्रावधान हैं कि कीमतें बढ़ती हैं तो किसानों पर बंधन होती है। आवश्यक वस्तु अधिनियम की लटकती तलवार ने निवेश, निर्यात को रोका। आज इसे खत्म किया गया है।
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नई दिल्ली: देश में जारी कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में एमएसएमई और किसानों के लिए कई अहम फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, नितिन गडकरी और नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी दी। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को पर्याप्त फंड दिया गया है और उन्हें लोन देने के लिए कई योजना बनाई गई है। जावड़ेकर ने कहा कि अब छोटे और मध्यम कारोबार शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि एमएसएमई में नई नौकरियां आएंगी।
जावडे़कर ने कहा कि आज किसानों के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं। किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कुल लागत का डेढ़ गुना रखा जाएगा। इसके साथ-साथ सरकार ने खरीफ की 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 से 83% तक बढ़ाया दिया है। जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनेट के फैसले से देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि किसान अब जहां चाहेंगे अपनी फसल बेच सकेंगे।
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