ताज़ा खबरें
संभल हिंसा: सपा सांसद बर्क और पार्टी विधायक के बेटे पर मुकदमा
संसद में अडानी के मुद्दे पर हंगामा, राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित
संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा:अब तक 4 लोगों की मौत
निज्जर हत्याकांड: कनाडा में चार भारतीयों के खिलाफ सीधे होगा ट्रायल

नई दिल्ली: देश में लगातार 18वें दिन डीजल की कीमत में बढ़ोतरी हुई लेकिन आज पेट्रोल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली में आज पहली बार ऐसा हुआ है कि डीजल की कीमत पेट्रोल से भी महंगी हो गई है। पिछले 18 दिनों में डीजल की कीमत कुल 10.48 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है और पेट्रोल 8.50 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में मामूली तेजी के बीच डीजल का दाम बढ़ा है।

प्रमुख महानगरों में इतनी है कीमत

आज दिल्ली में एक लीटर डीजल 0.48 पैसे महंगा हुआ है। इसके बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 79.76 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहीं, डीजल की कीमत 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई। आईओसीएल की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत क्रमश: 81.45, 86.54 और 83.04 रुपये प्रति लीटर है। डीजल की बात करें, तो इन महानगरों में इसका दाम क्रमश: 75.06, 78.22 और 77.17 रुपये है। 

नई दिल्ली: पिछले 14 दिनो से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि रविवार (15वें दिन) को भी जारी रही। रविवार को पेट्रोल की कीमत में 35 पैसे का इजाफा हुआ और पिछले पंद्रह दिनों में यह 7.97 रुपये लीटर महंगा हुआ। वहीं डीजल के दाम में रविवार को 60 पैसे की बढ़ोतरी हुई और 15 दिनों में यह 8.88 रुपये लीटर महंगा हुआ। पिछले 19 महीने में दिल्ली में पेट्रोल सबसे महंगा हो गया है और कीमत 80 रुपये लीटर तक पहुंच गई है।

2018 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया था। 16 अक्टूबर 2018 को डीजल के दाम ने दिल्ली में 75.69 रुपये प्रति लीटर के शिखर छू लिया था और 4 अक्टूबर 2018 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत बढ़कर 80 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। डीजल की कीमत अब नई ऊंचाई पर है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा देने के 18 महीनों बाद एक बार फिर उर्जित पटेल की सरकार में वापसी हुई है। शुक्रवार को पटेल को भारत के प्रमुख आर्थिक थिंक टैंक 'राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान' (एनआईपीएफपी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।  एनआईपीएफपी ने एक बयान में कहा कि पटेल लगभग छह सालों तक एनआईपीएफपी की कमान संभालने वाले पूर्व नौकरशाह विजय केलकर की जगह लेंगे। वह 22 जून को पद संभालेंगे और उनका कार्यकाल चार साल का होगा।

एनआईपीएफपी वित्त मंत्रालय, पूर्ववर्ती योजना आयोग और कई राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक स्वायत्त निकाय है। यह एक स्वतंत्र गैर-सरकारी निकाय है और केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों को सलाह देते हुए सार्वजनिक नीति में अनुसंधान करता है। गवर्निंग काउंसिल का पटेल को नियुक्त करने का निर्णय इस बात का संकेत है कि केंद्र उनके अनुभव का इस्तेमाल कर कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना करना चाहती हैं। 

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): भारत-चीन सीमा विवाद के बाद चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर बहस छिड़ चुकी है। अगर भारत सरकार के स्तर पर बहिष्कार का फैसला लिया गया, तो रेलवे को लेकर चीनी कंपनियों को खासा नुकसान हो सकता है। इस बीच डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर ने काम कम होने का हवाला देते हुए चीनी कंपनी से 4 साल पुराना 471 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिया है। पटरियों पर दौड़ती इन ट्रेनों में खासा सामान विदेशों का लगा होता है और अधिकांश सामान का आयात चीन से होता है। कुछ यूरोप के देशों के भी सामान होते हैं पर चीन सबको पीछे छोड़ चुका है। भारत में हर साल सात से आठ हजार रेलवे कोच बनते हैं।

आपको बता दें, आयात होकर कोच में लगने वाले कंपोनेंट में एयर स्प्रिंग दो पहियों के बीच लगता है और हर कोच में लगने वाले चार एयर स्प्रिंग की कीमत चार लाख रुपये तक पड़ती है। साथ ही हर कोच में एयर स्प्रिंग को लेकर लगने वाले 1 कंट्रोलिंग सिस्टम की कीमत 1.5 लाख रुपये होती है। एक कोच में एक ब्रेक इक्विपमेंट कीमत 15-20 लाख रुपये। एलईडी लाइट, स्विच और फायर प्रूफिंग इलेक्ट्रिक केबल्स के रॉ मटेरियल की कीमत हर कोच में 10-15 लाख बैठता है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख