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नई दिल्ली: खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वित्त मंत्री पियूष गोयल को पत्र भेजकर आज कहा कि वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदा भारतीय खुदरा उद्योग के लिए कैंसर साबित होगा। कैट ने आज कहा कि उसने पत्र में गोयल का ध्यान इस बाबत भी आकृष्ट किया है कि कई बार सूचित किये जाने के बाद भी वाणिज्य मंत्रालय ने इस सौदे के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदा खुदरा व्यापार तथा देश की अर्थव्यवस्था के लिए कैंसर साबित होगा।

कैट ने कहा, एक महीने से अधिक गुजर चुके हैं लेकिन हमें यह समझ नहीं आ रही है कि सरकार को इस सौदे पर कदम उठाने से क्या चीज रोक रही है, जबकि सौदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति की अवमानना कर रहा है और कानून का उल्लंघन कर रहा है। यह देश के खुदरा व्यापार में वालमार्ट को पिछले दरवाजे से प्रवेश देने का खुला मामला है।

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के जानबूझकर का कर्ज न चुकाने वाले (विलफुल डिफाल्टर) बड़े कर्जदारों पर बकाया मई अंत तक बढ़कर 15,490 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह इससे पिछले महीने की तुलना में दो प्रतिशत अधिक है। इसमें वे कर्जदार शामिल हैं जिनपर बैंक का बकाया 25 लाख रुपये या उससे अधिक का है। सार्वजनिक क्षेत्र के पीएनबी के आंकड़ों में उन जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों का आंकड़ा शामिल है, जो क्षमता होने के बावजूद अपना कर्ज नहीं चुका रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार इस साल 30 अप्रैल के अंत तक इन कर्जदारों पर 15,199.57 करोड़ रुपये का बकाया था। मार्च, 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक के बही खाते में बड़े कर्जदारों की बकाया राशि 15,171.91 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2017-18 में पीएनबी का एकल शुद्ध घाटा 12,282.82 करोड़ रुपये था। इससे पिछले वित्त वर्ष में बैंक ने 1,324.80 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।

नई दिल्ली: सवा दो लाख से ज्यादा मुखौटा कंपनियों पर पंजीकरण रद होने की तलवार लटक रही है। कॉरपोरेट मामले के राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने रविवार को कहा कि इन कंपनियों को भेजे गए नोटिस का उचित जवाब नहीं मिला तो उनका पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। इन कंपनियों के भविष्य का फैसला एक माह में कर लिया जाएगा। चौधरी ने कहा कि निवेशकों के हितों की कीमत में कंपनियों को आजादी नहीं दी जा सकती और सरकार कारोबारी पारदर्शिता लाने को लेकर प्रतिबद्ध है। मुखौटा कंपनियों की जांच में काला धन और हवाला कारोबार का बड़ा खुलासा हो सकता है।

पिछले दो सालों से कोई कारोबार नहीं करने वाली इन कंपनियों को नोटिस देकर पूछा गया है कि क्यों न उनकी मान्यता रद कर दी जाए। उनकी वित्तीय गतिविधियों को खंगाला जा रहा है और इसके बाद उनको आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चौधरी ने कहा कि उद्योग जगत में यह आशंका है कि गैरकानूनी वित्तीय गतिविधियों पर अंकुश से कंपनियों के कामकाज की आजादी प्रभावित हो सकती है, लेकिन यह स्वायत्तता कारपोरेट कानूनों और नियमों से परे नहीं हो सकती। कंपनियों को कानूनों का पालन करना ही होगा।

नई दिल्ली: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की मुसीबतें एक बार फिर से बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धनशोधन तथा बैंकों के समूह को 6,027 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में माल्या तथा उसकी कंपनियों के खिलाफ जल्दी ही नया आरोपपत्र दायर करने वाली है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि ईडी इस आरोप पत्र के साथ अदालत से ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश’ के तहत माल्या एवं उसकी कंपनियों की नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को तत्काल जब्त करने की स्वीकृति मांगेगी

। ईडी अब तक इस मामले में 9,890 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुकी है। अधिकारियों ने कहा, नया आरोप पत्र भारतीय स्टेट बैंक की उस शिकायत पर आधारित है जो उसने माल्या व उसकी कंपनियों द्वारा 2005-10 से दौरान बैंकों के समूह से लिए गए 6,027 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान नहीं करने से संबंधित है। अधिकारियों ने कहा, ईडी ने पाया कि ऋण के हेर-फेर के लिए फर्जी कंपनियों के समूह का इस्तेमाल किया गया।

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