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नई दिल्ली: भारत ने चेतावनी दी कि यदि कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ते हैं तो इसकी मांग में 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक की गिरावट आ सकती है। यह उन कारणों में एक बड़ा कारण रहा जिसके बाद तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने कच्चे तेल के दाम में गिरावट लाने के लिये उत्पादन बढ़ाने की पहल की। पिछले सप्ताह वियेना में ओपेक की बैठक के दौरान पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम में शामिल अधिकारियों ने दुनिया के सबसे ताकतवर तेल उत्पादक देशों के इस संगठन के समक्ष उपभोक्ताओं का पक्ष रखा।
मामले से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने कहा कि प्रधान और इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने ऊंची कीमत के मांग पर प्रभाव को लेकर एक अनौपचारिक पर्चा भी पेश किया। इसमें कहा गया है कि यदि कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचते हैं तो 2025 तक इसकी मांग में करीब 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आएगी। ओपेक की बैठक में दस लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया गया। पहले से ही 3.2 से 3.3 करोड़ बैरल प्रतिदिन का उत्पादन हो रहा है।
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नई दिल्ली: देश में ऑनलाइन खुदरा कारोबार (ई-कॉमर्स) का राजस्व अगले पांच वर्षों में दोगुना बढ़ जाएगा। डिजिटल और विपणन कंपनी ‘एडमिटेड’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश में ई-कॉमर्स का बाजार सालाना काफी तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2017 में कुल जनसंख्या के करीब 37% लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे, इनमें से 14% नियमित रूप से ऑनलाइन खरीदारी कर रहे थे। जनसंख्या में इंटरनेट उपयोक्ताओं की यह भागीदारी वर्ष 2021 तक बढ़कर 45 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
इसी तरह ऑनलाइन खरीदारों की संख्या भी करीब 90 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। रिपोर्ट बताती है कि आधे से अधिक ऑनलाइन भारतीय खरीदार आपूर्ति के समय भुगतान (पीओडी) यानी कैश ऑन डिलीवरी को वरीयता देते हैं। इसी तरह डिजिटल भुगतान के समय 15 प्रतिशत डेबिट कार्ड से जबकि 11 प्रतिशत क्रेडिट कार्ड से भुगतान को वरीयता देते हैं।
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नई दिल्ली: सरकार खादी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने की योजना बना रही है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ही इस ब्रांड का प्रचार कर सकेगा और खादी ब्रांड पर उसका ही दावा होगा । एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। केवीआईसी खादी को दुनियाभर के प्रदर्शिनियों में पेश करेगा और इसका प्रचार करेगा। इससे उन विदेशी कंपनियों को दिक्कतें हो सकती हैं जो खादी को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराने की कोशिश में लगी हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) सचिव अरुण कुमार पांडा ने कहा , हमें समुचित ब्रांडिंग की जरूरत है। हम इस बारे में वाणिज्य मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं। आप एक बार खादी को एक ऐसे भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करना शुरू करेंगे जिसके ऊपर सिर्फ केवीआईसी अपना होने का दावा कर सके तो अन्य लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे।
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नई दिल्ली: भारतीय पूंजी बाजार को लेकर विदेशी निवेशकों का सतर्कता वाला रवैया जून माह में भी जारी रहा। जून महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अब तक भारतीय पूंजी बाजारों से 14,500 करोड़ रुपये की निकासी की है। मुख्य रूप से वैश्विक व्यापार युद्ध तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक रुख अपनाये जाने के संकेत से विदेशी निवेशकों ने निकासी की है। डिपॉजिटरियों के ताजा आंकड़ों के अनुसार ताजा निकासी समेत विदेशी निवेशक भारतीय पूंजी बाजार (शेयर और ऋण) से इस साल अब तक 46,600 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं।
इस महीने एक से 22 जून तक एफपीआई ने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 5,360 करोड़ रुपये तथा ऋण या बांड बाजार से 9,219 करोड़ रुपये की निकासी की है। इस तरह उन्होंने कुल मिलाकर 14,579 करोड़ रुपये का निवेश बाजार से वापस खींच लिया है। इससे पिछले दो माह के दौरान एफपीआई ने शुद्ध रूप से 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
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