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नई दिल्ली: सवा दो लाख से ज्यादा मुखौटा कंपनियों पर पंजीकरण रद होने की तलवार लटक रही है। कॉरपोरेट मामले के राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने रविवार को कहा कि इन कंपनियों को भेजे गए नोटिस का उचित जवाब नहीं मिला तो उनका पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। इन कंपनियों के भविष्य का फैसला एक माह में कर लिया जाएगा। चौधरी ने कहा कि निवेशकों के हितों की कीमत में कंपनियों को आजादी नहीं दी जा सकती और सरकार कारोबारी पारदर्शिता लाने को लेकर प्रतिबद्ध है। मुखौटा कंपनियों की जांच में काला धन और हवाला कारोबार का बड़ा खुलासा हो सकता है।

पिछले दो सालों से कोई कारोबार नहीं करने वाली इन कंपनियों को नोटिस देकर पूछा गया है कि क्यों न उनकी मान्यता रद कर दी जाए। उनकी वित्तीय गतिविधियों को खंगाला जा रहा है और इसके बाद उनको आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चौधरी ने कहा कि उद्योग जगत में यह आशंका है कि गैरकानूनी वित्तीय गतिविधियों पर अंकुश से कंपनियों के कामकाज की आजादी प्रभावित हो सकती है, लेकिन यह स्वायत्तता कारपोरेट कानूनों और नियमों से परे नहीं हो सकती। कंपनियों को कानूनों का पालन करना ही होगा।

 

उन्होंने स्पष्ट किया कि पुराने या नए किसी भी कानून की तरह मुखौटा कंपनियों को कामकाज की इजाजत नहीं दी जा सकती, भले ही पहले की सरकार में ऐसा होता रहा हो।

दो साल से कोई वित्तीय गतिविधि नहीं

मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का यह दूसरा चरण है। जिन कंपनियों ने पिछले दो साल में किसी वित्तीय गतिविधि का ब्योरा नहीं दिया है या कंपनी निष्क्रिय या बंद होने की जानकारी भी नहीं दी है,वे इस जांच के दायरे में हैं। चौधरी ने कहा कि जांच से इन कंपनियों की सही स्थिति का पता चलेगा।

पहले भी हुई बड़ी कार्रवाई

2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण पहले ही रद किया जा चुका

1.68 लाख कंपनियों ने नोटबंदी के बाद खातों में पैसा जमा किया

73 हजार कंपनियों ने 24 हजार करोड़ रुपये जमा कराए

19 बड़ी कंपनियों के खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी में जांच शुरू हुई

58 हजार कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों की बैंक पड़ताल कर रहे

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