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कराची: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सहवान कस्बे में स्थित लाल शाहबाज कलंदर दरगाह के भीतर आज (गुरूवार) हुए आत्मघाती विस्फोट में कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई और 250 से अधिक लोग घायल हो गए। पाकिस्तान में एक सप्ताह के भीतर यह पांचवां आतंकी हमला हुआ है। पुलिस के अनुसार यह धमाका सूफी रस्म ‘धमाल’ के दौरान हुआ। विस्फोट के समय दरगाह के परिसर के भीतर सैकड़ों की संख्या में जायरीन मौजूद थे। तालुका अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मोइनुद्दीन सिद्दीकी के हवाले से ‘डान’ ने खबर दी है कि कम से कम 72 शवों और 250 से अधिक घायलों को अस्पताल लाया गया है।इलाके के अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है। घटनास्थल से अस्पतालों की दूरी बहुत अधिक है। सबसे निकट चिकित्सा परिसर 40 से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तारिक विलायत ने बताया कि शुरूआती रिपोर्ट से पता चलता है कि यह आत्मघाती विस्फोट है। विस्फोट दरगाह में महिलाओं के लिए आरक्षित क्षेत्र में हुआ। विलायत ने कहा, ‘सहवान पुलिस की ओर से प्रदान की गई शुरूआती सूचना के अनुसार यह आत्मघाती विस्फोट मालूम पड़ता है। मैं सहवान जा रहा हूं।’ बचाव अधिकारियों ने कहा कि पर्याप्त एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। सप्ताह में गुरूवार के दिन बड़ी संख्या में लोग दरगाह जाते हैं। विलायत ने कहा, ‘हैदराबाद और निकट के स्थानों से एंबुलेंस को मौके पर भेजा गया।’
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बीजिंग: चीन के आधिकारिक मीडिया ने ‘ताइवान कार्ड’ खेलने को लेकर भारत को आगाह करते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर बीजिंग को चुनौती देने का नयी दिल्ली को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ताइवान के महिला सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के बाद मीडिया ने नयी दिल्ली को आगाह किया है। सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में ‘नयी दिल्ली को ताइवान कार्ड खेलने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा’ शीर्षक से प्रकाशित एक आलेख में कहा है, ‘ताइवान के मुद्दे पर चीन को चुनौती देकर भारत आग के साथ खेल रहा है।’ अखबार में प्रकाशित आलेख में कहा गया है, ‘ऐसे समय में जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान के मुद्दे पर चीन को चुनौती नहीं देकर ‘एक चीन’ की नीति पर सहमत होने और इसका सम्मान करने का फैसला किया है, भारत ने मुश्किल खड़ी की है।’ ताइवान के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के संदर्भ में आलेख में सवाल उठाया गया है। इसमें कहा गया है, ‘भारत और ताइवान के बीच आम तौर पर उच्चस्तरीय यात्राएं नहीं होती हैं, ऐसे में भारत ने इस समय में यात्रा के लिए ताइवान के प्रतिनिधिमंडल को क्यों आमंत्रित किया।’
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वाशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जानते हैं कि रूस के साथ ‘बेहतर संबंध’ अमेरिका के हित में है और इसलिए वह पूर्ववर्ती प्रशासन से इतर रूस के साथ मित्रवत संबंध चाहते हैं जबकि ओबामा प्रशासन इस तरह के प्रयास में नाकाम रहा था। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने कल संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है राष्ट्रपति की उस इच्छा में थोड़ा अंतर है कि वह यह समझते हैं कि रूस के साथ बेहतर संबंध समूची दुनिया में आईएसआईएस और आतंकवाद के खात्मे में हमारी मदद कर सकता है। ओबामा प्रशासन ने रूस के साथ संबंध सुधारने की कोशिश तो की, लेकिन वो नाकाम रहे।’स्पाइसर ने कहा, ‘उन्होंने रूस को बताने की कोशिश की कि क्रीमिया पर आक्रमण नहीं करें, लेकिन नाकाम रहे। मौजूदा राष्ट्रपति यह समझते हैं कि सहज संबंध अमेरिका के राष्ट्रीय और आर्थिक हित में है। अगर पुतिन और रूस के साथ उनके बेहतर रिश्ते हैं तो यह अच्छा है और अगर ऐसा नहीं होता है तो वह इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।’ उन्होंने कहा कि लेकिन वह सिर्फ ये बात मानने को तैयार नहीं हैं कि अतीत में ऐसा होना संभव नहीं था। स्पाइसर ने दृढ़ता से इस बात का खंडन किया कि ट्रम्प रूस को लेकर नरम हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें उम्मीद है कि रूस सरकार यूक्रेन में हिंसा कम करेगी और क्रीमिया को वापस लौटायेगी।
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वॉशिंगटन: अमेरिका के एक वरिष्ठ सीनेटर ने उम्मीद जताई है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप H1B वीजा योजना को कमजोर नहीं करेंगे। इस वीजा योजना से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले भारतीयों के हित जुड़े हुए हैं। सीनेट की वित्त समिति के प्रमुख सीनेटर ओरियन हैच ने कहा कि ट्रंप के साथ कई मुलाकातों में उन्होंने H1B वीजा कार्यक्रम को जारी रखने और इसका विस्तार करने के आर्थिक फायदों के बारे में चर्चा की। हैच ने मीडिया टेक्नोलॉजी कंपनी ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ से कहा कि ट्रंप के साथ मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने उनको आश्वस्त किया कि वह H1B वीजा को लेकर व्यावहारिक रूख अपनाएंगे। उन्होंने कहा, ‘इससे नौकरियां पैदा होती हैं, अर्थव्यवस्था आगे की ओर बढ़ती है। मेरा मानना है कि राष्ट्रपति राजनीतिक भावनाओं को अलग रख सकते हैं।’
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