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इस्लामाबाद: रिपोर्ट है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर हमले किए हैं। इन हमलों की रिपोर्टें पाकिस्तान सेना के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद आई हैं कि उसे सूफी दरगाह पर आतंकवादी हमले के रिश्ते सरहद पार के आतंकवादियों से मिले हैं। पाकिस्तान ने कल अफगान राजनयिकों को तलब किया था और उन्हें 76 आतंकवादियों की सूची सौंपी थी जिनके बारे में उसका कहना है कि वे पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं। यह कदम लाल शहबाज कलंदर की दरगाह पर शुक्रवार की रात के आत्मघाती हमले के बाद उठाया गया है जिसमें 88 लोगों की मौत हो गई। आत्मघाती हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान ने दावा किया था कि हमले की साजिश अफगानिस्तान में आतंकवादी पनाहगाहों में रची गई है। यह टिप्पणी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों में नई तल्खी ला सकती है। जियो टीवी ने सैन्य सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अफगानिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर हमले कल रात में किए गए। लेकिन इस बाबत आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। अगर इन हमलों की पुष्टि हो गई तो यह अफगान सरजमीन में पाकिस्तानी सेना का इस तरह का पहला अभियान होगा। जियो की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के खबर और मोहमंद कबायली एजेंसियों के पार जमात-उल-अहरार के चार शिविरों पर हमले किए गए।

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि आतंकवाद के खतरे से मुकाबला कर उसे शिकस्त देनी चाहिए और भरोसा जताया कि उनका प्रशासन यह लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होगा। उन्होंने कल देश के नाम अपने साप्ताहिक रेडियो एवं वेब संबोधन में कहा, ‘आतंकवाद का खतरा.. मेरी बात मानिए, यह एक खतरा है जिसका मुकाबला कर उसे शिकस्त देनी चाहिए और हम शिकस्त देंगे।’ ट्रम्प ने इस हफ्ते कहा था कि वह इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिले थे और उन्हें इस्राइल की सुरक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अपने प्रिय सहयोगी इस्राइल के साथ अटूट बंधन की पुष्टि की और मेरे दोस्त प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का व्हाइट हाउस में स्वागत करना मेरे लिए सम्मान की बात थी। ट्रम्प ने कहा, मैंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सामने बेहतर सुरक्षा एवं स्थिरता की दिशा में इस्राइल और हमारे दूसरे सहयोगियों एवं भागीदारों के साथ काम करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

लॉस एंजिलिस: इस साल के स्थापना दिवस कार्यक्रम में दलाईलामा को आमंत्रित करने के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के फैसले से चीनी विद्यार्थियों में आक्रोश है जो इस चुनाव को टकराव के तौर पर देखते हैं। कैलीफोर्निया सान डियागो विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता के ‘वैश्विक जिम्मेदारी एवं मानवता की सेवा’ के संदेशों के प्रचार के प्रयास के तहत उन्हें आमंत्रित किया है। हालांकि चीनी विद्यार्थियों एवं विद्वानों के एसोसिएशन एवं अन्य संगठनों ने इस पर एतराज किया है और 81 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता को चीन को बांटने की मंशा वाला अलगाववादी नेता करार दिया। विद्यार्थी एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘दलाईलामा न केवल धार्मिक नेता है बल्कि एक राजनीतिक निर्वासित हैं जो मातृभूमि को विभाजित करने और राष्ट्रीय एकता को नष्ट करने में लंबे समय से लगे हुए हैं।’

न्यूयार्क: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोदी ने आरोप लगाया कि कश्मीरियों को आत्मनिर्धारण के अधिकार से ‘वंचित’ रखने के कारण हाल में कश्मीर में ‘विस्फोटक स्थिति’ पैदा हुई जिससे क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के सामने खतरा आया। उन्होंने कहा कि हाल में वहां भड़की आग का मुख्य कारण कश्मीर के लोगों को ‘आत्मनिर्धारण के अधिकार से वंचित’ रखा जाना है जिसका उनसे ‘सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा स्वतंत्र जनमत संग्रह के जरिये वादा किया गया था। इससे वहां क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा पर खतरा पैदा हुआ। मलीहा ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के मिशन में ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक कश्मीर ‘आजाद’ नहीं हो जाता, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्धारण के अधिकार के लिए उनके ‘संघर्ष’ को ‘नैतिक, राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन’ देता रहेगा। उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की तरफ से वह संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर सक्रियता से कश्मीर का मुद्दा उठा रही है, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र नेतृत्व एवं साथ ही सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के साथ बैठकों के दौरान भी यह मुद्दा उठाया जिन्होंने (अध्यक्ष) तब पाकिस्तान के अनुरोध पर सुरक्षा परिषद को मुद्दे से अवगत कराया।

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