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लखनऊ: केन्द्र सरकार के रेलवे बोर्ड और कमिशनर रेलवे सेफ्टी ने लखनऊ में मेट्रो के संचालन को तकनीकी अनुमति दे दी है। जिसके बाद लखनऊ मेट्रो के कमर्शियल रन की अड़चनें दूर हो गई। सीनियर पीआरओ अमित श्रीवास्तव के मुताबिक अब रेल सेफ्टी के आयुक्त (सीआरएस) के अधिकारी लखनऊ आकर मेट्रो के कमर्शियल रन का निरीक्षण करेंगे। उनके हरी झण्डी दिखाते ही यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास जायेगा और वो इसको कब से चलाना है इसकी तिथि की घोषणा करेंगे। एलएमआरसी के सीनियर पीआरओ ने बताया कि लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन (एलएमआरसी) को लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार गुरुवार को तकनीकी स्टॉक (मेट्रो रेल) रेलवे मंत्रलय भारत सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। मेट्रो ट्रेन लखनऊ में 80 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से दौड़ेगी। इस संबंध में एलएमआरसी ने अपने पेपर रेल सेफ्टी के आयुक्त (सीआरएस) को 30 मार्च 2017 को भेजे थे। इसके बाद क्लीयरेंस के लिए रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रलय भारत सरकार को भेजा गया था। इस खबर के आने के बाद यह कयास लगाये जाने लगे हैं कि 21 जून को योग दिवस के दिन से मेट्रो लखनऊ में दौड़ने लगेगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन लखनऊ में रहेंगे। उनके साथ देश भर के केन्द्रीय मंत्री भी राजधानी में रहेंगे। और योग दिवस के कार्यक्रम के बाद वे लखनऊ वालों को यह सौगात भी दे सकते हैं।

डलहौजी/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में सहारनपुर हिंसा के मुख्य आरोपी एवं भीम आर्मी का संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण को यूपी एसटीएफ ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। उसे हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से अरेस्ट किया गया है। यूपी एसटीएफ चंद्रशेखर को गिरफ्तार करके सहारनपुर लेकर आ रही है। यहां उससे शहर में हुई हिंसा को लेकर पूछताछ की जाएगी। चंद्रशेखर व उसके साथियों पर पुलिस ने 12-12 हजार रुपये का इनाम भी रखा था। वहीं, इसी दौरान हिंसा के मामले से जुड़े 11 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। बता दें कि 20 अप्रैल को सहारनपुर के सड़क दूधली में बाबा आम्बेडकर की जयंती के मौके में शोभायात्रा निकालने को लेकर दो समुदायों में भिड़ंत हो गई थी। इसके बाद हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहारनपुर पहुंचे थे। मायावती ने जातीय हिंसा के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जातिवादी तत्व सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करके माहौल बिगाड़ रहे हैं।

लखनऊ: विशेष अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को बड़ी राहत देते हुए अयोध्या मामले में सुनवाई के लिए रोजाना व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी है। रायबरेली में निचली अदालत की सुनवाई के दौरान भी तीनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी गयी थी। मामले में 34 आरोपी हैं। सीबीआई की विशेष अदालत उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार रोजाना सुनवाई कर रही है। आडवाणी, जोशी और उमा को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की छूट अलग अलग वजहों से दी गयी है। अदालत ने हालांकि कहा कि निर्देश होने पर तीनों को अदालत में आकर पेश होना पडेगा। भाजपा नेताओं के वकील ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने की छूट दिये जाने के पीछे आडवाणी और जोशी की वृद्धावस्था तथा केन्द्रीय मंत्री उमा भारती की व्यापक यात्राओं का हवाला दिया गया। अदालत ने 30 मई को आडवाणी, जोशी और उमा के अलावा नौ अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप तय किया था। बरी किये जाने की उनकी अर्जी खारिज कर दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय के 19 अप्रैल के निर्देश पर सीबीआई की विशेष अदालत बाबरी ढांचा ढहाये जाने के मामले की सुनवाई दैनिक आधार पर कर रही है ताकि मुकदमे की सुनवाई दो साल के भीतर खत्म की जा सके।

मुगलसराय: यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय करने का प्रस्ताव पारित होने के दूसरे दिन बुधवार को कांग्रेसी सड़क पर उतर आए। शहर के शास्त्री पार्क के समीप जीटी रोड पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन करने की भी कोशिश की गई। इस दौरान कांग्रेसियों से पुलिस से झड़प हो गई। पुतला दहन करने में विफल कांग्रेसी शास्त्री पार्क में धरने पर बैठे गए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष रामजी गुप्ता ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार हिटलरशाही पर उतर आयी है। डेढ़ सौ साल पुराने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रखना चाहती है। जबकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सिर्फ पार्थिव शरीर मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था। उनका मुगलसराय से ताल्लुकता नहीं था। उन्होंने कहा कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन देश के अग्रणी स्टेशनों में पहचान रखता है। यहां के लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन जनता की भावनाओं की अवहेलना करते हुए प्रदेश सरकार अपने ही पार्टी के कुछ जनप्रतिनिधि व नेताओं के बहकावे में आकर स्टेशन का नाम बदलने का फैसला ले रही है। उन्होंने कहा कि स्टेशन का नाम बदलने के लिए जनता का सर्वे करा लिया जाए तो सरकार को अपनी गलती का एहसास हो जाएगा। यहां कि जनता कतई नाम बदलने के पक्ष में नहीं है।

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