लखनऊ: लखनऊ के पुलिस कमिश्नर के तौर पर सुजीत पांडेय की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही लखनऊ में ही नवीन अरोड़ा और निलाब्जा चौधरी को संयुक्त पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। आलोक सिंह को गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) का कमिश्नर बनाया गया है। इसके साथ ही नोएडा में ही अखिलेश कुमार डिप्टी कमिश्नर (कानून-व्यवस्था) और श्रीपर्णा गांगुली को डिप्टी कमिश्नर (अपराध एवं मुख्यालय) बनाया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकार ने पुलिस व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है।
योगी कैबिनेट ने नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मंजूरी दी है। पुलिस के पास अब मजिस्ट्रेट वाले अधिकार होंगे। इसके साथ ही महिलाओं के साथ होने वाले अपराध पर लगाम लगाने के लिए एसपी रैंक की दो महिला अफसरों को भी तैनात किया जाएगा। इस बड़े फैसले के बारे में सीएम योगी ने खुद जानकारी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 50 वर्ष से उत्तर प्रदेश में ‘स्मार्ट पुलिसिंग' के लिये पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी।
अब मंत्रिमण्डल ने लखनऊ और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में यह प्रणाली लागू करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि काफी पहले से सोचा जा रहा था कि नगरीय आबादी के लिये यह प्रणाली लागू होनी चाहिये, मगर राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसे नजरअंदाज किया गया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'मुझे खुशी है कि प्रदेश सरकार ने राज्य के इन दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का फैसला किया है।'
क्या बदलाव हो जाएगा
माना जा रहा है कि लखनऊ को दो जिलों में बांट दिया जाएगा। शहरी लखनऊ में कमिश्नर सिस्टम और ग्रामीण लखनऊ में एसएसपी सिस्टम होगा। 40 लाख की आबादी वाले पूरे लखनऊ का इंचार्ज पहले एसएसपी होता था। अब शहरी लखनऊ में पुलिस का मुखिया कमिश्नर जो कि आईजी रैंक का होगा। उसके नीचे डीआईजी रैंक के ज्वाइंट कमिश्नर होंगे। इसके बाद 10 डीसीपी होंगे। 5 डीसीपी अलग-अलग जोन के होंगे। ये डीसीपी एसपी रैंक के अफसर होंगे और 5 डीसीपी अलग-अलग फील्ड के होंगे, उदाहण के लिए के लिए डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर, प्रसीक्यूशन, ट्रैफिक इत्यादि।
इस नई व्यवस्था के तहत पुलिसिंग सिस्टम में एरिया छोटा और अफसरों की तादात बढ़ा दी गई है। लखनऊ और नोएडा थाने बढ़ाए जाएंगे। इसके अलावा अब गुंडा एक्ट लगाने, गैंगेस्टर एक्ट लगाने, धारा-144 लागू करने का अधिकार पुलिस के पास होगा। इस लिहाज से पुलिस के पास ज्यादा पावर हो गई है। एक अच्छाई है कि पुलिस और प्रशासन के बीच झगड़ा कम होगा। लेकिन सिस्टम में बुराई यह है कि इससे पुलिस व्यवस्था का केंद्रीयकरण हो जाएगा जो कि कई लिहाज से ठीक नहीं है।