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देवबंद: मुस्लिम शादियों में गैर-इस्लामिक प्रथाओं के खिलाफ फतवा जारी किया है। दारुल उलूम देवबंद द्वारा जारी फतवे में लड़के के परिवार को भेजा जाने वाला लाल खत जिसे निमंत्रण पत्र भी कहते हैं, शामिल किया गया है। इसके साथ ही लड़की के मामा उसे गोद में उठाकर डोली तक ले जाने वाली प्रथा को लेकर भी देवबंद ने फतवा जारी किया है। इस बारे में ऊंचे पदों के मौलवियों की एक बेंच ने कहा कि लाल खत विदेशी परंपरा है जो गैर-इस्लामिक पंथ से आती है। मौलवियों की बेंच ने यह बात मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति को जवाब देते हुए कही है।

उन्होंने कहा कि लाल खत की जगह सामान्य खत, पोस्टकार्ड या फोन कॉल का प्रयोग करना चाहिए और इस परंपरा को जल्द से जल्द खत्म करने की बात कही है। देवबंद की ओर से जारी एक अन्य फतवा के मुताबिक एक महिला और उसके मामा के बीच रिश्ता बेहद पवित्र होता है। मामा द्वारा बड़ी हो चुकी अपनी भांजी को गोद में उठाना मुस्लिम कानून की निगाहों में बिलकुल मान्य नहीं है। इस प्रथा के कारण दोनों में से किसी के भी मन में काम-वासना आने से रिश्ते के तबाह होने का खतरा बना रहता है।

बेंच ने कहा है कि बेहतर होगा कि दुल्हन डोली की तरफ चलकर जाए या उसकी मां उसे लेकर जाए। इसके अलावा तस्वीर वाले जेवरों को भी गैर-इस्लामिक बताया है। देवबंद के एक मौलवी मेहदी हसन काजमी की मानें तो देवबंद ने जो फतवा दिया है वह सही है। उन्होंने कहा का मामा-भांजी वाली प्रथा को फौरन खत्म कर देना चाहिए।

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