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बेंगलुरु: हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। राज्य सरकार ने यह फैसला जजों को मिल रही धमकी के बाद लिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आज कहा कि हमने हिजाब पर फैसला देने वाले तीनों जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। उन्होंने साथ ही बताया कि डीजी और आईजी को विधानसौधा पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत की गहन जांच करने का निर्देश दिया गया है जिसमें कुछ लोगों द्वारा जजों को जान से मारने की धमकी की बात कही गई है।

वीडियो में जान से मारने की धमकी की बात आई सामने

बता दें कि तमिलनाडु के मदुरैई में एक वीडियो सोशल मीडिया में पर वायरल हो रहा था जिसनें तमिलनाडु तौहीद जमात के सदस्य कोवई रहमतुल्लाह कथित तौर पर यह कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि झारखंड में मॉर्निंग वॉक के दौरान गलत फैसला देने वाले जज की हत्या हो गई है। जज को अप्रत्यक्ष तौर पर धमकी देते हुए वीडियो में कहा गया है कि हमारे समाज में कुछ लोग भावनाओं में बहके हुए हैं।

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा है कि यूक्रेन में एक मार्च को गोलाबारी में मारे गए नवीन एसजी का शव सोमवार को यहां लाया जाएगा न कि रविवार को, जैसा कि पहले कहा गया था।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ''यूक्रेन में हाल ही में रूसी गोलाबारी में मारे गए नवीन ज्ञानगौड़ा का पार्थिव शरीर सोमवार को तड़के तीन बजे बेंगलुरु लाया जाएगा।''

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा था कि शव रविवार को लाया जाएगा। उनके करीबी अधिकारियों ने कहा कि शव लाने को लेकर भ्रम की स्थिति थी। बोम्मई के एक करीबी ने बताया, ''अब यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शव सोमवार को लाया जाएगा न कि रविवार को, जैसा कि पहले कहा गया था।''

खारकीव शहर में मेडिकल के चौथे वर्ष के छात्र नवीन की उस समय मौत हो गई थी जब वह खाने-पीने का सामान और पैसे लेने के लिए बंकर से निकला था। कर्नाटक में हावेरी के रानेबेन्नूर तालुक के चालगेरी गांव का 22 वर्षीय छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा का दूसरा पुत्र था।

बेंगलुरु: हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है और कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी बरकरार रखी है। उधर, कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी मंगलवार को ही दे दी गई। कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इसमें हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश (स्टे) की मांग की गई है। एक मुस्लिम छात्रा निबा नाज की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है। लेकिन ये लड़की उन 6 याचिकाकर्ताओं में नहीं है, जिसने हाईकोर्ट में हिजाब को लेकर याचिका दाखिल की थी।

हिन्दू सेना भी हिजाब के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। उसका कहना है कि शीर्ष अदालत द्वारा कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी दलील सुनी जाए। हिन्दू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने वकील अरुण सिन्हा के जरिये ये कैविएट फाइल की है।

बेंगलुरु: हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है और कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी बरकरार रखी है। हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा, "गणवेश (यूनिफॉर्म) पहनने से विद्यार्थी इंकार नहीं कर सकते।"

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें छात्राओं ने कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग की थी। कोर्ट ने साफ कहा, "हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।"

एक दर्जन मुस्लिम छात्रों सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया था कि हिजाब पहनना भारत के संविधान और इस्लाम की आवश्यक प्रथा के तहत एक मौलिक अधिकार की गारंटी है। सुनवाई के ग्यारह दिन बाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार के आदेश के उल्लंघन पर कोई केस नहीं दर्ज किया जाय। मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले महीने अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी।

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