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बेंगलुरु: हिन्दूवादी संगठन बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद कर्नाटक के शिवमोगा शहर में भारी तनाव है। उपद्रवियों ने शहर के अंदर कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया है तो कई जगह तोड़फोड़ पथराव भी की है। घटना के बाद एहतियातन शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस ने यह जानकारी दी है। पुलिस ने उपद्रवियों पर आंसू गैस के गोले भी दागे हैं।

दर्जी का काम करने वाले बजरंग दल के 26 वर्षीय कार्यकर्ता हर्ष को कल (रविवार, 20 फरवरी) रात करीब 9 बजे अज्ञात लोगों ने चाकू मार दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

इस हमले के बाद, गुस्साए लोगों ने इलाके के कई वाहनों में आग लगा दी। आगजनी को रोकने के लिए पुलिस ने इलाके में भारी बल तैनात किया है। इसके अलावा प्रशासन ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन ने अगले आदेश तक स्कूल और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है। पाबंदी के बावजूद, बजरंग दल के समर्थकों की भारी भीड़ युवक के शव को घर ले जाने के दौरान साथ दिखी।

शिवमोगा: कर्नाटक हिजाब विवाद का केंद्र है। कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद देखते ही देखते पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। इस बीच, कर्नाटक के शिवमोगा में 26 साल के बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा की कथित हत्या से इलाके में तनाव है। बजरंग दल के कार्यकर्ता की रविवार रात करीब 9 बजे हत्या कर दी गई। बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या के बाद शहर में तनाव को देखते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। धारदार हथियार से हमला करने की बात सामने आ रही है। हमले की पीछे की वजह अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है।

सुरक्षा बलों ने किया फ्लैग मार्च

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, शिवमोगा में धारा 144 लगा दी गई है और शहर के सभी स्कूलों और कॉलेजों में सोमवार को अवकाश घोषित कर दिया गया है। इस बीच, शिवमोगा शहर के सीगेहट्टी इलाके में कई वाहन जला दिए गए। दमकल की टीमें आग बुझाने के काम में लगी हुई हैं। सुरक्षाबलों ने एहतियात के तौर पर मैंगलोर में फ्लैगमार्च किया है।

बेंगलुरु: कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बीच मैसूर शहर के एक ऐतिहासिक प्राइवेट कॉलेज ने मुस्लिम छात्रों को हिजाब के साथ कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने के लिए शुक्रवार को अपना ड्रेस कोड कैंसिल कर दिया। आपको बता दें कि राज्य में इस तरह फैसला लेने वाला यह पहला कॉलेज है। मैसूर के डीडीपीयू के डीके श्रीनिवास मूर्ति ने कहा, "चार छात्रों ने बिना हिजाब के कक्षाओं में जाने से इंकार कर दिया और वे विरोध कर रहे थे। कुछ संगठनों ने उन्हें समर्थन दिया। मैंने आज कॉलेज का दौरा किया और सभी से चर्चा की।'' उन्होंने कहा, ''इस बीच कॉलेज ने घोषणा की कि वह छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने के अपने ड्रेस कोड को रद्द कर रहा है।"

वहीं, गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने पहले ही कहा है कि अब छात्रों के प्रति कोई नरम रवैया नहीं होगा और अंतरिम आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। एक अन्य घटना में विजयपुरा जिले के इंडी कॉलेज के प्राचार्य ने एक हिंदू छात्र को 'सिंदूर' लगाने पर क्लास में एंट्री नहीं दी। उसे गेट पर रोक दिया गया और सिंदूर हटाने के लिए कहा गया।

बेंगलुरु: स्‍कूलों-कॉलेजों में हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश पर रोक के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं की ओर से दाखिल याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई। इससे पहले, राज्‍य के महाधिवक्‍ता की ओर से जवाब के लिए समय मांगे जाने के अनुरोध बाद कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से गुरुवार को कोर्ट में कहा गया था कि हिजाब पर रोक कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान है।

शुक्रवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो राज्‍य के महाधिवक्‍ता ने पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य सरकार का आदेश शिक्षा अधिनियम के अनुरूप है। हमारा मानना है कि हिजाब पहनना इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा के अंतर्गत नहीं आता। हिजाब इस्‍लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि आर्टिकल 19 के तहत अधिकारों की श्रंखला को स्‍टेट द्वारा बनाए जाने वाले कानून द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन स्‍टेट की ओर से बनाया जाने वाला कानून आर्टिकल 25 में नहीं है। यह अधिकार सार्वजनिक व्‍यवस्‍था, नैतिकता और स्‍वास्‍थ्‍य के अधीन है।

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