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बेंगलुरु: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी के अभियान और य़ुद्धग्रस्त शहर खारकीव में एक भारतीय छात्र की मौत के बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का एक विवादित बयान सामने आया है। जोशी ने दावा किया है कि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने जाने वाले 90 फीसदी भारतीय छात्र क्वालीफायर तक पास नहीं कर पाते हैं। जोशी का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब यूक्रेन में हजारों भारतीय छात्र फंसे हैं और उन्हें वापस लाने की कोशिश में सरकार जुटी है। रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव और खारकीव में भारी हमला कर रही है।

जोशी ने कहा कि यह सही समय नहीं है, जब उन कारणों पर बात की जाए कि देश के लोग क्यों विदेश पढ़ाई करने जाते हैं। जो लोग विदेश में पढ़ाई कर मेडिकल डिग्री हासिल करते हैं, उन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन को पास करना पड़ता है, तभी वो भारत में इलाज करने के योग्य घोषित किए जाते हैं।

पिछले हफ्ते से जब से यूक्रेन पर रूस का हमला हुआ है, उसके बाद से लगातार भारतीय छात्रों के वीडियो सामने आ रहे हैं, जिसमें वो जान बचाने और सुरक्षित स्वदेश वापसी की गुहार सरकार से लगा रहे हैं।

बेंगलुरु: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के बीच, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। इसके साथ ही हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद है मामले उच्च न्यायालय अगले सप्ताह की शुरुआत में अपना फैसला सुना सकता है। हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपनी अंतिम दलीलें रखीं। जिनके आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला तय किया है।

हालांकि, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी को अपनी अंतिम दलीलें यानी फाइनल इनपुट अगले दो दिन में लिखित में देने को कहा है। इससे पहले पीठ ने सभी दलीलें शुक्रवार तक खत्म करने के लिए कहा था, ताकि मामले का निस्तारण जल्द से जल्द किया जा सके।

हाईकोर्ट में गुरुवार की सुनवाई के दौरान अनुच्छेद-25 के दायरे तथा व्यापकता और उसमें दखल की गुजाइंश पर भी बहस हुई। इसके साथ ही मजहबी परंपराओं में हिजाब की अनिवार्यता पर भी सवाल-जवाब हुए।

बेंगलुरु: कर्नाटक के स्‍कूल-कॉलेजों में हिजाब और भगवा स्‍कार्फ जैसे धार्मिक प्रतीकों पर लगा अस्‍थायी प्रतिबंध केवल स्‍टूडेंट्स पर लागू होता है, टीचर्स पर नहीं। हाईकोर्ट ने बुधवार को यह बात कही। गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस माह की शुरुआत में शिक्षण संस्‍थानों में धार्मिक प्रतीकों के साथ प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश पर लगाए गए बैन को लेकर विवाद के बाद यह कदम उठाया गया था। इसके बाद से राज्‍य के कई हिस्‍सों में मुस्लिम छात्राओं के अलावा टीचर्स को भी हिजाब पहनकर स्‍कूल-कालेज में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। बुधवार को याचिकाकर्ता मुस्लिम छात्राओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट मोहम्‍मद ताहिर ने कहा कि टीचर्स को भी गेट पर रोका जा रहा है, इसके बाद मुख्‍य न्‍यायाधीश रितुराज अवस्‍थी ने स्‍पष्‍ट किया कि यह आदेश केवल स्‍टूडेंट्स पर लागू है।

हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) की भूमिका के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया।

बेंगलुरु: कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध सिर्फ कक्षाओं में और पढ़ाई के समय है, शिक्षण संस्थानों के परिसर में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

मुस्लिम छात्राओं की तरफ से दाखिल की गईं याचिकाओं पर जवाब देते हुए महाधिवक्ता ने पीठ को बताया कि हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19(ए) के तहत आता है ना कि अनुच्छेद 25 के। अगर कोई हिजाब पहनना चाहता है तो उस पर संस्थागत अनुशासन के अधीन कोई प्रतिबंध नहीं है। अनुच्छेद 19(ए) के तहत जिन अधिकारों का दावा किया गया है वह अनुच्छेद 19(2) से संबंधित है, जहां सरकार संस्थागत प्रतिबंध के अधीन उचित प्रतिबंध लगाती है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कोर्ट से कहा कि हमारे पास शिक्षण संस्थानों में यूनिफार्म के लिए एक कानून है। उन्होंने कहा कि वर्गीकरण और पंजीकरण नियमों में नियम 11 सिर पर बांधे जाने वाले विशेष कपड़े पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन परिसर में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

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