बेंगलुरु: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) देशभर में 800 इंजीनियरिंग कॉलजों को बंद करना चाहता है। इसके पीछे वजह इन कॉलजों में हर साल कम एडमिशंस और खाली सीट्स हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, एआईसीटीई के कड़े नियमों की वजह से हर साल तकरीबन 150 कॉलेज बंद हो जाते हैं। काउंसिल के नियम के अनुसार, जिन कॉलेजों में आधारभूत संरचना की कमी है और पांच सालों तक 30% से कम एडमिशन होते हैं, उन्हें बंद कर दिया जाता है। एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धे शुक्रवार को ग्रीन हैंड नामक एक कार्यक्रम के उद्घाटन के संबंध में बेंगलुरु में थे। इसी दौरान उन्होंने यह जानकारी दी। वेबसाइट के अनुसार, एआईसीटीई ने 2014-15 से 2017-18 तक पूरे देशभर में 410 कॉलेजों को बंद करने की मंजूरी दे चुका है। इसमें कर्नाटक के 20 कॉलेज शामिल हैं। वहीं, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश आदि के कॉलेज भी शामिल हैं।
बताते चलें कि प्रोग्रेसिव क्लोजर का मतलब है कि जो संस्थान इस शौक्षणिक वर्ष में पहले साल छात्रों को प्रवेश नहीं दे सकता है। हालांकि, जो छात्र कॉलेज में पढ़ रहे हैं, उनकी पढ़ाई आगे भी जारी रहेगी। इसके अलावा एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम को संशोधित और नवीनीकृत करने की भी सलाह दी है। यह भी एक घटते एडमिशन की वजह बताई जा रही है।