काहिरा: मिस्र ने गाजा से फलस्तीनी आबादी को हटाने और क्षेत्र पर नियंत्रण करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव के खिलाफ अरब देशों का एक आपात सम्मेलन स्थगित कर दिया है। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि सम्मेलन अब चार मार्च को होगा, जो पहले 27 फरवरी को होना था। ट्रंप के प्रस्ताव से पश्चिम एशिया क्षेत्र में हलचल मच गई है।
ट्रंप के सुझाव से मिस्र नाराज
फलस्तीनियों और अरब देशों ने गाजा की आबादी को विस्थापित करने के किसी भी कदम को खारिज कर दिया है, जबकि इजराइल ने इसका स्वागत किया है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करके लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर करने के समान होगा। ट्रंप का सुझाव है कि फलस्तीनियों को मिस्र और जॉर्डन में बसाया जा सकता है। हालांकि, दोनों देशों ने इस विचार को सिरे से खारिज कर दिया है। मिस्र ने कहा है कि इस प्रस्ताव से इजराइल के साथ लगभग 50 वर्ष पुराना उसका समझौता खतरे में पड़ जाएगा।
पिछले हफ्ते इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ व्हाइट हाउस में हुई बैठक में ट्रंप की ओर से दिए गए सुझाव से मिस्र, जॉर्डन और सऊदी अरब सहित अरब जगत नाराज हो गया, जो वाशिंगटन के प्रमुख सहयोगी हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय दोनों ने गाजा में 18 लाख फलस्तीनियों को कहीं और बसाने और अमेरिका की ओर उस क्षेत्र का स्वामित्व लेने के ट्रंप के आह्वान को खारिज कर दिया, लेकिन ट्रंप का दावा है कि वे अंततः इसे स्वीकार कर लेंगे।
अरब लीग शिखर सम्मेलन में फलस्तीनी मुद्दे
मिस्र के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वह हाल के दिनों में अरब देशों में उच्चतम स्तर पर हुई वार्ता के बाद काहिरा में अरब लीग शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें फलस्तीन राज्य भी शामिल है, जिसने फलस्तीनी मुद्दे के लिए नए और खतरनाक घटनाक्रमों पर चर्चा करने के लिए शिखर सम्मेलन आयोजित करने का अनुरोध किया था।”