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चेन्नई: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन से जुड़ी परिस्थितियों पर मद्रास हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के संशय प्रकट करने के एक दिन बाद द्रमुक ने उनके निधन की परिस्थितियों की हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा जांच कराये जाने की आज (शुक्रवार) मांग की। द्रमुक कोषाध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा, ‘हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश से समग्र जांच करायी जानी चाहिए तथा लोगों को सच्चाई बतायी जानी चाहिए।’ अदालत द्वारा प्रश्न खड़ा किये जाने की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि सरकार के लिए पूर्व अन्नाद्रमुक प्रमुख के इलाज का समग्र ब्योरा लेकर सामने आना जरूरी है। कल न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा था कि वह दिवंगत नेता का शव खोदकर निकाले जाने का आदेश दे सकते हैं। स्टालिन ने यहां जारी एक बयान में कहा कि अस्पताल में उनके इलाज से जुड़े पूर्ण मेडिकल बुलेटिन, वीडियो फुटेज और फोटो जारी किए जाने चाहिए। जयललिता के इलाज पर पहले ही श्वेतपत्र की मांग कर चुके द्रमुक नेता ने कहा कि 23 सितंबर को जयललिता के भर्ती किये जाने के बाद से सरकार का कोई बयान नहीं आया। उन्होंने कहा कि केंद्र और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम का दिवंगत नेता के इलाज से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देना दायित्व बनता है। दिल्ली के एम्स के चिकित्सकों ने भी उनका इलाज किया था।

चेन्‍नई: तमिलनाडु की दिवंगत मुख्‍यमंत्री जयललिता की मौत पर अब सवाल और संदेह जताए जाने लगे हैं। एआईएडीएमके की पूर्व प्रमुख जयललिता की मौत पर मद्रास हाईकोर्ट ने संदेह जताया है। मद्रास हाईकोर्ट के जज वैद्यलिंगम ने इस मामले में एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान कहा कि जयललिता की मौत से संबंधित सच सामने आना चाहिए। जज ने कहा कि इस मृत्यु को लेकर मीडिया के साथ मेरी अपनी कुछ आशंकाएं है। मुझे भी इस मौत को लेकर संदेह है। जयललिता के निधन की जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि सच सामने आना चाहिए। पूर्व सीएम जयललिता की मौत के रहस्य से जुड़ी यह याचिका एआईएडीएमके के सदस्य पीए जोसफ ने दाखिल की है। याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस वैद्यलिंगम ने ने एक टिप्‍पणी में कहा कि मीडिया ने जयललिता के निधन को लेकर कई संशय खड़े किए हैं और यहां तक की मुझे भी इसमें कई संदेह हैं। उन्‍होंने सवाल किया कि जयललिता की बीमारी को इस तरह गोपनीय बनाकर क्यों रखा गया। जब उन्‍हें भर्ती किया गया था तब कहा गया था कि वो सही डायट ले रही हैं। अब उनके निधन के बाद सच सामने आना चाहिए। अदालत में दायर याचिका में मांग की गई है कि जांच के लिए आयोग का गठन किया जाए जिसमें कम से कम तीन रिटायर्ड जज हों। इस संबंध में कोर्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य सरकारों को भी नोटिस देकर यही सवाल पूछा है।

चैन्नई: तमिलनाडु में बदले महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारूढ़ पार्टी अन्नाद्रमुक की कमान जयललिता की सहयोगी रही शशिकला नटराजन को सौंप दी गई। इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि फिलहाल जयललिता की राजनीतिक विरासत शशिकला ही संभालेंगी। पार्टी की ओर से यह महत्वपूर्ण निर्णय जनरल बॉडी की मीटिंग में गुरुवार सुबह लिया गया। चेन्नई में हुई बैठक में जयललिता का नाम अंतरराष्ट्रीय शांति नोबेल पुरस्कार के लिए भेजने का भी प्रस्ताव पास हुआ। इसके अलावा जयललिता के जन्मदिन को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में भी मनाने का निर्णय लिया गया। जानकारी के अनुसार चेन्नई में गुरुवार सुबह शुरू हुई पार्टी की जनरल असेंबली की बैठक में 14 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय पार्टी महासचिव के चयन का रहा। एक सुर में सभी सदस्यों ने अभी तक सभी राजनीतिक पदों से दूर रही जयललिता की निकट सहेली शशिकला नटराजन को पार्टी महासचिव बनाने की मांग की, जिस पर सर्वसम्मति से तुरंत मुहर लग गई। इसके साथ ही विधिवत रूप से पार्टी की बागडोर शशिकला के हाथों में आ गई। हालांकि इस बात की संभावना शुरूआत से ही जताई जा रही थी, क्योंकि जयललिता की मौत के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने शशिकला से पार्टी की बागडोर संभालने की अपील शुरू कर दी थी।

चेन्नई: अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं ने आज (बुधवार) पार्टी की निष्कासित सांसद शशिकला पुष्पा के पति पर हमला करके उन्हें घायल कर दिया। उन पर आरोप लगाया गया कि नया महासचिव चुनने के लिए पार्टी की आम परिषद की गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले वह कानून व्यवस्था की समस्या पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। शुरूआती खबरों में बताया गया कि जिस व्यक्ति पर हमला किए जाने के बाद उसके शरीर से काफी खून निकल रहा था वह पुष्पा का वकील है लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि वह पुष्पा के पति लिंगेश्वर थिलागन हैं। उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने बताया कि कोई और व्यक्ति घायल नहीं हुआ है। अन्नाद्रमुक समर्थकों ने थिलागन पर मुक्के से प्रहार किया। इससे उनके नाक से खून बहने लगा। थिलागन को वहां से जाने को कहा गया था लेकिन वह तब भी वहां रूके हुए थे। उन्हें पुलिस ने बचाया और प्राथमिक उपचार के लिए उन्हें वहां से हटाया। वहीं क्रुद्ध पुरुष और महिलाओं को उन्हें गाली देते हुए देखा गया। अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता इस बात की सूचना मिलने के बाद ही पार्टी मुख्यालय पर जमा होने लगे कि आम परिषद की होने वाली बैठक से पहले संभवत: निमंत्रण हासिल करने के लिए पुष्पा वहां आ सकती हैं। पुष्पा को इससे पहले जयललिता ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया था। यह महसूस किया गया कि वह शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का प्रयास भी कर सकती हैं।

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