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मदुरै: मदुरै के मेलूर की एक अदालत ने आज (गुरूवार) आदेश दिया कि उसके निर्देश का पालन नहीं करने पर मदुरै के जिलाधिकारी और मेलूर के तहसीलदार को छह हफ्ते के लिए सिविल जेल में रखा जाए। मुंसिफ सुरेश ने हुसैन मोहम्मद और जवाहर आली की याचिका पर यह आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी जमीन के सर्वेक्षण और उपविभाजन तथा अलग अलग भू दस्तावेज देने की मांग की थी। पहले जब याचिकाकर्ता इस अनुरोध के साथ जिलाधिकारी और तहसीलदार के पास पहुंचे थे तब उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया था। उसके बाद दोनों मुंसिफ अदालत पहुंचे जिसने अधिकारियों को जमीन के सर्वेक्षण और उपविभाजन पट्टे देने का निर्देश दिया। तत्पश्चात मद्रास उच्च न्यायालय ने भी मुंशीफ की अदालत के इस आदेश को मुहर लगायी थी। लेकिन जब तहसीलदार ने अदालत के आदेश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया तब याचिकाकर्ताओं ने जिलाधिकारी और तहसीलदार के विरूद्ध अवमानना कार्रवाई की मांग करते हुए मुंसिफ से संपर्क किया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में सांडों को वश में करने के खेल जल्लीकट्टू की अनुमति देने के बारे में राज्य विधान सभा द्वारा हाल ही में पारित नये विधेयक पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायलय ने पशुओं के अधिकार के लिए संघषर्रत संस्थाओं और व्यक्तियों को नये कानून को चुनौती देने के लिये अपनी याचिकाओं में संशोधन की अनुमति दी। साथ ही केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की अनुमति देने संबंधी सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना वापस लेने की इजाजत दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरिमन की पीठ ने केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देने संबंधी सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना वापस लेने की इजाजत दे दी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत पशुओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत संस्थाओं और दूसरे व्यक्तियों को नए कानून को चुनौती देने के लिये पहले से ही लंबित याचिकाओं में संशोधन की भी अनुमति दे दी है।

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने यहां मरीना बीच पर जल्लीकट्टू समर्थक प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के दौरान पुलिस ज्यादती का आरोप लगाने और सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर कोई अंतरिम आदेश देने से आज (बुधवार) इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति आर महादेवन ने याचिकाकर्ता की यह दलील अस्वीकार कर दी कि एक अंतरिम आदेश जारी नहीं किए जाने पर पुलिस सारे साक्ष्य नष्ट कर देगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी के लिए मुल्तवी कर दी। यह याचिका मरीना बीच से लगे त्रिपलीकेन इलाके के बी कुमार ने दायर की थी। वहां 23 जनवरी को उस वक्त हिंसक घटनाएं हुई थी जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाना शुरू किया था। वे लोग जल्लीकट्टू के समर्थन में छह दिनों से आंदोलन कर रहे थे। याचिकाकर्ता के वकील के बालू ने दलील दी कि पुलिस की ज्यादती को दिखाने के लिए पर्याप्त चीजें हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने एक ऑटोरिक्शा को आग के हवाले कर दिया, वहां खड़े वाहनांे को क्षतिग्रस्त किया और कुछ घरों में घुसकर वहां रखा सामान तोड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पास अपने आरोप के समर्थन में साक्ष्य हैं। उन्होंने दावा किया कि इन घटनाओं से यह साफ जाहिर होता है कि पुलिसकर्मियों ने हिंसा की।

चेन्नई: मरीना बीच पर जल्लीकट्टू को लेकर हो रहा प्रदर्शन हिंसक होता जा रहा है। पांच दिन तक शांतिपूर्ण तरीके से चले इस प्रदर्शन में सोमवार को सुबह पांच बजे पुलिस ने भीड़ को जबरन हटाने की कोशिश की जिसके बाद प्रदर्शन करने वालों ने पत्थर उठाकर पुलिस पर फेंके। यही नहीं बीच के पास के पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने जल्लीकट्टू के आयोजन के स्थायी समाधान की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से मरीना बीच पर प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को आज तड़के हटाना शुरु कर दिया। एक परामर्श के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाना शुरु कर दिया है। यह कदम ऐसे दिन उठाया गया है जब राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद इस मामले पर चर्चा किये जाने की संभावना है। टीवी फुटेज में खाकी वर्दी पहने पुरुष और महिलाएं यहां मशहूर मरीना बीच से प्रदर्शनकारियों को हटा रहे हैं। प्रदर्शनकारी पिछले एक सप्ताह से यहां प्रदर्शन कर रहे हैं जिसका सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और द्रमुक समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। मरीना बीच पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक अध्यादेश जारी करने के सरकार के फैसले के बावजूद छात्रों और युवाओं का प्रदर्शन जारी है। राज्य के कुछ हिस्सों में सांडों की लड़ाई का यह खेल आयोजित कराया गया।

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