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चेन्नई: सांड़ों की लड़ाई के खेल ‘जल्लीकट्टू’ पर प्रतिबंध हटाने की मांग समूचे तमिलनाडु में जोर पकड़ने के बीच आज (बुधवार) यहां मरीना बीच पर हजारों छात्र जमा हुए। सड़कों पर रोष बढ़ने के मद्देनजर मुख्यमंत्री पन्नीरसेलवम ने फौरन एक अध्यादेश लाने की मांग करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का फैसला किया है। अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला ने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि इसे हटाने के लिए विधानसभा के अगले सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘गुरुवार सुबह मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलूंगा और उनसे जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने के लिए एक अध्यादेश लाने का अनुरोध करूंगा। इसलिए, मैं सभी प्रदर्शनकारियों से अपना आंदोलन रोकने की अपील करता हूं।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर लोगों के साथ है। मुख्यमंत्री के साथ अन्नाद्रमुक के 49 सांसद भी होंगे। प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मिलेगा। अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि विधानसभा के अगले सत्र में जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने के लिये एक प्रस्ताव पारित किया जायेगा। उन्होंने छात्रों से अपना प्रदर्शन बंद करने की अपील की है। वहीं, जल्लीकट्टू के लिए इजाजत मांगने वालों में आईटी क्षेत्र के कर्मचारी तथा कई और फिल्मी कलाकार भी शामिल हो गए हैं। इस बीच, नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र की जनवरी 2016 की अधिसूचना ने जंतु देखभाल की चिंताओं से सामंजस्य बिठाते हुए इस पारंपरिक खेल की इजाजत दी थी।
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चेन्नई: तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री की भतीजी जे. दीपा ने मंगलवार को राजनीति में अपने प्रवेश की घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है कि वह अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) में शामिल होंगी या अपनी नई पार्टी बनाएंगी। जयललिता की भतीजी दीपा ने शशिकला पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री कभी भी शशिकला से सलाह नहीं लेती थीं। यहां संवाददाताओं से बातचीत में दीपा ने कहा कि उनके राजनीतिक सफर को लेकर दो तरह के दृष्टिकोण हैं। उन्होंने कहा कि फैसला करने के लिए मुझे समय चाहिए। लोगों के साथ चर्चा करूंगी। हमें सभी की राय जाननी है। दीपा ने कहा कि वह 24 फरवरी को अपनी बुआ के जन्मदिन पर अपने अगले कदम की घोषणा करेंगी। दीपा ने यह भी यह कहा कि वह एआईएडीएमके के संस्थापक दिवंगत एमजी रामचंद्रन और दिवंगत जे. जयललिता के अलावा किसी और को अपना नेता नहीं मानेंगीं।
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मदुरै: पोंगल उत्सव के दौरान सांड़ को वश में करने के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध का विरोध करने का कथित प्रयास कर रहे कई लोगों को आज (शनिवार) हिरासत में ले लिया गया। उपद्रव की आशंका के मद्देनजर मदुरै में जल्लीकट्टू के लिए मशहूर अवानियपुरम, पलामेदु और अलंगनल्लुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. इन क्षेत्रों में अक्सर जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाता है। यह कदम आज पोंगल पर कई आयोजकों द्वारा इस खेल का आयोजन करने के संकेत देने के बाद उठाया गया। राजनीतिक दलों ने दलगत राजनीति से उपर उठकर केंद्र से जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देने के लिए एक अध्यादेश लाने की मांग की थी और इस बीच उच्चतम न्यायालय ने गुरवार को कहा कि वह पोंगल से पहले जल्लीकट्टू पर अपना फैसला नहीं दे सकता। मदुरै के नजदीक करीसालकुलम गांव में कल कुछ मिनटों के लिए एक खुले मैदान में इस खेल का आयोजन किया गया था। पुलिस ने बताया कि प्रतीकात्मक विरोध जताते हुये युवकों का एक समूह करीब पांच सांड़ों को मैदान में लेकर आया। उन्होंने बताया कि मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने इस संबंध में चेन्नई में कल एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आगामी शनिवार को मनाये जाने वाले पोंगल से पहले सांड को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू पर फैसला सुनाने की मांग को लेकर दायर याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानूमति की पीठ ने फैसला सुनाने का आग्रह करने वाले वकीलों के एक समूह से कहा कि पीठ को फैसला पारित करने के लिए कहना अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह कहा कि फैसले का मसौदा तैयार कर लिया गया है लेकिन शनिवार से पहले फैसला सुनाना मुमकिन नहीं है, जिस दिन जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाना है। इस खेल को अनुमति देने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले न्यायालय ने जनवरी, 2016 की अधिसूचना पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसमें जल्लीकट्टू के लिए सांड के इस्तेमाल को हरी झंडी दी गयी थी। न्यायालय ने कहा था कि जानवरों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने संबंधी वर्ष 2014 के उसके फैसले को नकारा नहीं जा सकता है। परंपरा का समर्थन करते हुए केंद्र ने कहा कि वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि खेल के दौरान सांड को चोट ना पहुंचे और उससे पहले उसे शराब ना पिलायी जाए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 के अपने फैसले में कहा था कि सांड का इस्तेमाल करतब दिखाने वाले जानवरों की तरह नहीं किया जा सकता है।
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