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पटनाः बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया है। सीएम नीतीश कुमार ने शाम चार बजे राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वहीं इससे पहले जेडीयू की आज हुई बैठक में पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों ने सीएम नीतीश कुमार के फैसले का समर्थन किया और कहा कि वे उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा उनके साथ रहेंगे, जो कुछ भी वह तय करेंगे।

जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि नये स्वरूप में नये गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए श्री नीतीश कुमार जी को बधाई। नीतीश जी आगे बढ़िए। देश आपका इंतजार कर कर रहा है। लग रहा है कि नीतीश देश की राजनीति के लिए अग्रसर होंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा अपमानित करने का काम किया है। जेडीयू को षडयंत्र के तहत खत्म करने की कोशिश की गई।

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है कि बिहार में जो भी राजनीतिक परिस्थिति बने, वे हर हाल में नीतीश कुमार के साथ हैं।

पटनाः बिहार में नए गठबंधन के आकार लेने और एनडीए में टूट की आहट साफ सुनाई दे रही है। सोमवार की सुबह से शाम तक सियासी गतिविधियां और तमाम दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाओं से इस आहट को और बल मिला है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने मीडिया में जो प्रतिक्रिया दी है, उससे भाजपा के प्रति उनकी तल्खी साफ नजर आ रही है।

वैसे तमाम दलों ने अपने प्रवक्ताओं और नेताओं को किसी भी बयान से परहेज करने की हिदायत दी है। राजद ने अपने प्रवक्ताओं का पैनल ही भंग कर दिया है। भाजपा के नेताओं ने भी चुप्पी साध रखी है।

मंगलवार को जदयू, राजद और हम ने विधायक दलों की बैठक बुलाई है। इनमें नए गठबंधन पर अहम फैसला होना है। नया गठबंधन आकार लेगा तो संख्याबल करीब दो तिहाई होगा। महागठबंधन में राजद 79, कांग्रेस 19 और वामदल 16 यानी कुल 114 विधायक हैं। जदयू-हम की संख्या 49 है। सभी मिलकर 163 विधायक होते हैं।

राजद, जदयू, कांग्रेस एवं वामदलों के नए गठबंधन के आकार लेने की गूंज दिनभर सुनाई देती रही।

पटना: जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद से बिहार की सियासत गरमा गई है। जेडीयू बिना नाम लिए भाजपा पर हमलावर हो गई है। वहीं इस सियासी बवाल को देखते हुए अब संभावना यह भी जताई जा रही है कि राज्य में कभी भी बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है। 11 अगस्त तक नई सरकार बनाने की भी हलचल है। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की है। इस बातचीत के बाद जेडीयू ने अब मंगलवार को अपने सभी सांसदों और विधायकों की बैठक बुला ली है। इस बीच राजद नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी सक्रिय हो गए हैं और अपने विधायकों की बैठक बुलाई है।

जानकारी के अनुसार सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर बुलाई गई बैठक से दूर रहे।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) ने अपने सहयोगी भाजपा के साथ अनबन की अटकलों को खारिज करते हुए उसके साथ सब कुछ ठीक होने का दावा किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह फिर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने रविवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति के बारे में सवालों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आपको मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछना चाहिए।’’

नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति के पीछे के कारण पर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टीकरण अभी तक नहीं आया है, पर मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद की अपनी शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश ने उक्त बैठक में शामिल होने पर असमर्थतता जतायी।

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