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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान शुक्रवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए। बिहार विधानसभा के सचिव और रिटर्निंग ऑफिसर बटेश्वर नाथ पांडेय ने बताया कि उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया और इस आशय का प्रमाण पत्र उन्हें सौंप दिया गया। रामविलास को प्रमाण पत्र उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित राजग के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में सौंपा गया। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद जो कि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं, के राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देने के बाद ऊपरी सदन की इस सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था।

1960 के दशक में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के विधायक के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले रामविलास दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में अपने हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पराजित हो जाने पर रामविलास अपने सहयोगी दल राजद की मदद से 2010 में राज्यसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए थे।

पटना: पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लिया। सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों से बेहतर हालात पशु चिकित्सालयों का है। अधिकारी भूल जाते हैं कि उन्हें भी एक दिन सेवानिवृत्त होकर आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करना होगा। हाईकोर्ट ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा को पीएमसीएच सहित पटना जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की स्थितियों के संबंध में जानकारी इकट्ठा कर 28 जून तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति ज्योति शरण तथा न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सरकारी अस्पतालों की सफाई व्यवस्था और रखरखाव की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की। आवेदक विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने पटना हाईकोर्ट को जानकारी दी कि राज्य के 63 हजार सरकारी अस्पतालों की सफाई व्यवस्था और रखरखाव के बारे में विभाग के प्रधान सचिव के जारी निर्देश की जानकारी सरकारी अस्पतालों को नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

मुजफ्फरपुर: बिहार में श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से पास मिले नरमुंड का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नरमुंडों के रहस्य का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन कर जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही इसकी रिपोर्ट तीन दिन के अंदर सौंपने के आदेश दिये गए हैं। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पास नरमुंड मिलने के बाद यह अस्पताल सुर्खियों में आया था। अस्पताल में ज्यादातर उन्हीं मरीजों का इलाज चल रहा है जो चमकी बुखार से पीड़ित हैं। यहां जून में बुखार (इनसेफलाइटिस) से पीड़ित 140 बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे समय में नरमुंड मिलने से मामला और भी संदिग्ध व गंभीर हो गया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मुजफ्फरपुर से डीएम आलोक रंजन घोष ने सोमवार को समिति का गठन किया। साथ ही टीम को जांच कर तीन दिन के अंदर ही रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। इस तीन सदस्यीय टीम में फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार के स्थान पर डॉ. चम्मन को शामिल किया गया है।

पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में 117 बच्चों की मौत होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार की नींद तो खुली, लेकिन अब भी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से केवल इस साल नहीं, बल्कि पहले भी मौतें हुई हैं। दरअसल, मासूमों की मौत का गवाह बन रहा मुजफ्फरपुर जिला स्वास्थ्य सुविधाओं और आधारभूत संरचनाओं के मामले में फिसड्डी रहा है। आधिकारिक आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं। विज्ञापन स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) पर स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं जिले के सभी 103 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खस्ताहाल हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय की नजर में एक भी पीएचसी फिट नहीं हैं और सभी रेटिंग के मामले में शून्य हैं। मालूम हो कि ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे एईएस का शिकार हो रहे हैं। 103 में से 98 पीएचसी मूल्यांकन के भी काबिल नहीं मुजफ्फरपुर जिले के 103 में से 98 पीएचसी, स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के मूल्यांकन के लायक भी नहीं हैं।

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