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भोपाल: मध्य प्रदेश में भले ही कमलनाथ सरकार पर राजनीतिक संकट टल गया हो लेकिन कांग्रेस और भाजपा नेताओं का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप जारी है। शनिवार को भाजपा विधायक संजय पाठक का बांधवगढ़ स्थित एक रिसॉर्ट के एक हिस्से को जिला कलेक्टर की मौजूदगी में राजस्व अमले द्वारा अतिक्रमण बताकर गिरा दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक और मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री संजय पाठक ने कहा है कि मुझ से बदला लिया जा रहा है। मुझ पर बहुत दबाव है और भाजपा छोड़ने और मुझे कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। अगर मैं ऐसा नहीं करता हूं तो मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जाएगी। मेरी जान को लगातार खतरा है। मैं मर जाऊंगा लेकिन भाजपा कभी नहीं छोड़ूंगा। पाठक ने शुक्रवार को जारी एक वीडियो कहा था कि उनकी जान को खतरा है। इस संबंध में पूछे जाने पर पाठक ने कहा था कि गुरुवार रात उनके साथ कुछ घटना घटी है। वे इसकी तह तक जा रहे हैं और वक्त आने पर इसका खुलासा करेंगे।
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भोपाल: मध्य प्रदेश में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच कांग्रेस के सूत्रों ने शुक्रवार (6 मार्च) को कहा कि भाजपा के विधायक संजय पाठक के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। कांग्रेस भाजपा को उसी के दांव में फंसाकर बाजी जीतने की तैयारी कर रही है। सूत्रों ने कहा कि उनके कांग्रेस में शामिल होने को उच्चतम स्तर पर मंजूरी दे दी गई है और पार्टी में शामिल होने के उनके पहले प्रयासों को राज्य के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने धूमिल कर दिया था। मध्य प्रदेश में तीन सीटों के लिए 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव होने हैं।
संजय पाठक के पिता सत्येंद्र पाठक जबलपुर में जिला कांग्रेस अध्यक्ष थे और वह राज्य में दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमलनाथ भाजपा विधायकों को अपने पाले में करने के लिए संयुक्त तौर पर मोर्चा संभाले हुए हैं। इसके लिए दोनों नेता राज्य की राजधानी भोपाल में डेरा डाले हुए हैं और असंतुष्ट भाजपा विधायकों पर नजर गड़ाए हुए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा, “संजय पाठक मेरे दोस्त सत्येंद्र पाठक के बेटे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद संजय को गुमराह किया गया।”
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के लिए उस वक्त संकट और गहरा हो गया जब यह खबर आई कि पार्टी के एक विधायक हरदीप सिंह डांग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे दे दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन्हें हरदीप सिंह के इस्तीफ की खबर मिली है। उन्होंने कहा- “मुझे उनकी तरफ से न कोई पत्र मिला और न ही इस पर चर्चा हुई। जब तक मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल लेता हूं, किसी तरह की टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा।”
उधर, मध्य प्रदेश के स्पीकर एन.पी. प्रजापति ने कहा- “मुझे हरदीप सिंह के इस्तीफे की खबर मिली है। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मुझे इस्तीफा नहीं दिया है। जब वे अपना इस्तीफा मुझे देंगे तो नियम के मुताबिक उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।” इससे पहले, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में शामिल एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कहा था कि जब तक कमलनाथ की सरकार है, तब तक मैं उनके साथ हूं। आगे उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर सरकार गिर जाती है तो मेरे विकल्प खुले रहेंगे। मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला लूंगा।
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार शाम मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डांग ने विधानसभा सदस्य के पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उस समय आया है जब मंगलवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार को न तो कोई खतरा है और न ही किसी को इस बारे में कोई चिंता करने की जरूरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हरदीप सिंह उन लापता चार विधायकों में से एक बताए जा रहे हैं, जिनके गायब होने की बात सामने आई थी। उनकी टिप्पणी वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इन आरोपों के एक दिन बाद आई कि भाजपा नेता प्रदेश सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस विधायकों को भारी धनराशि देने की पेशकश कर रहे हैं।
कमलनाथ ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि कांग्रेस विधायकों ने भाजपा नेताओं के धनराशि देने के प्रस्ताव की जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई है। मुख्यमंत्री ने भोपाल में एक कार्यक्रम से इतर कहा-विधायकों ने मुझे बताया कि उन्हें काफी धनराशि देने का प्रस्ताव मिला है, मैंने विधायकों से कहा है कि अगर मुफ्त में यह पैसा मिल रहा है तो वे इसे ले लें।
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