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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस नीत सरकार पर संकट के बादल मंडराने के बीच वहां के राज्यपाल लालजी टंडन ने मंगलवार को यहां कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और राजभवन पहुंचने के बाद कोई फैसला लेंगे। टंडन ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि वह मध्य प्रदेश में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं उन्हें जो फैसला करना होगा वह राजभवन पहुंचकर करेंगे। इस सवाल पर कि क्या वह मध्य प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक सूरतेहाल के मद्देनजर सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा दावा करने वाली अन्य पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित करेंगे, टंडन ने कहा कि अभी वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा "अभी मैं यहां दर्शक हूं, जब तक मैं वहां जाता नहीं हूं जो पत्र आए हैं जो लोगों ने शिकायत की होगी तो सारी चीजें देखने के बाद कोई टिप्पणी कर सकता हूं, अभी मैं होली में सब से मिलने के लिए घर पर बैठा हूं।"
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद 22 अन्य पार्टी विधायकों ने भी त्यागपत्र दे दिया है। इससे प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है।
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद जहां एक तरफ राज्य की कमलनाथ सरकार के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।” इससे पहले, मध्य प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा विधायक दलों की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, “निर्दलीयों समेत सभी कांग्रेस के विधायक मौजूद थे। हमारे पास नंबर है और हम एक साथ लड़ेंगे।”
शोभा ओझा ने आगे कहा, “विधायकों से यह कहा गया था कि सिंधिया जी राज्य सभा सीट की मांग कर रहे हैं, इसलिए साथ आने की आवश्यकता है। लेकिन, जब उनकी (ज्योतिरादित्य सिंधिया) बात भाजपा के साथ शुरू हुई तो ये विधायक गुस्से में आ गए। वे सभी मुख्यमंत्री के साथ संपर्क में हैं। सरकार को कोई खतरा नहीं है। हम विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे।”
भाजपा ने विधायकों को राज्य के बाहर भेजा
भारतीय जनता पार्टी ने अपने विधायकों को बस से राज्य से बाहर भेज रही है।
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भोपाल: बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के इस्तीफे की मूल कॉपी भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को सौंपी। विधायकों के इस्तीफों की मूल कॉपी विशेष विमान से बेंगलुरु से यहां लाई गई। इस बीच, मध्य प्रदेश में अब तक कांग्रेस के 22 बागी विधायक अपने त्यागपत्र दे चुके हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर आ गई है।
इससे पहले सिंधिया खेमे के कांग्रेस के इन 19 बागी विधायकों ने अपने त्यागपत्र ई-मेल के जरिए मंगलवार को राजभवन (राज्यपाल निवास) भेजे थे। कांग्रेस के ये विधायक बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में रुके हुए हैं। ये त्यागपत्र लेकर बेंगलुरु से यहां आए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया की मौजूदगी में विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि मध्य प्रदेश के कांग्रेस के माननीय 19 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दिया है। उन्होंने प्रजापति से कहा, “विधायकों ने दिन में 12 से 2 बजे के बीच ई-मेल से आप तक इस्तीफे भेजे हैं और अब इस्तीफों की मूल प्रति आपको भेजी है।” इसके बाद सिंह ने 19 विधायकों के हस्ताक्षर का दावा करते हुए इन इस्तीफों को विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया।
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद करारा झटका लगा है। छह मंत्रियों समेत पार्टी के 22 विधायकों ने मंगलवार को अब तक इस्तीफा दे दिया। इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में थे। इन सभी विधायकों ने इस्तीफा सौंपने के बाद एक तस्वीर भी खिंचवाई, जिसमें सभी इस्तीफे का पत्र लिए हुए देखे जा सकते हैं। इस्तीफा देने वाले छह मंत्रियों में तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी शामिल हैं।
इसके बाद कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इन मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की है। हालांकि, राज्यपाल लालजी टंडन अभी लखनऊ स्थित अपने आवास में हैं और कोई फैसला नहीं लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक बिसाहूलाल सिंह ने भी शिवराज सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया। सिंह भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले बिसाहूलाल सिंह बेंगलुरु से रविवार को भोपाल वापस आए थे और कमलनाथ के नेतृत्व पर भरोसा जताया था। इसके अलावा देवास की हाट पिपल्या विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी और एंदल सिंह कंषाना ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
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