भोपाल: मध्यप्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार में सियासी उठापटक जारी है। कुछ विधायकों के गुरुग्राम के एक होटल में होने की खबरों के बाद कमलनाथ सरकार पर एक बार फिर मुश्किलों में घिर गई है। रातभर चले इस सियासी उठापटक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कुछ विधायकों को बाहर निकाल लेने की बात कही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमें लगता है कि होटल में 10-11 विधायक थे, जिनमें 6 विधायक कांग्रेस कैंप में लौट आए हैं।
दिग्विजय के मुताबिक, बाकी के 4 विधायकों को भाजपा ने बेंगलुरु भेज दिया है, लेकिन वो सभी भी लौट आएंगे। जो विधायक होटल पहुंचे थे, उनमें कांग्रेस के 4 विधायक थे। इसके अलावा बीएसपी और समाजवादी पार्टी के भी विधायक थे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार सुरक्षित थी, है और रहेगी। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित विधायक रमाबाई को होटल से बाहर निकाल लिया गया हैं। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता नेता जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह गुरुग्राम के मानेसर स्थित आईटीसी होटल से रमाबाई के साथ निकलते हुए दिखाई दिये।
कल दिग्विजय सिंह गुड़गांव के उस होटल में पहुंचे थे जहां इन विधायकों को रखा गया था लेकिन उन्हें विधायकों से मिलने नहीं दिया गया। इससे पहले कहा जा रहा था कि होटल में आठ विधायक मौजूद हैं। सिंह ने मीडिया को बताया, "जिन लोगों से संपर्क हुआ है वो वापस आने को तैयार थे।हम बिसाहूलाल सिंह और रमाबाई के संपर्क में थे। भाजपा के रोकने के बावजूद रमाबाई वापस आ गई हैं।"
दिग्विजय ने भाजपा नेताओं पर विधायकों को पैसे देने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया, "भाजपा के रामपाल सिंह, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया और संजय पाठक उन्हें पैसे देने जा रहे थे। अगर वहां कोई छापा पड़ा होता, तो वे पकड़े जाते... हमें लगता है कि वहां 10 से 11 विधायक थे, अब सिर्फ चार विधायक उनके पास है, वे भी हमारे पास आ जाएंगे।"
इससे पहले, मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोत ने एक चैनल से बातचीत में आरोप लगाया, "कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने हमें फोन किया और बताया कि हमें (विधायकों) गुरुग्राम के आईटीसी होटल में जबरन रखा गया है और जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। एक विधायक का फोन आने के बाद हमारे दो मंत्री जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी गुरुग्राम के होटल में आठ विधायकों से मिलने पहुंचे थे लेकिन उन्हें होटल के अंदर जाने नहीं दिया गया।" हालांकि, भाजपा ने कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय का दावा है कि अब होटल में सिर्फ चार विधायक हैं। वहीं मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री का कहना है कि चार विधायकों को दिल्ली से बेंगलुरू भेज दिया गया। इस मामले में कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं। भनोत ने कहा, "हरियाणा में भाजपा की सरकार है इसलिए वहां की पुलिस और मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक तथा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हमारे दोनों मंत्रियों को होटल में जबरन रखे गए विधायकों से मिलने नहीं दिया है।"
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए उनकी पार्टी के विधायकों को रिश्वत देने की कोशिश कर रही है। दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा 20-25 करोड़ रुपये देकर कांग्रेस के विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
बता दें, पिछले साल जुलाई में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने राज्य विधानसभा में कमलनाथ सरकार पर हमला करते हुए कहा था, 'ऊपर से आदेश है। तुम्हारी सरकार नहीं बचेगी।' 24 जुलाई 2019 को भार्गव ने कहा था, 'हमरे ऊपर वाले नंबर 1 या नंबर 2 का आदेश हुआ तो आपकी सरकार 24 घण्टे भी नहीं चलेगी। हालांकि इसके बाद राज्य विधानसभा में आपराधिक कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान कमलनाथ सरकार के पक्ष में 122 वोट पड़े थे। उस दौरान भाजपा के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान किया था।
वर्तमान में मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। 2 विधायकों का निधन होने से वर्तमान में 228 सदस्य हैं। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। सरकार को अन्य 4 निर्दलीय विधायकों, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का भी समर्थन मिला हुआ है। मौजूदा समय में भाजपा के पास 107 विधायक हैं।