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मुंबई: 1993 के मुंबई धमाकों के मामले में टाडा कोर्ट ने सजा पर फैसला सुना दिया है। फ़िरोज़ अब्दुल रशीद ख़ान और ताहिर मर्चेंट को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं अबू सलेम और करीमुल्लाह खान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दोनों पर 2-2 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। रियाज सिद्दकी को 10 साल की सजा हुई है। 12 मार्च, 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में ढाई सौ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। मामले में कुल 7 आरोपी थे, जिनमें से एक अब्दुल कयूम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था और छह को दोषी पाया था. छह दोषियों में एक मुस्तफा डोसा की मौत हो चुकी है। अबू सलेम, रियाज़ सिद्दीक़ी, फ़िरोज़ अब्दुल रशीद ख़ान, ताहिर मर्चेंट और करीमुल्लाह ओसान ख़ान को दोषी करार दिया गया था । एक और दोषी मुस्तफ़ा अहमद डोसा की मौत हो गई जबकि एक आरोपी अब्दुल कयूम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। अबू सलेम यूं तो साजिश की धारा 120बी और हत्या के तहत दोषी पाया गया है। ऐसे में मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन अबू सलेम को पुर्तगाल से सशर्त लाया गया है कि उसे 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती।

मुंबई. मुंबई की एक निर्माणाधीन इमारत में बीती रात आग लगने की वजह से छह लोगों की मौत हो गयी। जानकारी के अनुसार हादसे में 11 लोग घायल भी हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। आग लगने की जानकारी पुलिस ने दी है। पुलिस ने बताया कि जुहु में किशोर कुमार गार्डन के निकट प्रार्थना इमारत में गैस सिलेंडर में विस्फोट होने की वजह से आग लगी। घायलों में नौ पुरुष और दो महिलाएं हैं। उन्हें निकटतम, बीएमसी के कूपर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घायलों में से आठ की हालत नाजुक है। मुंबई पुलिस की प्रवक्ता रश्मि करांदीकर ने बताया कि आग पर काबू पा लिया गया है। पुलिस ने बताया कि पीडि़तों की पहचान नहीं हो सकी है क्योंकि उनके शव बुरी तरह से जल गये हैं।

नई दिल्ली: मोदी सरकार के नए मंत्री अपने-अपने महकमों का कामकाज संभाल रहे हैं। सोमवार को ज़्यादातर केंद्रीय मंत्रियों ने नया पदभार संभाल लिया। लेकिन भाजपा के सहयोगी दल इस फेरबदल में अपनी अनदेखी से मायूस हैं। मोदी मंत्रिमंडल के पूरे कामकाज पर सहयोगी शिवसेना ने तीखा हमला किया। मुख्यपत्र सामना में लिखा गया, "मोदी सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए लेकिन मंत्रिमंडल में प्रयोग अब भी जारी हैं। लोग अब भी अच्छे दिनों के चमत्कार की राह देख रहे हैं। बिहार, असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, जैसे राज्यों में बाढ़ की तबाही है और सरकारी अस्पतालों में मौतें ख़त्म नहीं हो रहीं। किस मंत्रालय ने कौन सी समस्या हल कर दी?" ये उम्मीद जेडीयू को भी थी कि उसे फेरबदल में जगह मिलेगी। रविवार को जेडीयू महासचिव ने ये उम्मीद जता भी दी थी जब उन्होंने मीडिया से कहा था, "नीतिश सरकार में भाजपा की सम्मानजनक हिस्सेदारी के बाद बिहार के लोगों को उम्मीद थी कि जेडी-यू के प्रतिनिधि भी मोदी सरकार में शामिल होंगे, लेकिन ये विस्तार सिर्फ बीजेपी तक ही सीमित रहा।". हालांकि सोमवार को नीतीश कुमार ने खट्टे अंगूर कौन खाए के अंदाज़ में इसे ग़लत बताया। नीतिश ने पटना में कहा, "इसकी (मोदी सरकार में शामिल होने की) कोई बात ही नहीं थी।

नई दिल्ली: मुंबई में अब गणपति विसर्जन उत्सव धूम धमाके से मनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के साइलेंस जोन पर जारी आदेश पर रोक लगाई। मुंबई में बॉम्बे हाईकोर्ट के साइलेंस जोन पर फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी। अगर हाईकोर्ट का साइलेंस जोन बरकरार रखने का फैसला बरकरार रहता तो गणेश विसर्जन में दिक्कत होती। शुक्रवार को ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाली केंद्र सरकार के कदम पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बाद सभी अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे वाला क्षेत्र शांत क्षेत्र या साइलेंस जोन बना रहता। हाईकोर्ट के इस फैसले को कानून और राजनीतिक हलकों में केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है। वर्ष 2000 के ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए प्रथम दृष्टया इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया है।अर्थात इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन माना गया है।

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