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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच के सिलसिले में उसकी 16.40 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की है। प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा कि उसने धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नाइक की मुंबई और पुणे स्थित संपत्तियों की कुर्की के लिए अस्थायी आदेश जारी किया था। ईडी ने मुंबई में फातिमा हाइट्स और आफिया हाइट्स के रूप में संपत्तियों की पहचान की। ये संपत्तियां मुंबई शहर के भांडुप क्षेत्र में एक अनाम परियोजना के रूप में हैं और दूसरी परियोजना पुणे में एंग्रेसिया नाम की है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि अचल संपत्तियों का अनुमानित मूल्य 16.40 करोड़ रुपये है। ईडी ने इस मामले में तीसरी कुर्की की है। इन संपत्तियों का मूल और वास्तविक स्वामित्व को छिपाने के लिए नाइक के बैंक खाते से किए गए प्रारंभिक भुगतानों को उनकी पत्नी, बेटे और भतीजी के खातों में वापस कर दिया गया और नाइक के बजाय परिवार के सदस्यों का नाम बुकिंग करने के उद्देश्य से फिर से भेजा गया।

रालेगण सिद्धि: वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे 30 जनवरी से एक बार फिर लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ति की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू करेंगे। वह अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि में ये अनशन शुरू करेंगे। हाल ही में हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की थी। हजारे ने शनिवार को कहा,"लोकपाल कानून साल 2013 में बना। उसके बाद साल 2014 में भाजपा की सरकार आई। हमें लगा कि शायद कुछ होगा, लेकिन बीते पांच साले में इन्होंने कुछ नहीं किया। इसलिए मैंने ये तय किया है कि मैं 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि से भूख हड़ताल शुरू करूंगा।" लोकपाल और लोकायुक्त कानून की अनदेखी पर समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

उन्होंने लिखा, आपने (पीएम मोदी) सत्ता के लिए सत्य को छोड़ दिया है। आपकी सरकार जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए वह रालेगण सिद्धि में 30 जनवरी से अनशन करेंगे। हजारे ने लिखा था, 'मोदी के सत्ता में आने से लगा देश को समाज सेवा करने वाला पीएम मिल गया। लेकिन पांच साल पूरे होने को आए लेकिन इसके बाद भी लोकायुक्त लोकपाल बिल को लेकर सरकार उदासीन है।

मुंबई: शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के अपने फैसले पर अडिग रहते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बंबई हाईकोर्ट से कहा है कि इस आरक्षण का उद्देश्य समुदाय को सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन से बाहर निकालना है। सरकार ने समुदाय के आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में बुधवार को हाईकोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया। हलफनामे में सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा सभी राज्यों पर लागू नहीं की जा सकती।

महाराष्ट्र विधानमंडल ने 30 नवंबर 2018 को एक विधेयक पारित किया, जिसमें मराठों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव था। सरकार ने मराठों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग घोषित किया है। हलफनामे में दावा किया गया कि सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग का सृजन, मराठा समुदाय को इस श्रेणी में शामिल करना तथा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान ‘अत्यधिक या अनुपात से अधिक’ नहीं कहा जा सकता।

मुंबई: महाराष्ट्र के मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में कैंटीन वेटर के 13 पदों के लिए 7000 लोगों ने आवेदन दिया था जिनमें से ज्यादातर स्नातक थे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में इन पदों के लिए 100 अंक की लिखित परीक्षा हुई थी । उनके लिए शैक्षणिक अर्हता चौथी उत्तीर्ण है। उन्होंने कहा, ''परीक्षा की औपचारिकताएं 31 दिसंबर को पूरी हुई और फिलहाल ज्वायनिंग प्रक्रिया चल रही है। चुने गये 13 उम्मीदवारों में आठ पुरुष हैं और बाकी महिलाएं हैं। दो-तीन लोगों ने अब तक दस्तावेज नहीं सौंपे हैं और आधिकारिक रुप से काम करना शुरु नहीं किया है।

उन्होंने बताया कि चुने गये लोगों में 12 स्नातक हैं और एक बारहवीं पास हैं। इन 13 पदों के लिए अधिकतम स्नातक उम्मीदवार थे और बाकी बारहवीं पास थे। चुने गये उम्मीदवार 25-27 साल उम्र के हैं। स्नातकों को मंत्रालय कैंटीन में वेटर के तौर पर नियुक्त किये जाने पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए विधानपरिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि मंत्रियों और सचिवों को शिक्षित व्यक्तियों की सेवाएं लेने पर शर्म आनी चाहिए।

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