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राजस्थान: भाजपा को बड़ा झटका, सांसद हरीश मीणा कांग्रेस में शामिल नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। राजस्थान के दौसा से सांसद हरीश मीणा ने बुधवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। मीणा ने राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और महासचिव अशोक गहलोत की मौजूदगी में कांग्रेस शामिल हुए। इस मौके पर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं खुश हूं कि हरीश मीणा ने कांग्रेस में ऐसे समय में शामिल होने का फैसला लिया। मैं बाहें खोलकर उनका कांग्रेस में स्वागत करता हूं।

अशोक गहलोत ने कहा, 'देश के तमाम नेता कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी केवल राम मंदिर की बात कर रही है। भाजपा में केवल अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही चलती है। हरीश मीणा के कांग्रेस में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।' इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कांग्रेस में किसी तरह की फूट नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं और सचिन पायलट दोनों ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वे किस सीट से चुनाव में उतरेंगे।

जयपुर: राजस्थान में आगामी 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी नेता मंत्री और विधायक सुरेंद्र गोयल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों के लिए 7 दिसंबर को चुनाव होना है। नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।

टिकट नहीं मिलने पर धनकड़ का इस्तीफा

टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा नेता कुलदीप धनकड़ ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया हैं। धनकड़ ने टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी को अपना इस्तीफा भेज दिया। उन्होंने कहा कि अब वह बागी होकर विराटनगर से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनके बजाय फूलचंद भिंडा को प्रत्याशी बनाकर विराटनगर की जनता का अपमान किया है। उल्लेखनीय है कि विराटनगर से मौजूदा विधायक भिंडा को पार्टी ने फिर अपना उम्मीदवार बनाया हैं। धनकड़ पिछले 20 वर्षों से भी अधिक समय से भाजपा में सक्रिय थे।

जयपुर: कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हर चार साल बाद, चुनाव से पहले भाजपा को राम मंदिर की याद आती है तथा केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने चुनाव से पहले इस विषय में कुछ नहीं किया। सिंघवी ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राम मंदिर का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और ऐसे में चुनाव से पहले अचानक अध्यादेश (आर्डिनेंस) की बात करना अस्थितरता पैदा करने और सिर्फ सस्ती राजनीति के लिये भगवान राम का अपमान करने की प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा कि साढे़ चार साल तक अध्यादेश लाने में क्या कोई प्रतिबंध था? अचानक अध्यादेश की याद सरकार को कैसे आई। ‘‘यह सब राजनैतिक हथकंडे हैं, बरगलाने की और राजनीतिक रोटियां पकाने की प्रक्रिया है।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की उपलब्धियों में सबसे ऊपर है संस्थाओं को कैसे तोड़ना और कैसे खत्म करना है। जो हश्र सीबीआई और आरबीआई का हुआ है वह 70 साल में नहीं देखा। आरबीआई के 80 प्रतिशत सुझावों के विरूद्व नोटबंदी की गई। सिंघवी ने आरोप लगाया कि इस सरकार में संस्थाओं के प्रति न कोई आदर है न गरिमा का भाव है।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि लोक संगठनों को सत्ता में बैठे लोगों का सेवक नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति से भी दूर रहना चाहिए। आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि प्रशासन तंत्र को संविधान के अनुसार काम करना होता है और लोक संगठनों की अगुवाई में सतर्क नागरिकों को इसे सुनिश्चित करना होगा।

उन्होंने कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि सत्ता संविधान का पालन करेगी? लोक संगठनों के नेतृत्व में सतर्क नागरिक इसकी गारंटी हैं और इसलिए उन्हें सत्ता में बैठे लोगों का सेवक नहीं होना चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सत्ता में कई लोग हैं जो बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन मौजूदा व्यवस्था के कारण उनके हाथ बंधे हैं। भागवत ने कहा कि लोक संगठनों को सत्ता की राजनीति से दूर रहना चाहिए..सत्ता एक व्यवस्था है। व्यवस्था का हिस्सा बनकर सत्ता कभी बदलाव लाने में मदद नहीं करती। सत्ता में कई लोग हैं जो बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन सत्ता की व्यवस्था के कारण उनके हाथ बंधे हैं।

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