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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: कई राज्यों की जेलों में जाति आधारित भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है कि जेलों में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है। कैदियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार न करना औपनिवेशिक विरासत है। जेलों में बनाए गए इस नियम को खत्म किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल अधिकारियों को उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए। कैदियों के बीच जाति को अलगाव के आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे दुश्मनी पैदा होगी। यहां तक कि कैदी भी गरिमा से जीवन जीने का अधिकार रखता है।

कोर्ट ने आगे कहा, भेदभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से किया जा सकता है। रूढ़िवादिता ऐसे भेदभाव को बढ़ावा दे सकती है, राज्य का सकारात्मक दायित्व है कि वो इसपर रोक लगाए। न्यायालयों को अप्रत्यक्ष और प्रणालीगत भेदभाव के दावों पर फैसला लेना चाहिए। पूरे इतिहास में जातिगत भेदभाव के कारण मानवीय सम्मान और आत्मसम्मान को नकारा गया है।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को बवाना पुलिस स्टेशन से रिहा कर दिया गया है। वांगचुक अपने सहयोगियों के साथ पुलिस के कड़े पहरे में राजघाट पहुंचे। वांगचुक ने 2 अक्टूबर को गांधी जी की समाधि स्थल पर जाने की इच्छा जाहिर की थी।

पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस एक प्राइवेट कार में राजघाट स्थित गांधी समाधि स्थल लेकर पहुंची। सोनम वांगचुक और लद्दाख के 150 नागरिकों को मंगलवार देर रात दिल्ली पुलिस द्वारा रिहा करने के बाद उन्हें दोबोरा हिरासत में लिया गया था। वांगचुक और कुछ अन्य लोगों को बवाना थाने में रखा गया। इसके अलावा अन्य लोगों को अलग-अलग थानों में रखा गया था।

नई दिल्ली: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत कई लोगों को दिल्ली सीमा पर हिरासत के बाद रिहा कर दिया गया है। जिसके बाद उनका काफिला राजघाट की ओर रवाना हो गया है। थोड़ी देर में वह राजघाट पहुंचेंगे। राजघाट पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य लद्दाख वासियों को हिरासत में लिया जाना ‘‘अस्वीकार्य’’ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लद्दाख की आवाज सुननी होगी।

केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने वाले वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में ले लिया।

गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और लद्दाख के सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया जाना अस्वीकार्य है।’’

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी पूछा कि लद्दाख के भविष्य के लिए आवाज उठाने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर आखिर हिरासत में क्यों लिया गया। गांधी ने कहा, ‘‘मोदी जी, किसानों के मामले की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।’’

नई दिल्ली: संपत्तियों को बुलडोजर से गिराने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी या दोषी है, उसकी संपत्ति को गिराने का आधार नहीं बनाया जा सकता।' हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराधियों, आरोपियों और अन्य की संपत्तियों को गिराया जा रहा है।

'सभी नागरिकों के लिए दिशा निर्देश, किसी धर्म विशेष के लिए नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 'वह संपत्तियों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं।' पीठ ने कहा कि 'हम जो भी तय कर रहे हैं, हम इसे पूरे देश में सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए तय कर रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। किसी धर्म विशेष के लिए अलग कानून नहीं हो सकता।'

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