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नई दिल्ली: अमेरिकी संघीय सरकार के एक आयोग ने 3 अक्टूबर को भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की कथित बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की है। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। मोदी सरकार ने कहा कि ये यूएस कमीशन पक्षपाती और राजनीतिक एजेंडे वाला संगठन है। विदेश मंत्रालय के सचिव रणधीर जायसवाल ने कहा, "यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) को लेकर हमारी राय बिल्कुल साफ है। ये एक पक्षपातपूर्ण संगठन है, जिसका एक राजनीतिक एजेंडा है।"

रणधीर जायसवाल ने कहा, "यूएससीआईआरएफ, शुरुआत से ही तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है। इससे भारत के बारे में मोटिवेटेड नैरेटिव को बढ़ाना जारी रखा है। हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को अस्वीकार करते हैं। यह रिपोर्ट यूएससीआईआरएफ को बदनाम करने का काम करती है।" विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, "हम यूएससीआईआरएफ से ऐसे एजेंडा फैलाने वाली कोशिशों से दूर रहने को कहते हैं। यूएससीआईआरएफ को अमेरिका में मानवाधिकार के मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपने समय का अच्छे से इस्तेमाल करना चाहिए।"

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने दिल्ली में एयर क्वालिटी पर नजर रखने वाले केंद्र सरकार के पैनल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने फ्लाइंग स्क्वाड को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "29 अगस्त को सीएक्यूएम (एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन) की बैठक हुई। इसमें पराली जलाने पर कोई चर्चा नहीं हुई। 3 साल पहले आदेश दिया गया था कि प्रदूषण करने वालों पर मुकदमा चले। आप आज तक उनके प्रति नर्म हैं। ऐसा क्यों?"

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्यों नहीं हुई कार्रवाई

इस पर एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सख्ती इसलिए नहीं की, क्योंकि प्रदूषण में लगातार गिरावट आ रही है। इसके बाद जज ने पूछा, "आप इतने गंभीर हैं कि साल में 3-4 बार बैठक करते हैं। सिर्फ लक्ष्य बता रहे हैं, परिणाम नहीं मिल रहे। इस साल पराली जलाने की 129 घटनाएं रिपोर्ट हुईं। आपने एक के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की।"

नई दिल्ली: कई राज्यों की जेलों में जाति आधारित भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है कि जेलों में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है। कैदियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार न करना औपनिवेशिक विरासत है। जेलों में बनाए गए इस नियम को खत्म किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल अधिकारियों को उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए। कैदियों के बीच जाति को अलगाव के आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे दुश्मनी पैदा होगी। यहां तक कि कैदी भी गरिमा से जीवन जीने का अधिकार रखता है।

कोर्ट ने आगे कहा, भेदभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से किया जा सकता है। रूढ़िवादिता ऐसे भेदभाव को बढ़ावा दे सकती है, राज्य का सकारात्मक दायित्व है कि वो इसपर रोक लगाए। न्यायालयों को अप्रत्यक्ष और प्रणालीगत भेदभाव के दावों पर फैसला लेना चाहिए। पूरे इतिहास में जातिगत भेदभाव के कारण मानवीय सम्मान और आत्मसम्मान को नकारा गया है।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को बवाना पुलिस स्टेशन से रिहा कर दिया गया है। वांगचुक अपने सहयोगियों के साथ पुलिस के कड़े पहरे में राजघाट पहुंचे। वांगचुक ने 2 अक्टूबर को गांधी जी की समाधि स्थल पर जाने की इच्छा जाहिर की थी।

पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस एक प्राइवेट कार में राजघाट स्थित गांधी समाधि स्थल लेकर पहुंची। सोनम वांगचुक और लद्दाख के 150 नागरिकों को मंगलवार देर रात दिल्ली पुलिस द्वारा रिहा करने के बाद उन्हें दोबोरा हिरासत में लिया गया था। वांगचुक और कुछ अन्य लोगों को बवाना थाने में रखा गया। इसके अलावा अन्य लोगों को अलग-अलग थानों में रखा गया था।

नई दिल्ली: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत कई लोगों को दिल्ली सीमा पर हिरासत के बाद रिहा कर दिया गया है। जिसके बाद उनका काफिला राजघाट की ओर रवाना हो गया है। थोड़ी देर में वह राजघाट पहुंचेंगे। राजघाट पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं।

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