नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने आज (शनिवार) राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार से कश्मीर के वर्तमान संकट का प्रशासनिक की जगह राजनीतिक समाधान ढूंढ़ने को कहें। बीस विपक्षी नेताओं का नेतृत्व कर रहे उमर ने राष्ट्रपति से एक घंटे की मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘केंद्र सरकार के यह मानने में विफल रहने कि कश्मीर में मुद्दा अधिकांशत: राजनीतिक प्रकृति का है, के कारण पहले से ही अशांत स्थिति और खराब हो गई है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से केंद्र सरकार से यह कहने का आग्रह किया कि वह राज्य में राजनीतिक मुद्दे का समाधान करने के लिए आगे कोई और विलंब किए बिना सभी पक्षों को शामिल कर राजनीतिक वार्ता की ठोस एवं उपयोगी प्रक्रिया शुरू करे।’ उमर ने कहा कि स्थिति से राजनीतिक नजरिए से निपटने से केंद्र का लगातार इनकार ‘निराशाजनक है और इससे राज्य में शांति एवं स्थिरता के लिए दीर्घकालिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।’ पूर्व मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जीए मीर के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक, माकपा विधायक एमवाई तारिगामी और निर्दलीय विधायक हाकिम यासीन भी थे। उमर ने कहा, ‘कश्मीर घाटी में 42 दिन से सुलग रही आग पहले ही पीर पंजाल और जम्मू क्षेत्र की चेनाब घाटी तथा करगिल क्षेत्र तक फैलनी शुरू हो चुकी है।’ उमर ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य होता है कि वे कब जगेंगे क्योंकि स्थिति गंभीर है।’
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार पेट्रोल तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की बिक्री रोकने जैसे प्रशासनिक कदमों का इस्तेमाल कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने खेद जताया कि स्थिति को सामान्य बनाने के लिए जो कदम केंद्र और राज्य सरकार को उठाने चाहिए, वे कदम विपक्षी दल उठा रहे हैं। उमर ने कहा, ‘ये विपक्षी दल थे जिन्होंने संसद में चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बनाया और ये एक बार फिर विपक्षी दल हैं जो राज्य सरकार पर कोई राजनीतिक समाधान ढूंढ़ने के लिए दबाव बना रहे हैं।’ उन्होंने आगाह किया कि समग्र एवं सतत राजनीतिक पहल के जरिए राज्य के लोगों से वार्ता करने में विलंब जारी रहने से घाटी में अलग-थलग होने की भावना और बढ़ेगी तथा भविष्य की पीढ़ी पर अनिश्चितता के बादल छाएंगे।’ उमर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह घाटी में नागरिकों पर घातक बल का इस्तेमाल रोकने के लिए राज्य और केंद्र पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें।