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(जलीस अहसन) कोरोना वायरस प्रकोप का दुनिया का सबसे बड़ा केन्द्र बना, अमेरिका इस महामारी से अभी उबर भी नहीं पाया था कि इसी बीच उसे नस्लीय अशांति ने भी आ घेरा। विश्व की महाशक्ति, सबसे बड़ा लोकतंत्र और सभी नागरिकों को एक समान मानने का दावा करने वाला यह देश अभी तक अपने काले नागरिकों को न तो सामाजिक-आर्थिक बराबरी दिला सका है और न ही सम्मान। 1970 के दशक तक, उसके यहां रेस्तरां आदि के दरवाज़े पर यह बोर्ड टंगा देखना आम बात थी, जिसपर लिखा होता था ‘‘डाॅग्ज़ एंड ब्लैक्स आर नाॅट अलाउड‘‘ ।

यह सच है कि अमेरिका उस दौर से काफी आगे निकल आया है। वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से पहले, बराक ओबामा ने वहां का पहला अश्वेत राष्ट्रपति बन कर एक इतिहास रचा। इसके बावजूद, यह भी वास्तविकता है कि गोरे अमेरिकियों की एक बड़ी संख्या, कालों को अभी भी नफरत की नज़र से देखती है। हाल की एक घटना में, एक काले जाॅर्ज फ्लायड की गर्दन को एक गोरे पुलिस वाले ने अपने घुटने से तकरीबन नौ मिनट तक दबाए रखा, जब तक की उसकी जान नहीं निकल गई।

(आशु सक्सेना) श्रम कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों को राज्य सरकारों द्वारा निलंबित किये जाने के विरोध में वामपं​थी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकारों को घेरने का मन मना लिया है। वामपं​थी दलों से संबद्ध भारतीय ट्रेड यूनियन परिसंघ ने जहां श्रम कानून के प्रावधानों को निलंबित किये जाने के विरोध में राष्ट्रव्यापी जनान्दोलन शुरू करने का फैसला किया है, वहीं इस मुद्दे को 'अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन’ (आईएलओ) में ले जाने की योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।

गौरतलब है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए देश भर में लगाए लॉकडाउन का तीसरा दौर खत्म होने जा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधे ठप हो चुके हैं, जिससे देश और राज्यों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। इससे उबरने और दोबारा से उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव करने भी शुरू कर दिए हैं, जिसके विरोध में सुर भी उठने लगे हैं। इसके बावजूद देश के सात राज्य अपने श्रम कानूनों में कई बड़े बदलाव कर चुके हैं। श्रम कानूनों में बदलाव की पहले शुरूआत राजस्थान की। गहलोत सरकार ने बदलाव काम के घंटों को लेकर किया।

(आशु सक्सेना) लॉकडाउन का आज 40 वां हो गया। 41 वें दिन देश के हरित क्षेत्र (ग्रीन जोन) में एक बार फिर जीवन पटरी पर आ जाएगा। सोमवार से इस क्षेत्र में सामाजिक दूरी के नियम को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बंदिशें खत्म हो जाएंगी। इस क्षेत्र में चाय, पान, बीड़ी, सिगरेट, गुटके और शराब की दुकानें खुलने लगेंगी। साफ है कि सड़कों पर चहन पहल के साथ महफिले ​फिर सजने लगेंगी। जबकि रेड़ जोन में बंदिशें पहले की तरह लागू रहेंगी। केंद सरकार ने 17 मई तक लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने का सरकारी आदेश जारी कर दिया है। वहीं ऑरेंज जोन में कुछ बंदिशों के साथ सीमित छूट दी जाएगी।

देश की सेना ने लॉकडाउन के 40 वें दिन कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ रहे योद्धाओं के सम्मान में आसमान से फूलों की वर्षा की। भारतीय वायुसेना ने सुखोई जैसे लड़ाकू विमान के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित कोरोना वायरस अस्पतालों के ऊपर फूल बरसाए। भारतीय थलसेना इन अस्पतालों के पास अपनी धुन से कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाया। वहीं नौसेना अपने जहाजों को रोशन करके कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जीत दर्ज करने का संदेश दिया।

(आकांक्षा सक्सेना) दुनिया के रचियता ने सबसे बुद्धिमान प्राणी को रचा जिसमें प्रेम, दया,परोपकार, बुद्धि, विवेक, सोचने -समझने की शक्ति व मुस्कुरा के सभी के हृदय को जीतने की शक्ति और सहानुभूति और प्रार्थना स्वरों से किसी पीड़ित को नवजीवन देने की अपार शक्ति निहित थी। जिसमें सपनों और कल्पनाओं को साकार रूप देने की अनंत ऊर्जा विद्दमान थी, जोकि दुनिया के रचियता की सबसे भरोसेमन्द और प्रिय रचना थी, जिसे उसने नाम दिया "इंसान"। दुनिया के रचियता को पूरा विश्वास था कि यह प्राणी हमारा सहयोगी साबित होगा। यह प्राणी हमारी प्रकृति और हमारी अनंत रचनाओं का रक्षक होगा।

दुनिया के रचियता ने उसे समझाया तुम्हारा होना, तुम्हारा कर्म प्रकृति के सभी जीवों की रक्षा और मेरी सभी रचनाओं का सेवाभाव से सम्मान करते हुये जीवन पथ पर सच्चाई और ईमानदारी से अग्रसर होना है, तभी तुम्हारा इंसान होना और मेरा तुम्हें रचना सफल और सार्थक होगा। मैं अपनी सृष्टि के प्रत्येक प्राणी, इंसान को एक अदभुद प्रतिभा और ऊर्जा के साथ भेजता हूँ। मैं किसी को खाली हाथ नही भेजता और नही चाहता कि मेरा इंसान मेरे पास खाली हाथ मिटा हुआ ना लौटे। उसे रक्षक बनाकर भेजा वह भक्षक बन कर न लौटे।

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