(दिवाकर तिवारी) युवाओं के साथ ही अब 'ऑनलाइन गेम्स' के प्रति बच्चों का तेजी से बढ़ता रूझान अभिभावकों की सबसे बडी चिंता बनती जा रही है। वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल के दौरान यह विष अपनी चरमसीमा की हद्द पार करता हुआ दिखाई दे रहा। दरअसल, देश के युवाओं में ऑनलाइन गेम्स पब्जी फ्री फायर, जैसे तमाम गेम्स खेलने की लत ने फैशन के तौर पर लोगों के दिलों दिमाग में इस कदर अपनी जगह बना ली है। उसके पागलपन में आत्महत्या की हद तक जाने की ख़बरें आ चुकी हैं। देश में कोरोना काल ऑनलाइन गेम्स दिनों-दिन अपनी हद्दे पार कर रहा है।
वैश्विक महामारी कोरोना ने भारत ही नहीं विदेशों में जनजीवन को प्रभावित किया है। दुनिया भर में 'शिक्षा' को लेकर सरकारें चिंतित हैं। अगला शैक्षिक सत्र कब और कैसे शुरू किया जाए। इसे लेकर दुनिया के देश मंथन के दौर में हैं। भारत में भी केंद्र और प्रदेश सरकारें इस दिशा में चिंतन मनन कर रहे हैं। देश में शिक्षा का नया सेशन शुरू होने की प्रक्रिया में स्कूल-कॉलेजों में ऑनलाइन शिक्षा प्रक्रिया को अपनाया गया है। कोरोना काल में स्कूल गाइडलाइन के जरिए बच्चों को घर बैठे अटेंडेंस के साथ स्टडी करा रहें हैं। ऑनलाइन क्लास का मक़सद यह है कि इससे बच्चों का साल बर्बाद ना हो और उनकी स्कूल में अंटेंडेंस भी लगती रहें।
कोरोना काल में स्कूल अपनी तरफ से इस सुविधा के अलावा अन्य कोई सुविधा देने मेंं असमर्थ हैं। वहीं बच्चों की टियूशन भी ऑनलाइन चल रही है। दूसरे शब्दों में लैपटॉप और स्मार्ट फोन पर बच्चों की पूरी तरह पकड़ मजबूत हो चुकी है। स्कूल और टियूशन का होम वर्क जो अभिभावक खासकर मां के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई है। बच्चों की ऑनलाइन पढाई से कहीं ज्यादा दिलचस्पी ऑनलाइन गेम की ओर नज़र आ रही है।
युवाओं के साथ अब बच्चे भी तेजी ऑनलाइन गेम्स के एडिक्ट हो रहे है। बच्चों ने ऑनलाइन गेम्स जैसे पब्बजी,फ्रीफायर ने बच्चो के मानसिक संतुलन को खराब कर दिया है बच्चे अपने पैरेंट्स से ऑनलाइन क्लास का बहाना लगाकर रूम में ऑनलाइन गेम खेलते हैं और वही बच्चों को अगर गेम्स खेलने के लिए मना किया जाता है। तो उनका गुसेल, चिड़चिड़ान पैरेंट्स के लिए दिक्कत साबित हो जाता है और पैरेंट्स भी डरते हैं कहीं मना करने पर बच्चे कुछ ग़लत कदम ना उठा ले। ऑनलाइन गेम्स के फैशन ने आज बच्चों और युवाओं को भी अपना शिकार बना लिया है। आठ घंटे मोबाइल में ऑनलाइन गेम्स ने आज सभी की दिनचर्या में बदलाव कर दिया है। इसका युवा पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहो है। अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटते दिखाई दे रहें हैं।
जानकारी के अनुसार पब्जी वीडियो गेम मार्च 2017 में लांच हुआ था कुछ समय बाद से ही एंड्रायड मोबाइल पर भी आ गया इस ऑनलाइन गेम में सट्टे के लिए सबसे पहले रूम आईडी बनती है रूम आईडी बनाने वाला ऑनलाइन प्लेयर सोशल मीडिया के जरिए लोगों को इन्वाइट करता है रूम इंट्री के लिए इनवाइट प्लेयर पेटीएम के जरिए निर्धारित रकम का भुगतान करता है इसके बदले प्लेयर को रूम आईडी और पासवर्ड दिया जाता है, चार प्लेयर का एक्वायड बनता है इसके बाद एक साथ 100 सदस्यीय 25 स्वायड टीम आइलेंड के बार जोन में उतरती है विनर को पेटीएम के ही माध्यम से रूम आईडी बनाने वाला प्लेयर सट्टे की रकम का भुगतान करता है, पब्जी मोबाइल एक शूटर बैटल रॉयल गेम है यह जिसमें 100 खिलाड़ी एक बैटल ग्राउंड में छोड़ जाते है और वह मरने तक लड़ते हैं, 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला खिलाड़ी गेम का विजेता बनता है। गेम्स जितनी दिलचस्प होती हैं मज़ा उतना ही निराला होता है लेकिन इंटरनेट ने ऑनलाइन गेम्स ने आज के युवाओं को जी आज प्लेटफॉर्म दिया है उससे उनके भविष्य पर ढेरो सवाल जवाब खड़े हो गए हैं । पंजाब से खड़ड से भी ऐसा मामले आया । जिसमें बच्चे ने अपने पैरेंट्स के डेबिट कार्ड से बारह लाख का लेन देन ऑनलाइन गेम्स खेलकर कराया हैं जब पैरेंट्स अपने बैंक की डिटेल निकालने गए तो मात्र 5पांच हज़ार रूपये उनके खाते में बचे हुए थे ।
120 से भी ज्यादा मामले इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस NIMHANS में 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर PUBG गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया। पब्ब जी सिर्फ बच्चों तक की सीमित नहीं है बल्कि 6 साल के बच्चे से लेकर 30-32 साल के युवाओं तक में इस गेम को लेकर जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है। इस गेम की बढ़ती लत के कारण हजारों युवाओं में व्यवहार संबंधी परेशानियां देखने को मिल रही हैं।
इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन में जाना जितना आसान होता हैं ठीक उसी तरह इसका एडिक्ट बनना भी उतना हो हानिकारक होता हैं । एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरनेट पर गेम खेलने की लत बच्चों को ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक रुप से बीमार करती है बल्कि ये बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए एक बड़ा खतरा है.गेम्स एडिक्ट से बच्चों ने ऑनलाइन क्लास पर भी बुरा असर पडता दिखाई दे रहा हैं ।
इंटरनेट वर्सेज कोरोना
आज का युग इंटरनेट के साथ कोरोना का युग भी हैं इंटरनेट और कोरोना ये दोनों ऐसे जाल हैं यदि इन दोनों का प्रयोग सही तरीके से करो तो ये दोनों आपकी जिंदगी के साथ आपके साथ रहे हर शख्स की मदद करेगा और साथ ही दोनों से लड़ने में सहायक होगा। ये ऐसा जाल हैं अगर इसका उपयोग ठीक दिशा में करते हैं तक सकरात्मक परिणाम आते हैं और यदि इसी का इस्तेमाल बुरी दिशा में करें तो जो परिणाम आगे चलकर भयावक रूप लेता हैं । ऑनलाइन का मतलब ये नही आज ऑनलाइन गेम्स खेले ,ऑनलाइन चैट करें ऑनलाइन चैट करें, या फिर ऑनलाइन का मिस यूज़ करें । कोरोना संकट ने हमे ऑनलाइन काम के साथ घर बैठे बहुत कुछ सीखा दिया आज यही पल जिसमें हम अपने घर 24 घंटे व्यतीत करते हैं और इस समय से अभिप्राय कोरोना में घर से है। मतलब में हमे ओर हमारे बच्चों को इंटरनेट से जुड़ी उन तमाम जानकर से अवगत ओर बच्चों को इसका सही उपयोग बताना चाहिए जिससे हम अपने बच्चों के साथ उनका भविष्य भी उज्वल बना सकें।