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(आशु सक्सेना) देश में वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जंग लॉकडाउन-5 के अनलॉक-1 के मोर्चे तक पहुंच गई है। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश लागू करवाने समेत अन्य सभी प्रशासनिक अधिकार राज्य सरकारों में निहित हैंं। मज़दूरों के व्यापक स्तर पर पलायन के बाद यह महामारी गॉंव तक पहुंच चुकी हैै। कोरोना से प्रभावित देशों की सूची में भारत चौंथे स्थान पर है। इस बीच अनलॉक-1 के दौरान केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी राजनीति का राग भी छेड़ दिया​ है।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार और पश्चिम बंगाल में 'डिजिटल रैली' की। इन ​दोनों ही राज्यों में केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। जहां, बिहार में अपने सहयोगी जदयू के साथ पुन: सत्ता पर काबिज होने की चुनौती है। वहीं बंगाल में मतविभाजन का फायदा उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस से सत्ता को छिनने की रणनीति को अमलीजामा पहनाने की चुनौेती भी है। अमित शाह ने दोनों राज्यों में 'जनसंवाद' रैली आयोजित करके चुनावी बिगुल फूंक दिया है।

इस क्रम में बिहार की अपनी पहली रैली को चुनावी रैली होने से इंकार करते हुए उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की सहमति को दोहरा कर चुनावी माहौल को हवा दी है।

वहीं पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार का आगाज करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने वर्चुअल रैली में राज्‍य की सीएम ममता बनर्जी पर हमला बोला था। उन्‍होंने प्रवासी मजदूरों को कथित तौर पर 'कोरोना एक्‍सप्रेस' कहने के मामले में सीएम पर निशाना साधा था और कहा, दीदी, आपका यह संबोधन (कोरोना एक्‍सप्रेस) ही राज्‍य की सत्ता से आपके बाहर होने का रास्‍ता तैयार करेगा।

अमित शाह ने दोनों ही रैलियों में जनसंवाद के तहत मोदी सरकार के 6 साल की उपलब्धियों का गुणगान किया। इन रैलियों में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ने अनुच्छेद 370, सीएए, तीन तलाक पर ज्यादा फोकस किया। कोरोना काल में बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज को सरकार की एक बड़ी उपलब्धी ​बताया। वहीं कोरोना एक्सप्रेस का ज़िक्र करके कमजोर तबके को आकर्षित करने की कोशिश की है।

'अब हमें कैसे रोकेंगी ममता'

अमित शाह ने कहा- भ्रष्टाचार, टोलबाजी, राजनीतिक हिंसा, सत्ता, स्वार्थ, सिंडिकेट और संपत्ति के आधार पर कम्युनिस्टों को भी पीछे छोड़ दिया है। क्या राजनीतिक परिवर्तन हिंसा बंगाल का आभूषण बन सकती है क्या? राजनीतिक परिवर्तन का माध्यम हिंसा हो सकती है क्या। किसी की रैली ना होने देना। ममता दीदी अब आप क्या करोगी? हम तो वर्चुअल रैली कर रहे हैं। रोड रोक देना, हेलीकॉप्टर रोक देना, ममता जी आप परिवर्तन को नहीं रोक सकती हैं। मैं बंगाल की जनता से पूछना चाहता हूं कि भाजपा के 100 कार्यकर्ताओं पर हमले हुए, जानें गईं, पत्रकारों को निकलवा दिया जाता है, यह लोकतंत्र है क्या?

'हम हिंसा से नहीं डरने वाले'

अमित शाह ने कहा- ममता दीदी हिंसा का कीचड़ जितना फैलाओगी, भाजपा का कमल इतना ही पवित्र होगा। हम हिंसा से डरने वाले लोग नहीं हैं। बलिदान का मेरी पार्टी का इतिहास है। मेरी पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगाल के सपूत श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर में बलिदान देकर यह संस्कार हमें दिया है। आप हमें बंगाल की जनता से संवाद करने से रोक नहीं सकती हो।

अमित शाह ने कहा- यहां इतना भ्रष्टाचार है कि गिनाते गिनाते थक जाऊंगा। यदि अम्फान तूफान और कोरोना में भी भ्रष्टाचार करती हो तो जनता आपको माफ नहीं करने वाली है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने मोदी जी की लोकप्रियता से डरकर बंगाल में आयुष्मान भारत योजना और पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं को लागू नहीं होने दिया।

भाजपा का सीएम लागू करेगा 'आयुष्मान भारत योजना'

गृहमंत्री ने अम्फान और कोरोना महामारी में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस बंगाल में कभी रवींद्र संगीत की गूंज होती थी वह बंगाल अब बम धमाकों से दहल रहा है। 'भाजपा का सीएम लागू करेगा आयुष्मान भारत योजना' अमित शाह ने ममता बनर्जी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने राज्य के गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं लेने दिया है। उन्हें डर है कि इससे मोदी जी की लोकप्रियता बढ़ जाएगी। गृहमंत्री ने कहा कि चुनाव बाद जब भाजपा के मुख्यमंत्री शपथ लेंगे तो उसके एक मिनट बाद यहां आयुष्मान भारत योजना लागू हो जाएगा।

भारी पड़ेगा सीएए का विरोध

अमित शाह ने संशोधित नागरिकता कानून का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने करोड़ों शरणार्थियों को सम्मान देने का वादा पूरा किया। ममता जी का चेहरा मैंने उस दिन देखा था, गुस्से से चेहरा लाल हो गया था। नाम लेने, बोलने की तमीज नहीं रह गई थी। मैंने इतना गुस्सा कभी नहीं देखा था। मैं ममता दीदी को पूछना चाहता हूं कि बांग्लादेश से आए बंगाली भाइयों ने आपका क्या बिगाड़ा है। यह बंगाल की जनता जानना चाहती है। उन्हें बताना चाहिए कि वह किन वजहों से विरोध कर रही है। मैं ममता जीजी कहना चाहता हूं कि जब मत पेटियां खुलेंगी तो बंगाल की जनता आपको राजनीतिक शरणार्थी बनाने वाली है। सीएए का विरोध आपको बहुत महंगा पड़ेगा।

जनता ने दिया है नाम 'कोरोना एक्सप्रेस': ममता

इस मुद्दे पर सीएम ममता बनर्जी ने भी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई। 'ममता दीदी' ने अपने जवाब में कहा, 'मैंने कभी भी श्रमिक स्पेशल ट्रेन को ‘कोरोना एक्सप्रेस' नहीं कहा; मैंने वही कहा, जो लोग कह रहे हैं।' उन्‍होंने कहा कि यदि लॉकडाउन की घोषणा के पहले केंद्र ने श्रमिक ट्रेनें भेजी होतीं, तो लोगों को इतनी मुश्किलों को सामना नहीं करना पड़ता। उन्‍होंने कहा कि ट्रेन सेवाओं को एक कारण से बंद रखा गया था ताकि लोग एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक नहीं जाएं क्‍योंकि ऐसे में कोरोना संक्रमण फैल सकता है।

ममता बनर्जी ने कहा, 'मैंने कभी कोरोना एक्सप्रेस नहीं कहा। मैंने कहा जनता कह रही है। आप मेरा मूल बयान देख सकते हैं। मैंने कहा, ऐसा जनता ने कहा क्‍योंकि आपके मन में श्रमिकों के लिए सहानुभूति नहीं है। यदि आप 7 दिनों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस चलाते और लॉकडाउन की घोषणा के पहले उन्‍हें घर भेजते तो तीन महीने तक इन श्रमिकों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता था। आपको हमसे सीखना चाहिए। यहां के प्रवासी कहीं नहीं जाना चाहते थे। बंगाल की सीएम ने कहा, प्रवासी संकट अनियोजित लॉकडाउन के कारण पैदा हुआ।

अमित शाह की रैली को राजद ने राजनीतिक अवसरवाद बताया

वहीं गृहमंत्री अमित शाह की बिहार रैली को राजद नेता तेजस्वी यादव ने महामारी संकट के बीच एक राजनीतिक अवसरवाद करार दिया है। रैली से एक दिन पहले शनिवार को तेजस्वी यादव ने कहा, देश संकट में है लेकिन भाजपा बिहार में चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी में है। शाह की रैली सिफ एक अवसरवाद है। उन्होंने कहा, एनडीए चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। राजद इसे आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

तेजस्वी यादव ने उम्मीद जताई है कि सांविधानिक वर्चस्व और गरीब समर्थक समान विचारधारा वाले सभी दल राज्य की विभाजनकारी और विफल सरकार के खिलाफ एकजुट होंगी। साथ ही उन्होंने विपक्ष में दरार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र में विरोधाभासी विचारधारा होना स्वस्थ है।

दिल्ली में भाजपा की हुई थी शर्मनाक हार

भाजपा को कोरोना से पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झौंकने के बावजूद जबरदस्त शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव को भाजपा ने पूरी तरह सांप्रदायिक रंग में रंग दिया था। अनुच्छेद 370, सीएए, तीन तलाक प्रमुख चुनावी मुद्दे थे। शाहिन बाग का सीएए विरोधी आंदोलन का ज़िक्र करके भाजपा के स्टार प्रचारक पीएम मोदी और अमित शाह ने हिंदू मतों के धुव्रीकरण की कोशिश की थी। लेकिन चुनाव नतीजे उसके एकदम विपरित आये। हां इस बार भाजपा नेता प्र​तिपक्ष का पद हासिल करने के लिहाज से 10 प्रतिशत उम्मीदवारों को चुनाव जिताने में सफल रही। अब सवाल यह है कि अगले विधानसभा चुनावों में क्या भाजपा दिल्ली में मिली शर्मनाक हार के झटके से उभर सकेगी।

दिल्ली के बाद बिहार भी हारे थे मोदी

आपको याद दिला दें कि बिहार का पिछला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ राजद के साथ चुनावी तालमेंल करके लड़ा था। पिछली बार पीएम मोदी को दिल्ली के बाद बिहार में भी हार का सामना करना पड़ा था। यह चुनाव भाजपा नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रही है। जातिगत समीकरणों के लिहाज से इस गठबंधन को विजयी माना जा रहा है। लेकिन अगर चुनाव में सांप्रदायिक धुव्रीकरण नहीं हुआ और कोरोना के दौरान अव्यवस्था का ठीकरा केंद्र पर फूटा, तो नीतीश कुमार को दिक्कत हो सकती है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल होने है। लिहाजा अभी वहां काफी उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे।

साल का सबसे दिलचस्प चुनाव 'मध्य प्रदेश' में होगा

इस साल सबसे दिलचस्प चुनाव मध्य प्रदेश में होना है। यहां 24 विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव होने है। इसमें से भाजपा को 9 सीट जीतना ज़रूरी है। अगर यह आंकड़ा छूने में भाजपा चूक गई, तो कमलनाथ की सत्ता में वापसी हो जाएगी। लॉकडाउन से एक दिन पहले ही भाजपा ने 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार को गिरा कर सत्ता पर कब्जा किया था।

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