ताज़ा खबरें
महाराष्ट्र के नतीजे पर उद्धव बोले- 'यह सिर्फ एक लहर नहीं, सुनामी थी'
संसद में वायनाड के लोगों की आवाज बनूंगी: चुनाव नतीजे के बाद प्रियंका
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को मिला बहुमत, जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं
पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

(धर्मपाल धनखड़) हरियाणा की भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार में एक बार फिर विरोधाभासी सुर सामने आने लगे हैं। विगत 10 सितंबर को पीपली में किसानों पर हुए पुलिसिया लाठीचार्ज को लेकर गृहमंत्री अनिल विज और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के विरोधाभासी बयान सामने आये हैं। किसान हाल ही केंद्र सरकार की ओर से पारित किये गये कृषि संबंधी अध्यादेशों का विरोध कर रहे थे। इस मामले में सांसद धर्मवीर सिंह, बृजेंद्र सिंह, प्रदेश के कई मंत्रियों और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने भी लाठी चार्ज की निंदा की और किसानों के साथ बातचीत करने का सुझाव दिया। 

गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने लाठीचार्ज से प्रदेश की आम जनता में व्याप्त रोष को देखते हुए आनन-फानन में किसानों से बातचीत के लिए भाजपा सांसदों की 'संवाद कमेटी' के गठन की घोषणा कर दी। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि इस तरह के मसले पर मुख्यमंत्री की बजाय सत्तारूढ़ पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष कमेटी का गठन करें। 

 

खैर सांसदों की 'संवाद कमेटी' तीन जगहों पर किसान प्रतिनिधियों बातचीत भी की, लेकिन उसमें आंदोलनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को बातचीत में नहीं बुलाया गया। खैर सांसदों की कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप देगी। ओमप्रकाश धनखड़ ने भी किसान प्रतिनिधियों को केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलाने का आश्वासन दिया है। हालांकि विपक्षी नेताओं ने सांसदों की संवाद कमेटी को ढकोसला करार दिया है। 

मुद्दे की बात ये है कि पार्टी के सांसदों, पूर्व व वर्तमान मंत्रियों तथा सरकार में साझीदार जेजेपी के नेता व उप मुख्यमंत्री ने किसानों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की और इसकी जांच करवाने की मांग की है। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश के दबंग कहे जाने वाले गृहमंत्री अनिल विज पूरी दबंगई के साथ कहते हैं कि पुलिस को लाठीचार्ज के आदेश नहीं थे और ना ही कोई लाठीचार्ज हुआ। इसलिए जांच का सवाल ही नहीं उठता। हां, सिविल ड्रेस में किसानों पर लाठियां भांजने वाले युवक की जांच करवाने की बात जरूर कही। गृहमंत्री अनिल विज किसानों पर लाठीचार्ज की घटना को लेकर सरेआम झूठ बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने गृहमंत्री के सफेद झूठ को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और ना ही उन्होंने लाठीचार्ज की जांच करवाने के बारे में कोई निर्देश दिये हैं। 

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब सरकार के मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयान सामने आये हैं। ज्ञातव्य है कि लाकडाउन के दौरान प्रदेश में शराब घोटाले की जांच को लेकर भी गृहमंत्री अनिल विज और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बीच ठनी हुई है। अनिल विज ने लाकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले की जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री को एस आई टी गठित करने की सिफारिश की थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने एस इ टी का गठन कर दिया, जिसके पास कार्रवाई का अधिकार ही नहीं था। पूरे मामले पर लीपा-पोती करने के मकसद गठित की गयी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट गृहमंत्री को सौंप दी।  बकौल विज के इस रिपोर्ट में शराब घोटाले में शराब माफिया और पुलिस के साथ आबकारी विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आयी। उधर, उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री दुष्यंत चौटाला अपने महकमे के अधिकारियों के बचाव में आ गये। विज के मुताबिक अब शराब घोटाले की जांच विजीलैंस को सौंप दी गयी है। हालांकि इस मामले में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरी तरह मौन हैं। 

सरकार के गठन के समय से ही दुष्यंत चौटाला और अनिल विज के बीच तनातनी सामने आने लगी थी। विज अपने आपको सरकार में नंबर दो का अधिकारी समझते रहे हैं। हालांकि सीनियरिटी के हिसाब से वे खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी मानते हैं, लेकिन मनोहर लाल के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नजदीकी संबंधों के कारण उनके इस सपने पर पानी फिर गया। दुष्यंत का उप मुख्यमंत्री बनना विज को फूटी आंख नहीं सुहा रहा।  इसलिए जहां मौका मिलता है वे खुद को सुप्रीम जताने की कोशिश करते हैं और दुष्यंत के लिए मुश्किले खडी़ करते रहते हैं। 

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और गृहमंत्री अनिल विज के बीच चल रही खींचा-तानी से एक बात साफ है गठबंधन सरकार में सब ठीक ठाक नहीं चल रहा है। यहां ये भी साफ है कि विज ऐसा कारकून है जो पार्टी नेतृत्व के इशारे पर ही जबान खोला है। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई की पार्टी से चुनावी समझौता तोड़ने की मुहिम भी विज ने ही शुरू की थी। इससे साफ है कि अनिल विज दुष्यंत के खिलाफ जो कुछ भी कर रहे हैं उसमें कहीं न कहीं पार्टी नेतृत्व की शह भी शामिल है। राजनीति के जानकार का मानना है कि भविष्य में जब भी जजपा-भाजपा गठबंधन  टूटेगा तो उसमें अनिल विज की सबसे अहम भूमिका होगी। 

 

 

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख