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नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘अंधों में काना राजा’ बताने संबंधी बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए कुछ और अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था। सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को कहा, ‘मैं उनके शब्दों के चयन से खुश नहीं हूं। मुझे लगता है कि सरकार ने जो भी कार्रवाई की, उसके नतीजे दिख रहे हैं। एफडीआई सुधर रहा है। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के भी स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा भी नियंत्रण में है।’ मंत्री ने कहा कि यदि वह जो कहना चाहते थे उसके लिए अच्छे शब्दों का चयन करते तो अच्छा लगता। कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से ‘चमकते बिंदुओं में से एक’ करार दिया है। राजन की अगुवाई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं। जन से जब ‘चमकते बिंदु’ वाले इस सिद्धांत पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा,‘मुझे लगता है कि हमें अब भी वह स्थान हासिल करना है जहां हम संतुष्ट हो सकें। हमारे यहां लोकोक्ति है,‘अंधों में काना राजा।... हम थोड़ा बहुत वैसे ही हैं।’
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मुंबई: किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की विशेष अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया। करीब 9,400 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे माल्या के राजनयिक पासपोर्ट को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सिफारिश पहले ही चार हफ्तों के लिए सस्पेंड किया जा चुका है। दरअसल, ईडी ने 900 करोड़ के आईडीबीआई कर्ज धोखाधड़ी मामले में इस उद्योगपति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया। बता दें कि पिछले करीब एक महीने से भी ज्यादा समय से माल्या ब्रिटेन में हैं और ईडी के सामने पेश होने से इनकार कर चुके हैं। लोन धोखाधड़ी मामले में विजय माल्या 9 अप्रैल को लगातार तीसरी बार ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए थे। निदेशालय के नोटिस का जवाब देने के लिए उन्होंने मई तक का समय मांगा था, ताकि वह निजी तौर पर पेश हो सकें। ईडी द्वारा तीसरी बार नोटिस भेजने से पहले अधिकारियों ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि अगर माल्या फिर से पेश नहीं होते हैं तो उनका पासपोर्ट जब्त किया जाएगा या फिर वह सीधे अदालत में उनके खिलाफ गैर जमानती वॉरेंट लेने जाएंगे।
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वाशिंगटन: व्यापार गोपनीयता से जुड़े एक मामले में टाटा समूह की दो कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और टाटा अमेरिका इंटरनेशनल कॉर्प पर अमेरिका की एक अदालत ने 94 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया है। अमेरिकी राज्य विस्कॉन्सिन में एक अदालत (फेडरल ग्रांड ज्यूरी) ने व्यवस्था दी कि इन दोनों कंपनियों को एपिक सिस्टम्स का सॉफ्टवेयर कथित तौर पर चोरी करने के लिए कम से कम 24 करोड़ डॉलर देने चाहिए। इसके अलावा टाटा को 70 करोड़ डॉलर दंडात्मक हर्जाने के तौर पर देने होंगे। भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने शनिवार को कहा कि एपिक सिस्टम्स मामले में कोई आईपी (बौद्धिक संपदा) का उल्लंघन नहीं हुआ और वह ‘अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए ऊंची अदालत में अपील करेगी।’ मुंबई की इस कंपनी ने कहा कि वह आईपी की सुरक्षा और साथ ही अपनी साख एवं वित्तीय हितों के लिए प्रतिबद्ध बनी रहेगी। टीसीएस ने कहा कि उसे हाल ही में अदालत का आदेश प्राप्त हुआ है और वह कानूनी प्रक्रियाओं में पूर्ण विश्वास रखती है।
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वाशिंगटन : भारत को प्राय: ‘वैश्विक अर्थव्यस्था में चमकता बिंदु’ बताए जाने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को लगता है कि यह कुछ कुछ ‘अंधों में काना राजा’ जैसा मामला है। कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से ‘चमकते बिंदुओं में से एक’ करार दिया है। राजन की अगुवाई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं। राजन से जब ‘चमकते बिंदु’ वाले इस सिद्धांत पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें अब भी वह स्थान हासिल करना है जहां हम संतुष्ट हो सकें। हमारे यहां लोकोक्ति है, ‘अंधों में काना राजा।’ हम थोड़ा बहुत वैसे ही हैं।’ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री राजन यहां विश्व बैंक व आईएमएफ की सालाना बैठक के साथ साथ जी20 के वित्तमंत्रियों व केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में भाग लेने यहां आए हैं। डाउ जोंस एंड कंपनी द्वारा प्रकाशित पत्रिका मार्केटवाच को एक साक्षात्कार में राजन ने कहा, ‘हमारा मानना है कि हम उस मोड़ की ओर बढ़ रहे हैं जहां हम अपनी मध्यावधि वृद्धि लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं क्योंकि हालात ठीक हो रहे हैं। निवेश में मजबूती आ रही है। हमारे यहां काफी कुछ व्यापक स्थिरता है।
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