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नई दिल्ली: कॉल ड्रॉप मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (बुधवार) फैसला सुनाते हुए ट्राई के फ़ैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट द्वारा दिए गए आज के फैसले के तहत कस्टमर को कॉल ड्रॉप के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ट्राई का आदेश मनमाना और नॉन ट्रांसपेरेंट है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से टेलिकॉम कम्पनियों को बड़ी राहत मिली है। इस बारे में हाईकोर्ट का फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कॉल ड्राप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियो की ओर से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया है। टेलिकॉम कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की लेकिन हाईकोर्ट ने ट्राई के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। ट्राई की ओर से एजी मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि मोबाइल कंपनियों को उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है कि कॉल ड्राप से उन्हें कितना नुकसान होता है। करोड़ों उपभोक्ताओं के देश में 4-5 मोबाइल कंपनियों ने कब्जा कर रखा है जो कार्टेल की तरह काम कर रहीं हैं। इनका रोजाना 250 करोड़ का राजस्व है लेकिन निवेश कम है। हर्जाना 6 महीने के लिए है और इसके बाद हम इसकी समीक्षा करेंगे।

टेलीकॉम कंपनियों का राजस्व बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और उसकी तुलना में निवेश नहीं हो रहा है। देश में टेलीकॉम सेक्टर का निवेश चीन जैसे देशों की तुलना में काफी कम है। हम उपभोक्ताओं को उनके हक के लिए आवाज दे रहे हैं। मोबाइल टावरों की कमी और सीलिंग टेलीकाम कंपनियों का बहाना हैं। कहा गया था कि टेलीकॉम कंपनियां गलत आंकड़ा दे रही हैं कि रोजाना 150 करोड़ कॉल ड्राप होती हैं तो रोजाना इतना ही हर्जाना देना होगा। 800 करोड़ काल हर साल ड्रॉप होती हैं और अगर हर्जाना लगता है तो राशि बहुत ज्यादा नहीं होगी। हमारे देश में 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैं जिसमें 96 फीसदी प्री पेड वाले हैं और 4 फीसदी पोस्ट पेड हैं। देश में औसतन रीचार्ज 10 रुपये का होता है और अगर ऐसे लोगों का कॉल ड्राप हो तो उनका बड़ा नुकसान होता है। हाई कोर्ट ने कहा था कि कॉल ड्राप पर मोबाइल कंपनियों को मुआवजा देना होगा। 1 जनवरी, 2016 से मुआवजा देना होगा। ट्राई ने 16 अक्टूबर 2015 को आदेश जारी किया था कि मोबाइल सर्विस कंपनियां कॉल ड्राप होने की दशा में 1 रुपया उपभोक्ता को बतौर मुआवजा देंगी जो एक दिन में 3 रुपये हो सकता है। इसके खिलाफ मोबाइल कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कंपनियों की दलील थी कि ट्राई का ये आदेश मनमाना और गैरकानूनी है, इसे रद्द किया जाए। कई कारणों से ये संभव नहीं है कि कॉल ड्राप की स्थिति को रोका जा सके। मुआवजा लागू होने से मोबाइल कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा। ट्राई को कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है। वहीं ट्राई का कहना है कि मोबाइल कंपनियों ने उपभोक्ताओं की संख्या के हिसाब से टावर नहीं लगाए हैं जिसकी वजह से कॉल ड्राप की दिक्कतें आ रही हैं।

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